Chandra Grahan 2024: 2024 का आखिरी आंशिक चंद्रग्रहण: समय, राशियों पर प्रभाव और ज्योतिषीय महत्व

आज, 2024 का आखिरी आंशिक चंद्रग्रहण भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन हो रहा है। जानें इस ग्रहण का सही समय, राशियों पर इसके प्रभाव और ज्योतिषीय महत्व। यह जानकारी आपको ग्रहण के दौरान सतर्क रहने और विभिन्न राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने में मदद करेगी।

Update: 2024-09-18 04:00 GMT

आज, 2024 का आखिरी चंद्रग्रहण भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन हो रहा है। यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा, जो साल का दूसरा और अंतिम ग्रहण है। चंद्रग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस बार का चंद्रग्रहण आंशिक होगा, जिसका मतलब है कि चंद्रमा का एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में आएगा, जबकि बाकी हिस्सा पूरी तरह से उज्ज्वल रहेगा।

चंद्रग्रहण का न सिर्फ खगोलीय महत्व होता है, बल्कि यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी खास होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रग्रहण का विभिन्न राशियों पर प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति की दैनिक जीवन, करियर, स्वास्थ्य और रिश्तों पर असर पड़ सकता है। यह लेख आपको चंद्रग्रहण के समय, इसके प्रभाव और राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी प्रदान करेगा।

इस आंशिक चंद्रग्रहण का समय, विभिन्न राशियों पर संभावित असर और ग्रहण के दौरान सावधानियां जानना आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। इस ज्ञान से आप अपने जीवन में आने वाली संभावित चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकते हैं और ग्रहण के समय सतर्क रह सकते हैं।

चंद्रग्रहण के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं:

पूर्ण चंद्रग्रहण: जब पृथ्वी पूरी तरह से चंद्रमा को ढक लेती है।

आंशिक चंद्रग्रहण: जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के एक हिस्से पर पड़ती है।

उपछाया चंद्रग्रहण: जब चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया से गुजरता है, जिससे उसका रंग धुंधला हो जाता है।

इस बार का चंद्रग्रहण आंशिक होगा, जिसमें चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में आएगा।

चंद्रग्रहण विभिन्न चरणों में घटित होगा:

उपछाया ग्रहण की शुरुआत: सुबह 6:12 बजे

आंशिक ग्रहण की शुरुआत: सुबह 7:44 बजे

अधिकतम ग्रहण: सुबह 8:14 बजे

आंशिक ग्रहण की समाप्ति: सुबह 8:44 बजे

उपछाया ग्रहण की समाप्ति: सुबह 10:17 बजे

भारत में यह चंद्रग्रहण नहीं दिखाई देगा। यह यूरोप, एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा। इसलिए भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा, जो कि ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्यों से संबंधित एक मान्यता है।

नासा के अनुसार

नासा के अनुसार, चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा अपनी पूरी चमक के साथ दिखाई देगा और इसे "सुपरमून" कहा जा सकता है। सुपरमून तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है और सामान्य से बड़ा और अधिक चमकदार दिखाई देता है। यह खगोलीय घटना चंद्रमा के अद्भुत रूप को देखने का एक मौका प्रदान करती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रग्रहण का विभिन्न राशियों पर प्रभाव पड़ता है। इसे अशुभ मानते हुए धार्मिक कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है। चंद्रग्रहण के दौरान ध्यान, जप और साधना करने से मानसिक शांति और ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा, ग्रहण के समय से जुड़ी कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किए गए शुभ कार्यों में विघ्न आ सकता है।

सावधानियां और धार्मिक मान्यताएं

चंद्रग्रहण के दौरान निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

भोजन से बचाव: चंद्रग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं की सावधानी: विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान सतर्क रहना चाहिए।

धार्मिक गतिविधियाँ: ग्रहण के समय धार्मिक कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है और इसके बजाय साधना और ध्यान पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर होता है।

वैज्ञानिक पहलू

चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे उसका रंग बदल जाता है और यह लाल या नारंगी दिखाई दे सकता है, जिसे "ब्लड मून" भी कहते हैं। यह खगोलीय घटना एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है और इसे समझना एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है।

2024 का यह अंतिम चंद्रग्रहण खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। भारत में यह दृश्य नहीं होगा, लेकिन इसके समय और प्रभाव को समझना उपयोगी हो सकता है। चंद्रग्रहण के समय ध्यान और साधना के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है और नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।

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