मान सिंह पटेल गुमशुदगी मामला: SIT ने एफआईआर की दर्ज, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का भी जिक्र
मध्यप्रदेश। एसआईटी ने मान सिंह पटेल गुमशुदगी मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। अदालत ने मान सिंह पटेल गुमशुदगी मामले में जांच के आदेश दिए थे। इस एफआईआर में मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का भी जिक्र है। जानकारी के अनुसार एसआईटी द्वारा मामला 23 अगस्त को दर्ज किया गया था। इसकी जानकारी शुक्रवार को सार्वजानिक की गई है।
एसआईटी द्वारा FIR अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई है। इसमें लिखा गया है कि, मान सिंह पटेल के बेटे सीताराम पटेल ने सिविल थाने में एफआईआर दर्ज की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि, मैं शिव विहार कॉलोनी का निवासी हूँ। सागर में रहकर खेती - किसानी करता हूँ। 2016 की 21 अगस्त की रात पिता मान सिंह पटेल ने बताया कि, मेरा गोविंद सिंह राजपूत से विवाद हो गया है। इस्सके बाद अगली सुबह वे खेत से चारा लाने की बात कहकर निकले और काफी देर तक नहीं लौटे। इसके बाद लोगों पूछताछ की लेकिन कुछ पता नहीं चला। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 6 अगस्त 2024 को आदेश दिए गए। इसकी कॉपी 21 अगस्त को मिली। इसके आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा 365 तहत मामला दर्ज किया गया।
मध्यप्रदेश के सागर जिले में ओबीसी नेता मानसिंह पटेल की गुमशुदगी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। इस पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा था कि, "मुझ पर राजनीति के चलते आरोप लगाए गए थे। एसआईटी जांच में सच्चाई सामने आएगी।" उन्होंने कहा कि, मैंने कुछ लोगों के मुँह से सुना है कि, मेरे खिलाफ न्यायालय ने टिप्पणी की है। मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि, न्यायालय का निर्णय पढ़ें। कोर्ट ने न मेरे लिए कोई टिप्पणी की न मुझे कोई नोटिस जारी किया। यह विरोधियों द्वारा रचा गया षड्यंत्र है। जो भी अनर्गल टिप्पणी कर रहे हैं उनके खिलाफ मैं न्यायालय तक जांऊगा। गुमशुदगी की शिकायत को एफआईआर में कन्वर्ट करने के आदेश पर मंत्री गोविन्द सिंह ने कहा - बिल्कुल ऐसा होना चाहिए।"
2016 से लापता हैं मानसिंह पटेल :
बता दें कि, मानसिंह पटेल साल 2016 से लापता हैं। आरोप है कि, उनकी सागर में जमीन थी जिस पर मंत्री गोविन्द सिंह ने कब्जा कर रखा था। इसकी शिकायत उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट में की थी। इसके बाद वे रहस्य्मयी तरीके से गायब हो गए थे। मानसिंह पटेल ने गोविन्द सिंह राजपूत के खिलाफ शिकायत में कहा था कि, उनकी जान खतरा है।
एसआईटी का गठन पुलिस महानिरीक्षक की अध्यक्षता में किया गया है। अदालत ने इसके लिए आदेश जारी किए थे। अदालत ने जांंच दल में एसपी और एएसपी रैंक के अधिकारियों को शामिल करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर पीड़ित परिवार की जांच के बाद सहायता नहीं की जाती तो वे दोबारा कोर्ट आ सकते हैं।