मप्र में आज राष्ट्रपति मुर्मू लागू करेंगी PESA एक्ट, जानिए क्या है यह कानून, कैसे करेगा काम

Update: 2022-11-15 06:15 GMT

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह मध्य प्रदेश के लिये गौरव की बात है कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य में शहडोल में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस का राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होगा। इसी दिन मध्य प्रदेश में जनजातीय समुदाय के हित में पेसा एक्ट भी अधिकारिक रूप से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता के साथ प्रदेश का विकास सरकार की प्राथमिकता है। 

बता दें देश भर के कई राज्यों में लागू इस पेसा एक्ट का संबंध सीधा मप्र से है। एक समय पर मध्यप्रदेश के जनप्रतिनिधि रहे दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में बनाई गई कमिटी की अनुशंसा पर इस एक्ट को बनाया गया था।  भूरिया समिति की सलाह पर केंद्र सरकार ने 24 दिसंबर 1996 को देश में इस कानून को लागू कर दिया था। राज्य सरकारों को इसके क्रियान्वयन के लिए नियम बनाने के निर्देश दिए थे। कई राज्यों में ये कानून तुरंत ही लागू हो गया लेकिन मप्र पिछड़ गया। अब सीएम के प्रयासों से ये राज्य में लागू होने जा रहा है। 

ऐसे में सवाल उठता है की ये कानून है क्या और इसे लगो करने की मांग क्यों उठ रही है।  आज हम आपको इस कानून से जुडी सभी जानकारियां देने जा रहे है।

आइए सबसे पहले जानते है क्या है PESA एक्ट - 

भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन में देश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी। इस संसोधन के बाद महसूस किया गया कि इसके प्रावधानों में अनुसूचित क्षेत्रों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों की आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखा गया है। इस कमी को पूरा करने के लिए संविधान के भाग-9 जिसमें पंचायतों में महिलाओं एवं अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए विशेष उपबंध करने की छूट दी गई है को आधार बनाकर पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 (PESA एक्ट )बनाया गया। • इस अधिनियम को 24 दिसम्बर 1996 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया था. 

उद्देश्य - 

  • इस एक्ट का उद्देश्य आदिवासी परम्परा, रीति-रिवाजों, संस्कृति का संरक्षण करना है। 
  • यह अधिनियम आदिवासी समुदाय को  स्वशासन का अधिकार देता है।  
  • यह जनजातीय लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप उपर्युक्त स्तरों पर पंचायतों को विशिष्ट शक्तियों से युक्त बनाता है।  

ऐसे करेगा कार्य - 

  • इस अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सभा में एक ग्राम समिति होगी।
  • उस समिति का अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति समुदाय की ही व्यक्ति होगा।
  •  ग्राम सभा की मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्ति ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।  
  • पंचायती राज अधिनियम के अनुसार ग्राम सभा की बैठकें साल में कम से कम दो बार अवश्य होनी चाहिए।  
  • ग्राम समिति ही ग्राम के अहम निर्णय लेगी।
  • नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध, बाजारों की देख-रेख, ऋण वसूली, पलायन करने वालों की जानकारी रखना। 

इन राज्यों में है लागू- 

वर्तमान में 5वीं अनुसूची में छत्तीसगढ़, छारखंड, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, तेलंगाना और राजस्थान में लागू है। मध्यप्रदेश में यह 15 नवंबर मंगलवार से लागू हो रहा है।

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