संतों ने 'धर्म सेंसर बोर्ड' का किया गठन, सनातन धर्म को अपमानित करने वाले कंटेंट पर चलाएंगे कैंची
धर्म सेंसर बोर्ड की गाइडलाइन को फिल्म निर्माता निर्देशकों को पहुंचाया जायेगा, ताकि इसका पालन हो
प्रयागराज। प्रयागराज के माघ मेले में संतों ने धर्म सेंसर बोर्ड का गठन किया है। ये सेंसर बोर्ड फिल्मों, वृत्तचित्रों, वेब श्रृंखला और मनोरंजन के अन्य माध्यमों में हिंदू देवी-देवताओं और संस्कृति के अपमान की जांच करेगा।ये बोर्ड झोंको, टोको, रोको की कार्यशैली पर काम करेगा। हिन्दू संस्कृति का अपमान रोकने के लिए बनाए गए इस सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को बनाया गया है। उनके अलावा बोर्ड में 10 अन्य सदस्य है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि माघ मेले में अपने शिविर में धर्म सेंसर बोर्ड को लेकर गाइडलाइन भी जारी करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि झोंकने का अर्थ है कि हम पहले अपनी बात उन तक पहुंचायेंगे। यदि बात नहीं बनी तो टोकेंगे और इसके बाद उन्हें रोकने का हर सम्भव प्रयास किया जायेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि बॉलीवुड फिल्मों, धारावाहिक एवं ओटीटी प्लेटफार्म सहित दूसरे माध्यमों से लगातार सनातन धर्म को अपमानित करने वाले कंटेंट, प्रतीक चिन्हों और संवाद का प्रयोग हो रहा है। इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि धर्म सेंसर बोर्ड की गाइडलाइन को फिल्म निर्माता निर्देशकों को पहुंचाया जायेगा, ताकि इसका पालन हो। यदि पालन नहीं किया जाता तो धर्म सेंसर बोर्ड के सदस्य फिल्मों के कंटेट पर निगाह रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में ऐसे पाठ्यक्रम होंगे तो उनको भी हटवाया जायेगा। ऐसी कोई भी चीज जो भारतीय संस्कृति और धर्म परम्परा को खण्डित करने का कार्य करेगी, उस पर कार्यवाही की जायेगी।
सेंसर बोर्ड के सदस्य -
शंकराचार्य ने बताया कि इस धर्म सेंसर बोर्ड के वे संरक्षक हैं और प्रमुख सुरेश मनचन्दा हैं। इनके अलावा सदस्यों में डॉ पीएन मिश्र, चक्रपाणि महाराज, मानसी पाण्डेय, तरुण राठी, कैप्टन अरविन्द सिंह भदौरिया, प्रीति शुक्ला, डॉ गार्गी पंडित एवं डॉ धर्मवीर हैं।
पठान को लेकर विवाद -
उल्लेखनीय है कि शाहरूख खान की आने वाली फिल्म पठान और सैफ अली खान की आदि पुरुष पर मचे बवाल के बाद उक्त निर्णय लिया गया है।