संसद में ओम बिड़ला ने की आपातकाल की निंदा, सांसदों से दो मिनट का मौन भी रखाया

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने संसद में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी जिक्र किया।

Update: 2024-06-26 08:22 GMT

संसद में ओम बिड़ला ने की आपातकाल की निंदा

दिल्ली। 18 वीं लोकसभा का सत्र देखने लायक होने वाला है। इसकी एक झलकी बुधवार को ही देखने को मिल गई। दूसरी बार स्पीकर चुने गए ओम बिड़ला ने सदन में भाषण के दौरान आपातकाल की निंदा की और यही नहीं सदन में मौजूद सांसदों से आपातकाल के लिए दो मिनट का मौन भी रखाया। कुल मिलाकर इस बार विपक्ष भले मजबूत है लेकिन सत्ता पक्ष भी पीछे रहने वाला नहीं है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा, "यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करता है जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।"

इंदिरा गांधी का भी किया जिक्र :

स्पीकर ओम बिड़ला ने आगे कहा, "25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया। भारत को पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। भारत में हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है। लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।"

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि, "यह 18वीं लोकसभा लोकतंत्र का विश्व का सबसे बड़ा उत्सव है। अन्य चुनौतियों के बावजूद 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने बड़े उत्साह के साथ चुनाव में भाग लिया। मैं सदन की ओर से उनका और देश की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। मैं चुनाव आयोग को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव प्रक्रिया संचालित करने और दूरदराज के क्षेत्रों में भी एक वोट डालने के लिए उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद देता हूं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए की सरकार बनी है। पिछले एक दशक में लोगों की अपेक्षाएं, उम्मीदें और आकांक्षाएं बढ़ी हैं। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उनकी उम्मीदों और आकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए सामूहिक प्रयास करें।"

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