शहीद कैप्‍टन अंशुमन सिंह के माता पिता ने अपनी बहू पर लगाए गंभीर आरोप, कहा...

अंशुमान सिंह के माता-पिता ने अपनी बहू यानि अंशुमान सिंह की पत्‍नी स्मृति सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

Update: 2024-07-12 06:40 GMT

कुछ ही दिनों पहले राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा कीर्ति चक्र से सम्मानित हुए शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने अपनी बहू यानि अंशुमान सिंह की पत्‍नी स्मृति सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

मीडिया से बात करते हुए अंशुमन सिंह के माता पिता ने कहा कि बहू हमारा घर छोड़कर जा चुकी है। उसने अपना एड्रेस भी चेंज करा लिया। कीर्ति चक्र मिलने की कोई निशानी भी हमारे पास नहीं है। बेटे की फोटो पर कीर्ति चक्र लगा सकूं, हम इस लायक भी नहीं। सब कुछ बहू को दे दिया गया। अब इस सम्मान के नियमों में बदलाव होना चाहिए। बहुएं घर छोड़कर भाग जाती हैं। ऐसे में माता-पिता को कुछ नहीं मिलता। मैं वो अभागा पिता हूं जो अपने बेटे को मिले कीर्ति चक्र को हाथ में भी नहीं ले पाया"

अंशुमन के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि "हमने अंशुमान की सहमति के बाद उसकी शादी स्मृति से कर दी। शादी के बाद, वह मेरी के बेटे साथ नोएडा में रहने लगी। 19 जुलाई, 2023 को जब हमें अंशुमान की मौत की सूचना मिली, तो मैंने उन्हें लखनऊ बुलाया और हम उनके अंतिम संस्कार के लिए गोरखपुर गए। लेकिन तेरहवीं के बाद, स्मृति गुरदासपुर वापस जाने पर अड़ गई,"

अंशुमान की दुखद मौत के बाद की स्थिति को याद करते हुए, प्रताप सिंह ने स्मृति द्वारा पुरस्कार और सम्‍मान राशि लेकर जाने पर भी निराशा व्यक्त की।

इसके अलावा, कैप्टन अंशुमान सिंह की मां मंजू ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि "5 जुलाई को मैं स्मृति के साथ राष्ट्रपति भवन में आयोजित पुरस्कार समारोह में शामिल हुई थी। जब हम समारोह से निकल रहे थे, तो सेना के अधिकारियों के आग्रह पर मैंने एक बार फोटो खिंचवाने के लिए कीर्ति चक्र को हाथ में लिया था। लेकिन उसके बाद स्मृति ने मेरे हाथों से कीर्ति चक्र ले लिया।"

उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो उनके असाधारण कर्तव्य-पथ पर उनके असाधारण पराक्रम को दर्शाता है।

5 जुलाई को समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्मृति सिंह और मंजू सिंह को यह सम्मान प्रदान किया, इस अवसर पर उस वीर सैनिक को श्रद्धांजलि दी गई, जिन्‍होंने सियाचिन ग्लेशियर में शॉट-सर्किट की आग में अपने साथियों को निस्वार्थ भाव से बचाया था। 

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