महिला डॉक्टर यौन हिंसा के प्रति अधिक संवेदनशील: Kolkata Rape Case मामले की सुनवाई करते हुए CJI बोले

Update: 2024-08-20 06:51 GMT

महिला डॉक्टर यौन हिंसा के प्रति अधिक संवेदनशील - Kolkata Rape Case मामले की सुनवाई करते हुए CJI बोले

Kolkata Rape Case : नई दिल्ली। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में सुनवाई की। इस दौरान सीजेआई ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में मेडिकल प्रोफेशनल की सुरक्षा के मुद्दे पर भी अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि, महिला डॉक्टर यौन हिंसा के प्रति अधिक संवेदनशील

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 36 घंटे की शिफ्ट में काम करने वाली एक डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। मृतक की तस्वीरें और वीडियो प्रसारित किए गए। 13 अगस्त को हाईकोर्ट ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया। पूरे राज्य में प्रदर्शन हुए। 15 अगस्त को सुबह 12:30 बजे एक बड़ी भीड़ ने इमरजेंसी वार्ड और अस्पताल के दूसरे इलाकों में तोड़फोड़ की। इसके बाद आईएमए ने पूरे देश में 14 घंटे के लिए इमरजेंसी सेवाएं बंद करने का आह्वान किया। पश्चिम बंगाल से उम्मीद की जा रही थी कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखे और अपराध स्थल की सुरक्षा करे। हम यह समझने में असमर्थ हैं कि वे ऐसा क्यों नहीं कर सके।'

इन राज्यों की घटनाओं का जिक्र भी किया :

सीजेआई ने आगे कहा कि, 'मेडिकल प्रोफेशनल को कई तरह की हिंसा का सामना करना पड़ता है। वे चौबीसों घंटे काम करते हैं। काम के हालात ने उन्हें हिंसा के लिए अतिसंवेदनशील बना दिया है। मई 2024 में पश्चिम बंगाल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों पर हमला किया गया, जिनकी बाद में मौत हो गई। बिहार में एक नर्स को मरीज के परिजनों ने धक्का दिया... हैदराबाद में एक और डॉक्टर पर हमला हुआ। यह डॉक्टरों की कार्य स्थितियों के लिए एक शक्तिशाली विफलता और प्रणालीगत विफलता का संकेत है।

महिला डॉक्टर अधिक असुरक्षित :

सीजेआई ने कहा कि, 'पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रहों के कारण, रोगियों के रिश्तेदारों द्वारा महिला डॉक्टरों पर हमला करने की अधिक संभावना होती है और वे यौन हिंसा के प्रति भी अधिक संवेदनशील होती हैं और अरुणा शानबाग का मामला इसका एक उदाहरण है। लैंगिक हिंसा प्रणाली में महिलाओं के लिए सुरक्षा की कमी को दर्शाती है। डॉक्टरों और महिला डॉक्टरों की सुरक्षा की रक्षा करना राष्ट्रीय हित का मामला है और समानता का सिद्धांत इससे कम की मांग नहीं करता है।

सख्त कदम उठाने के लिए बलात्कार का इंतजार नहीं कर सकते :

सीजेआई ने आगे कहा कि, सख्त कदम उठाने के लिए एक और बलात्कार का इंतजार नहीं कर सकते। चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए राज्य में कानून हैं लेकिन वे प्रणालीगत मुद्दों को संबोधित नहीं करते हैं।

  • हम चिकित्सा पेशेवरों के लिए संस्थागत सुरक्षा की कमी को उजागर कर रहे हैं ये बिंदु जिनका जिक्र सीजेआई ने अपने आर्डर में किया : देर रात चिकित्सा ड्यूटी पर डॉक्टरों के लिए कोई आराम करने की जगह नहीं।
  • डॉक्टरों के लिए कोई विश्राम कक्ष नहीं।
  • इंटर्न, रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट 36 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं, जहाँ स्वच्छता आदि की बुनियादी स्थितियाँ मौजूद नहीं हैं।

सीजेआई ने कहा यह भी चिंता का विषय :

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने आर्डर में इन मुद्दों का भी जिक्र किया - नर्स और महिला डॉक्टरों को अनियंत्रित लोगों की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया जाता है, डॉक्टरों के लिए कोई शौचालय की सुविधा नहीं, डॉक्टरों के लिए लंबी शिफ्ट के बाद घर वापस जाने के लिए कोई परिवहन नहीं, ठीक से काम करने वाले सीसीटीवी कैमरे नहीं। 

Similar News