नई दिल्ली। गृहमंत्रालय (एमएचए) ने राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अंतरमंत्रालय समिति बनाई का गठन किया है। प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक इस समिति के प्रमुख होंगे। अंतरमंत्रालय समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया है कि मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमेटी का गठन किया गया है, जो कि राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच करेगी।
बताया जा रहा है कि इस जांच में मनी लॉड्रिंग एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच की जाएगी।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन और सपनों को पूरा करने के लिए उनके नाम से इस फाउंडेशन की शुरुआत 21 जून 1991 को की गई थी। राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट पर बताया गया है कि 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक, महिला एवं बाल विकास, अपंगता सहयोग, शारीरिक रूप से निशक्तों की सहायता, पंजायती राज, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आदि क्षेत्रों में काम किया। 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा क्षेत्र पर फोकस करने का फैसला किया। संघर्ष से प्रभावित बच्चों को शैक्षणिक मदद, शारीरिक रूप से निशक्त युवाओं की गतिशीलता बढ़ाने और मेधावी भारतीय बच्चों को कैंब्रिज में पढ़ने हेतु वित्तीय सहायता आदि जैसे कार्यक्रम फाउंडेशन की ओर से चलाए जाते हैं।
राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ. शेखर राहा, प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन, डॉक्टर अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा भी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं।
बीजेपी का आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। बीजेपी का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। बदले में सरकार ने कई ठेके दिए। बीजेपी का कहना है कि यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया। देश की जनता इसका कारण जानना चाहती है।
बीजेपी का आरोप है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। बीजेपी का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। बदले में सरकार ने कई ठेके दिए। बीजेपी कहा कि यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया। देश की जनता इसका कारण जानना चाहती है।