भाजपा संगठन की रणनीति को भेदने में विफल रहा विपक्ष: संगठन के साथ चुनावी रणनीति के कुशल शिल्पकार बनकर उभरे ‘शिवप्रकाश’
महाराष्ट्र में महायुति ना केवल जीता,बल्कि, अगले-पिछले सारे रिकार्ड भी तोड़े हैं। राज्य में अब तक हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे आगे रही है।
मधुकर चतुर्वेदी, नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 80 फीसदी सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। महायुति केवल जीता ही नहीं बल्कि, उसने अगले-पिछले सारे रिकार्ड भी तोड़े हैं। राज्य में अब तक हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे आगे रही। उसने 149 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 132 जीत कर विधानसभा में पहुंचे हैं। भाजपा का स्ट्राइक रेट 89.26 फीसदी रहा है। भाजपा ने जिस रणनीति से राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ा, उसके चक्रव्यूह को विपक्ष भेद ही नहीं पाया। विधानसभा चुनाव नतीजों से जहां कांग्रेस नेतृत्व वाला अघाड़ी गठबंधन सदमे में है तो वहीं भाजपा उत्साहित।
भाजपा का उत्साहित होना स्वाभाविक ही है, क्योंकि भाजपा के बारे में कहा जाता है कि भाजपा के कार्यकर्ता एक चुनाव पूरा होने के बाद दूसरे चुनाव की तैयारियों में लग जाते हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद जहां कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन के नेता विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को सुनिश्चित मानते हुए पिकनिक मनाने चले गए, तो वहीं भाजपा ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद से ही विधानसभा चुनावों में जीत की जमीन को तैयार करना शुरू दिया और इस चुनावी जीत की जमीन को तैयार करने में भाजपा केंद्रीय संगठन ने अपने कई अनुभवी कार्यकर्ताओं के साथ वरिष्ठ पदाधिकारियों को लगाया। इसमें एक नाम भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठनमंत्री शिवप्रकाश का हैं।
संगठन की योजना से महाराष्ट्र के प्रभारी के नाते शिवप्रकाश ने चुनाव पूर्व से ही राज्य संगठन में ना केवल कई सुधार किए, बल्कि छोटी-छोटी बैठकें करके कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखा। बूथ कमेटी, पन्ना प्रमुखों सहित सभी संगठनात्मक काम समय पर पूरे किए। यह शिवप्रकाश की ही योजना थी कि ना केवल भाजपा अपितु विचार परिवार के सभी कार्यकर्ता राज्य विधानसभा चुनाव में जीत के मंत्र के साथ मैदान में उतरे।
चुनाव पूर्व महिलाओं, किसानों और अन्य पिछड़ा वर्गो तक भाजपा कार्यकर्ताओं ने केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को धरातल पर पहुंचाया, इससे निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की नाराजगी और निराशा दूर करने में मदद मिली। एक बात और ध्यान में यह आती है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कहीं से भी टिकट वितरण के बाद होने वाले असंतोष की खबर सुनाई नहीं दी।
परिणाम यह मिला कि माहौल भाजपा और उसके सहयोगियों के पक्ष में हो गया और जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस नेतृत्व आघाड़ी आज पूरी तहर से विपक्षी भी कहलाने लायक नहीं रहा। इससे पहले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी शिवप्रकाश की संगठनात्मक सुझबूझ और समन्वय की दूर दृष्टि से भाजपा को बड़ी जीत मिली थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और पश्चिमी उप्र क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक के नाते संगठन का कार्य का व्यापक अनुभव रखने वाले शिवप्रकाश वर्तमान में श्रेष्ठ संगठनकर्ता के साथ ही चुनावी राणनीति के कुशल शिल्पकार बनकर उभरे हैं।
इसलिए महायुति के पक्ष में एकजुट हुए महाराष्ट्र के नागरिक
महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन महायुति को मिली प्रचंड जीत के कई श्रेय हैं। इसमें लोकप्रिय लाड़ली बहिन योजना के जरिए महिलाओं के खाते में सीधी धनराशि भेजना। विदर्भ और मराठवाड़ा में किसानों के असंतोष को शांत करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का संचालन, मराठा आंदोलन को शांत करने, प्याज निर्यात मूल्य घटाने और सबसे अधिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं’ ने राज्य के नागरिकों को महायुति के पक्ष में एक कर दिया।
सूत्रों की मानें तो अजित पवार ने दिल्ली में बीजेपी आलाकमान को अपना संदेश पहुंचा दिया है कि अगर महाराष्ट्र में बीजेपी का सीएम होता है तो उन्हें समस्या नहीं होगी. सोमवार को फडणवीस दिल्ली में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. उनकी मुलाकात बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से हो सकती है।