मन की बात : प्रधानमंत्री की अपील, "कोरोना अभी गया नहीं, अभी सावधानी बरतें "

Update: 2021-11-28 12:15 GMT

नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के नये संस्करण 'ओमिक्रॉन' (बी 1.1.529) के खतरे के मद्देनजर देशवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना अभी गया नहीं है। प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों से अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ निभाने का संकल्प करने और आयुष्मान भारत योजना को घर-घर पहुंचाने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबके प्रयास से ही प्रकृति का संरक्षण संभव है। 

प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' की 83वीं कड़ी में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं कभी भी सत्ता में नहीं रहना चाहता बल्कि मेरा ध्येय तो तो लोगों की सेवा करने का है। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी राजेश कुमार प्रजापति से चर्चा कर रहे थे। प्रजापति ने प्रधानमंत्री को बताया कि कैसे आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ कार्ड से उन्हें अपने हृदय की बीमारी का समय पर और मुफ्त इलाज कराने में मदद मिली। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अधिक से अधिक लोगों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं ताकि आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ कार्ड के माध्यम से अधिक से अधिक लोग लाभ प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि वह हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बीच इसे बढ़ावा देना चाहते हैं, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। 

प्रधानमंत्री ने नमो एप और माई गॉव पर मिलने वाले जनता के सुझावों पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि आप लोगों ने मुझे अपने परिवार का एक हिस्सा मानते हुए अपने जीवन के सुख-दुख भी साझा किये हैं। ये विचार साझा करने वालों में बहुत सारे नौजवान और छात्र-छात्राएं भी हैं। मुझे वाकई बहुत अच्छा लगता है कि 'मन की बात' का हमारा ये परिवार निरंतर बढ़ रहा है और न केवल संख्या में बल्कि, इसके साथ हमारी सकारात्मकता भी बढ़ रही है। 

प्रधानमंत्री ने दिसम्बर माह को लेकर साल खत्म होने के मनोविज्ञान की ओर इशारा करते हुए कहा कि दिसम्बर में देश नौसेना दिवस और सशस्त्र बल ध्वज दिवस मनाएगा। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के सुरक्षा बलों और नायकों को याद करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि 16 दिसंबर को देश 1971 के युद्ध की स्वर्ण जयंती भी मना रहा है। इन सभी अवसरों पर मुझे देश के सशस्त्र बलों की याद आती है। प्रधानमंत्री ने छ दिसम्बर को भीमराव अंबेडर की पुण्यतिथि का उल्लेख करते हुए कहा कि बाबा साहब ने अपना पूरा जीवन देश और समाज के लिए अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए समर्पित किया था। उन्होंने कहा कि हम भी संकल्प लें कि अमृत महोत्सव में हम कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाने का प्रयास करेंगे। 

प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए कहा कि यह हमें सीखने के साथ-साथ देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी देता है। उन्होंने कहा कि अब पूरे देश में आम जनता से लेकर सरकारों तक, पंचायत से लेकर संसद तक अमृत महोत्सव की गूंज सुनाई देती है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही एक दिलचस्प कार्यक्रम हाल ही में दिल्ली में हुआ। 'आजादी की कहानी-बच्चों की जुबानी' कार्यक्रम में बच्चों ने दिल की गहराइयों से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कहानियां सुनाईं। इस कार्यक्रम की खास बात थी कि इसमें भारत के साथ ही नेपाल, मॉरिशस, तंजानिया, न्यूजीलैंड और फीजी के छात्रों ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश की महारत्न ओएनजीसी भी अमृत महोत्सव को थोड़े अलग तरीके से मना रही है। इन दिनों ओएनजीसी हमारे छात्रों के लिए तेल क्षेत्रों के अध्ययन दौरों का आयोजन कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति में हमारे आदिवासी समुदायों के योगदान को ध्यान में रखते हुए देश ने 'जनजाति गौरव सप्ताह' भी मनाया है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इससे संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए गए।

वृंदावन (उत्तर प्रदेश) को भगवान के प्रेम का प्रत्यक्ष स्वरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि यह पवित्र स्थान दुनियाभर के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है। इसकी छाप आपको दुनिया के कोने-कोने में मिल जाएगी। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की एक ऑस्ट्रेलियाई महिला भक्त जगत तारिणी दासी के बारे में चर्चा की। प्रधानमंत्री ने बताया कि वह पर्थ शहर की स्वान वैली में 'सेक्रेड इंडिया' नाम से आर्ट गैलरी चलाती हैं। अपने देश वापस जाने से पहले उन्होंने वृंदावन में 13 साल से अधिक समय बिताया। उन्होने वृंदावन और उसके आध्यात्मिक भाव से जुडने के लिए ऑस्ट्रेलिया में ही वृन्दावन खड़ा कर दिया है। वह अब ऑस्ट्रेलिया में वृंदावन की शिक्षा को बढ़ावा देती हैं।

प्रधानमंत्री ने एक दिलचस्प तथ्य साझा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के आंदोलन में विदेशियों ने भी हमारे सेनानियों की मदद की थी। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया का एक रिश्ता हमारे बुंदेलखंड के झांसी से भी है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जब ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही थीं, तो उनके वकील जॉन लैंग थे। जॉन लैंग मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया के ही रहने वाले थे। भारत में रहकर उन्होने रानी लक्ष्मीबाई का मुकदमा लड़ा था।प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्टअप के जरिए भारतीय युवा वैश्विक समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। भारत आज स्टार्टअप के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बावजूद भारत में हर 10 दिन में एक यूनिकॉर्न बना है। यूनिकॉर्न एक ऐसा स्टार्ट-अप होता है, जिसका मूल्यांकन कम से कम एक अरब अरब डॉलर या करीब सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के रूप में होता है।

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