Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर आखिर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, जान लीजिए इसके पीछे का खास रहस्य
मकर संक्रांति साल में पड़ने वाली सभी 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण है। इस संक्रांति के मौके पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है तो वहीं पर कई मान्यताएं और परंपराएं निभाई जाती है।;
Makar Sankranti 2025: हिंदू धर्म में हर त्योहार का महत्व होता है तो वहीं पर नए साल 2025 की शुरुआत हो चुकी है जिसके आगाज के साथ मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस खास दिन पर लोग गंगा स्नान, दान और पूजा जैसे विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं। मकर संक्रांति के बाद से दिन थोड़े गर्म होने लगते है। यहां पर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का परिवर्तन और मकर संक्रांति साल में पड़ने वाली सभी 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण है। इस संक्रांति के मौके पर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है तो वहीं पर कई मान्यताएं और परंपराएं निभाई जाती है।
कैसे शुरु हुई खिचड़ी खाने की परंपरा
मकर संक्रांति पर परंपरा के अनुसार, खिचड़ी खाई जाती है इसका चलन होता है। इसे लेकर एक एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भारत पर खिलजी ने आक्रमण किया था, उस युद्ध में भारत के कई वीर योद्धा और योगी भी शामिल थे। चारों तरफ लड़ाई-झगड़े का माहौल था। इस आक्रमण की वजह से किसी को खाने का समय नहीं मिल पाता था, जिस वजह से लोग धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे थे। इस समस्या का हल निकालते हुए गुरु गोरखनाथ ने सभी को दाल, चावल और सब्जियां मिलाकर एक साथ पकाने को कहा, जो सभी के लिए बेहद आसान था।
साथ ही इससे लोगों का पेट भी आसानी से भर जाता था। खिलजी को हराने के बाद गोरखनाथ समेत सभी योगियों ने एक साथ मिलकर मकर संक्रांति के मौके पर इस नए पकवान को बनाया, बांटा और इसे खिचड़ी का नाम दिया। तभी से लेकर आज तक मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है।
इसका संबंथ होता है भगवान सूर्य और शनिदेव से
आपको बताते चलें कि, मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी खाने की परंपरा होती है तो वहीं पर खिचड़ी बेहद ही पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन है। इसका संबंध सूर्य और शनि से है। कहते हैं, इसे खाने से परिवार में खुशहाली आती है। मकर संक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इसलिए इस शुभ दिन पर खिचड़ी खाने के साथ-साथ दान भी करनी चाहिए, क्योंकि दान इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना गया है।