शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 5 जजों की संविधान बेंच करेगी सुनवाई

Update: 2022-08-23 10:32 GMT

नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सियासी संकट का मामला 5 जजों की संविधान बेंच को सौंप दिया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि संविधान बेंच तय करेगी कि क्या स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो वह अयोग्यता पर सुनवाई कर सकते हैं। पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र और उसमें चुनाव आयोग की भूमिका पर भी संविधान बेंच विचार करे। संविधान बेंच के समक्ष ये मामला 25 अगस्त को लिस्ट होगा। 

चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान बेंच यह तय करेगी कि शिवसेना के चुनाव चिह्न पर आयोग अभी अपनी सुनवाई जारी रखे या नहीं। उन्होंने कहा कि आखिरकार चुनाव चिह्न पर फैसला आयोग को ही लेना है लेकिन 25 अगस्त की सुनवाई तक आयोग इस प्रक्रिया को रोके रखे।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकील हरीश साल्वे ने अयोग्यता को लेकर स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया को पूरा करने के तरीके को लेकर कई बिंदुओं को रखा था और उन पर विस्तृत सुनवाई की मांग की थी। साल्वे ने कहा था कि जब तक विधायक पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है। वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वह वोट वैध होगा। तब चीफ जस्टिस ने पूछा था कि क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता। वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है।

उद्धव गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामला संविधान पीठ को न भेजें। सिब्बल ने कहा था कि जो विधायक अयोग्य ठहराए जा सकते हैं, वह चुनाव आयोग में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि ऐसा करने से किसी को नहीं रोका जा सकता।सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील अरविंद दातार ने कहा था कि अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं। दातार ने कहा था कि विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है। हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं।

उद्धव ठाकरे गुट ने कहा था कि जब तक शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, चुनाव आयोग को तब तक अपनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। याचिका में कहा गया था कि अभी शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता करवाई का मामला लंबित है ऐसे में निर्वाचन आयोग ये तय नही कर सकता है कि असली शिवसेना कौन है।

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