Paris Olympic 2024: विनेश फोगाट ओलंपिक से बाहर, सपना हुआ चूर -चूर,अब नहीं खेल सकेंगी अपना फाइनल का मुकाबला
विनेश फोगाट का अबतक का सफ़र आसान नहीं रहा। 9 साल की उम्र में विनेश ने अपने पिता को खो दिया। कुश्ती को लड़कों का खेल मानने वाले गांव के लोगों के विरोध का सामना किया।
Paris Olympic 2024नई दिल्ली। भारतीय पहलवान विनेश फोगट को अधिक वजन के कारण महिला कुश्ती 50 किग्रा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। वो आज रात 12 बजे अपना फाइनल मुकाबला खेलने वाली थीं। बता दें कि रात भर टीम द्वारा किए गए बेहतरीन प्रयासों के बावजूद, आज सुबह उनका वजन 50 किग्रा से कुछ ग्राम अधिक पाया गया। दल द्वारा इस समय कोई और टिप्पणी नहीं की जाएगी। भारतीय दल आपसे विनेश की निजता का सम्मान करने का अनुरोध करता है। वह आने वाली प्रतियोगिताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहेगा।
6 अगस्त का दिन इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज किया जाएगा। पेरिस ओलंपिक 2024 में मंगलवार को भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने 50 किलो भारवर्ग के फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी महिला ने ओलंपिक में सेमीफाइनल मैच जीत दर्ज की थी। बता दें कि विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक के 50 किलो भारवर्ग सेमीफाइनल में विनेश ने क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुजमान लोपेज को 5-0 से हराया है। फोगाट अब गोल्ड मेडल जीतने के लिए भारतीय स्टार सारा हिल्डब्रांड के खिलाफ आज रात उतरने वाली थीं।
🇮🇳 Result Update: Women’s Wrestling Freestyle 50KG SF👇@Phogat_Vinesh on a winning spree, continues her quest for glory & assures a medal🏅 for 🇮🇳 💯🔥
— SAI Media (@Media_SAI) August 6, 2024
The seasoned grappler picked up two historic wins earlier today and went past her Cuban opponent Yusneylis Guzman Lopez in… pic.twitter.com/Kd0pgYtNEF
कैसा रहा फोगाट का अब तक का सफ़र
विनेश फोगाट का अबतक का सफ़र आसान नहीं रहा। 9 साल की उम्र में विनेश ने अपने पिता को खो दिया। कुश्ती को लड़कों का खेल मानने वाले गांव के लोगों के विरोध का सामना किया। कुश्ती को लड़कों का खेल मानने वाले गांव के लोगों के विरोध का सामना करने से लेकर नौ वर्ष की उम्र में अपने पिता को खोने तक विनेश ने कई चुनौतियों का सामना किया।
हरियाणा की धाकड़ खिलाड़ी का पेरिस तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा, लगभग सब दांव पर था। मगर उन्होंने हालात के आगे घुटने नहीं टेके, घुटने टेकने की बजाय लड़ने का रास्ता चुना और इतिहास रच डाला। ओलंपिक पदक पक्का करने का अपना सपना पूरा करने से महीनो पहले विनेश फोगाट अपनी व्यवस्थाओं परेशान थीं। धमकी, पुलिस हिरासत, प्रदर्शन की अगुवाई करने को लेकर हुई आलोचना भी उनका हौसला डिगा नहीं सकी।