कानपुर। जनपद के परौंख निवासियों को जिस लम्हे का इंतजार था, आखिरकार रविवार को उस समय पूरा हो गया जब राष्ट्रपति का उड़नखटोला गांव के ऊपर आवाज करने लगा। उड़नखटोले की आसमान में आवाज से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उतरने तक लोग इस कदर मंत्रमुग्ध थे कि उनके बगल में खड़ा व्यक्ति अगर कुछ आवाज दे रहा था तो उनको सुनाई ही नहीं दे रहा था। कुछ भी हो चार साल से जिस घड़ी का ग्रामीणों का इंतजार था आखिरकार राष्ट्रपति के पहुंचने पर पूरा हो गया।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पांच साल पहले अपने गांव गए थे। उस समय वह बिहार के राज्यपाल थे।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को पहली बार प्रेसीडेंशियल महाराजा ट्रेन से उत्तर प्रदेश की चार दिवसीय यात्रा पर निकले हैं। इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण रविवार की यात्रा है, हो भी क्यों न। यह यात्रा उनके पैतृक गांव कानपुर देहात के परौंख से जुड़ी है, जहां उनका बचपन बीता और उस मिट्टी के आर्शीवाद से रायसीना हिल्स तक पहुंचे।
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार रविवार को रामनाथ कोविंद अपने गांव पहुंचे और अपनी माटी को नमन किये। अपने बाबा यानी राष्ट्रपति को देखने के लिए ग्रामीणों व आस-पास के गांव के लोगों व करीबियों में गजब का उत्साह देखा गया। राष्ट्रपति पत्नी सविता कोविंद के साथ जब हेलीकॉटर से गांव पहुंचे तो लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। राष्ट्रपति हेलीपैड से उतरकर सीधे गांव की ओर चल दिये और अपनी कुल देवी पथरी माता का आर्शीवाद लेने के साथ गांव का भी भ्रमण करने लगे। जगह-जगह पर अपने बाबा का स्वागत लोग स्नेह भरी आंखों व आत्मीयता के साथ कर रहे थें, क्योंकि सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने चुनिंदा लोगों को ही राष्ट्रपति का फूल मालाओं से स्वागत करने के लिए चुना था। गांव का भ्रमण करने के बाद राष्ट्रपति सभा स्थल पर जाकर ग्रामीणों को संबोधित करेंगे।