भोपाल। देश की आजादी के बाद दो साल तक भोपाल की जनता को भारत संघ का सदस्य बनने के लिए इंतज़ार करना पड़ा था। इसका मुख्य कारण था तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह का भारत संघ में शामिल होने का विरोध करना। वह अपनी रियासत को स्वतंत्र रखना चाहते थे।पकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के वह समर्थक और मित्र थे। जिन्ना ने नवाब को पाकिस्तान का हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया था। जिसके बाद वह अपनी बेटी आबिदा को रियासत की जिमेदारी सौप पाकिस्तान जाना चाहते थे।लेकिन बेटी के इंकार के बाद वह भारत में ही रुक गए। भारत सरकार की विलय नीति का विरोध शुरू कर दिया। आजादी के बाद भी दो साल तक यहाँ नवाब का ही शासन रहा। वह भारत सरकार के किसी जश्न में शामिल नहीं हुए थे। स्वतंत्रता के अवसर पर भोपाल में नहीं फहराया था तिरंगा।
ऐसे बनी भोपाल रियासत भारत संघ का हिस्सा -
- ब्रिटिश हुकूमत से भारत को 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी लेकिन राजधानी भोपाल को आजादी के लिए दो साल इन्तजार करना पड़ा था।
-नवाब ने मार्च 1948 में भोपाल को स्वतंत्र घोषित कर दिया था।
-मई 1948 में नवाब ने भोपाल सरकार का एक मंत्रिमंडल बनाया।
- जिसका प्रधानमंत्री चतुरनारायण मालवीय को बनाया गया।
- मंत्रिमंडल निर्माण के साथ भोपाल की जनता ने विलय के लिए विद्रोह कर दिया।
-इसके बाद 29 जनवरी 1949 में नवाब ने मंत्रिमंडल भंग कर पूरा शासन अपने हाथों में ले लिया।
-विद्रोह के बढ़ने के बाद भारत सरकार ने नवाब को चेतावनी दी की वह भारत संघ में शामिल हो।
-आखिरकार तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल के प्रयासों से 30 अप्रैल 1949 को नवाब ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।
-जिसके बाद आज ही के दिन 1 जून 1949 को भोपाल रियासत भारत का हिस्सा बन गई।