वेबडेस्क। सिमी का जन्म जमात-ए-इस्लामी से हुआ है। इसके संस्थापक सैयद अबु अला मावडुडी हैं।साल 1939 में मावडुडी ने एक लेख लिखकर कहा था कि इस्लाम का लक्ष्य राजनीतिक सत्ता हासिल करना होना चाहिए न कि उनके शब्दों में, 'विश्वास, प्रार्थना और कर्मकांडों के मकड़जाल में पड़ना'. उन्होंने कहा था कि इस्लाम, 'एक ऐसी क्रांतिकारी विचारधारा है जो पूरी दुनिया के सामाजिक ताने बाने को बदलना चाहती है और उसे अपने विश्वासों और आदर्शों के हिसाब से फिर से गढ़ना चाहती है.' हालांकि, ये विचारधारा ही पश्चिमी एशिया में आधुनिक जिहादी आंदोलनों की नींव बनेगी. वहीं, जमात इस नतीजे पर पहुंची कि सेकुलर राज्य को बचाना ही हिन्दू संप्रदायवाद को रोकने का पुख्ता तरीका है.
1977 में जमात ने सिमी की नींव रखी थी
जमात ने 1977 में सिमी का गठन किया था। गठन के पांच साल बाद जमात ने खुद को सिमी से अलग कर लिया। इसके बाबजूद सिमी मजबूत होता रहा ।पोर्नोग्राफी और नशे के विरोध के साथ ही धार्मिक शिक्षा की कक्षाओं के जरिए सिमी ने मुस्लिम वर्ग का नैतिक समर्थन हासिल किया। यह तरीका पीएफआई जैसा ही था।
1992 में गजनी बनने का आह्वान -
6 दिसम्बर 1992 के बाद सिमी ने अपने व्याकरण को बदल लिया। सिमी ने अपने पर्चे में चेतावनी दी कि ऐसे मुसलमान जो धर्मनिरपेक्ष समाज में आराम कर रहे हैं वे जहन्नुम में जाने वाले हैं. इसके कुछ समय के बाद ही, सिमी ने पर्चे लगाए कि मुसलमानों को मध्यकालीन सेनापति गजनवी की तरह ही भारत में मस्जिद गिराने का बदला लेना चाहिए।सिमी ने 1996 में बयान दिया कि मुसलमानों की सुरक्षा करने में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता विफल रहा है, इसलिए मुसलमानों के पास खिलाफत के लिए संघर्ष ही एकमात्र रास्ता बचता है.
2001 से पाकिस्तान कनेक्शन -
पीएफआई के इस्लामिक स्टेट से झुकाव रखने वाले सदस्य की तरह ही इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्य भी सिमी से अलग हो गए. साल 2001 के बाद से, इन समूहों के मुख्य सदस्य सैन्य प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान जाते रहे हैं।
कर्नाटक का ट्रेनिंग मॉडल?
साल 2004 में कर्नाटक के भटकल में दर्जनों नए रंगरूट, पहली बार ट्रेनिंग के लिए जुटे। साथ ही, इंडियन मुजाहिदीन के 2005-2008 तक चले अर्बन टेररिज्म कैंपेन के लिए, सेफ हाउस का नेटवर्क और बम निर्माण स्थल बनाए गए।
अलकायदा और आईएस के लिए लड़ाके -
जिहादी बनने के लिए, इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा में शामिल होने का सिलसिला लगातार जारी है. इनमें प्राय: मध्यम आय वाले और शिक्षित परिवार के सदस्य होते हैं. पीएफआई ही मोबलाइज करने का एकमात्र प्लेटफॉर्म नहीं है. एनआईए ने इस मामले में कई अलग-अलग नेटवर्क में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें धर्मगुरु से जुड़े लोग के साथ ही ऑनलाइन प्रचार से प्रभावित होने वाले जिहादी भी शामिल हैं।