विपक्ष के लोकसभा से वॉकआउट पर कृषि मंत्री बोले - कांग्रेस के दांत खाने के और, दिखाने के और
नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुके किसानों से संबंधित तीन बिलों पर विपक्ष का विरोध जारी है। राज्यसभा से बचे हुए सत्र तक के लिए निलंबित किए गए आठ सांसदों का समर्थन और बिलों को वापस लेने की मांग करते हुए विपक्ष ने मंगलवार को लोकसभा का बहिष्कार किया। इससे पहले, उन्होंने राज्यसभा का भी बहिष्कार किया था। इस बीच, कृषि बिलों पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि ये लोग किसान नहीं हैं, बल्कि कांग्रेस से जुड़े हुए हैं।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, ''कांग्रेस के दांत खाने के और हैं, दिखाने के और। वह सदन में कोई बात कहते हैं और बाहर जाकर कुछ और बोलते हैं। जो प्रदर्शन कर रहे हैं, वे किसान नहीं हैं, वे कांग्रेस से संबंधित हैं और यह देश को मालूम है। यह सुधार किसानों को फायदा पहुंचाएगा और उनकी आय में बढ़ोतरी करेगा।''
किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य कुछ विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद ही सदन को एक घंटे के लिए स्थगित करना पड़ा। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्यसभा और लोक सभा भाइयों की तरह हैं ... यदि कोई दुःख में होता है, तो दूसरे को संभलना पड़ता है। हमारा मुद्दा कृषि बिलों से संबंधित है, हम चाहते हैं कि इसे वापस लिया जाए। अगर तोमर जी इसे वापस लेने के लिए सहमत होते हैं, तो हमें सत्र जारी रखने में कोई समस्या नहीं है। इसके बाद, उन्होंने कहा, ''किसानों के मुद्दे पर हमारी पार्टी (कांग्रेस) और सभी विपक्षी दल लोकसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करते हैं।''
गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा था तथा इस कदम के विरोध में वे संसद भवन परिसर में 'अनिश्चितकालीन' धरने पर बैठ गए थे। हालांकि, बाद में मंगलवार सुबह उन्होंने धरना खत्म कर दिया।
निलंबित किए गए आठ सांसदों में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य शामिल हैं। उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान अमर्यादित व्यवहार के कारण इन सदस्यों को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है। राज्यसभा में कांग्रेस ने सबसे पहले सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। उसके बाद माकपा, भाकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, सपा, शिवसेना, राजद, द्रमुक, आप आदि दलों के सदस्य भी सदन से बाहर चले गए।
ऊपरी सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने आठ निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार से तीन मांगें हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दूसरा विधेयक लेकर आए और यह सुनिश्चित करे कि निजी कंपनियां किसानों की फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर नहीं खरीदें। आजाद ने मांग की कि एमएसपी को स्वामीनाथन आयोग के सी 2 फार्मूले के हिसाब से निर्धारित किया जाना चाहिए और निजी कंपनियों के साथ-साथ भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए भी अनिवार्य हो कि वह एमएसपी से कम कीमत पर किसानों की उपज की खरीद नहीं करे।