भोपाल: पुलिस ने 6 घंटे डिजिटल अरेस्ट किए गए पीड़ित को बचाया, करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले थे जालसाज

Update: 2024-11-10 13:56 GMT

पुलिस ने 6 घंटे डिजिटल अरेस्ट किए गए पीड़ित को बचाया

भोपाल। मध्यप्रदेश साइबर पुलिस भोपाल द्वारा संभवतः देश में पहली बार किसी व्यक्ति को लाइव 6 घंटे डिजिटल अरेस्ट से बचाया गया। डिजिटल अरेस्टमें रहने के दौरान उसके बंद कमरे को खुलवाकर पुलिस ने पीड़ित को बाहर निकाला और निश्चित तौर पर डिजिटल अरेस्ट से होने वाली करोड़ों रुपए की ठगी होने से बचाया।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय, भोपाल) योगेश देशमुख द्वारा सायबर क्राइम के प्रकरणों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने एवं त्वरित कार्यवाही की गई। 9 नवम्बर 2024 को डीजीपी योगेश देशमुख को अरेरा कॉलोनी भोपाल निवासी एक व्यक्ति के डिजिटल अरेस्ट होने की सूचना प्राप्त हुई थी। पुलिस टीम भेजकर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कराने हेतु निर्देशित किया गया था।

पुलिस टीम बिना एक पल गवाएं अरेरा कॉलोनी भोपाल स्थित पीड़ित विवेक ओबेरॉय (दुबई में कॉर्परिट सैक्टर उद्यमी) के घर पहुंची। टीम ने पाया कि, पीड़ित को अज्ञात सायबर जालसाज द्वारा फर्जी TRAI Legal Cell ऑफिसर बताकर फंसाया गाय। जालसाजों ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम सेल ऑफिसर SI विक्रम सिंह और CBI ऑफिसर IPS-DCP मनीष कलवानिया बताया। फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर पीड़ित के आधार कार्ड पर जारी सिम Unsolicited Marketing से जुड़ी होने और आधार कार्ड से विभिन्न राज्यों में फर्जी बैंक खाते खुले होने के नाम पर डराया गया।

जालसाजों ने SKYPE App Download कराकर SKYPE Video कॉलिंग पर 3 मोबाइल फोन और 1 लैपटाप पर दोपहर लगभग 1 बजे से उनके ही घर के एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट करके रखा था। फर्जी डिजिटल पूछताछ के दौरान उनसे उनकी तथा उनके परिवार की निजी जानकरिया, बैंकिंग डिटेल्स पूछी गई है और न बताने पर उन्हें धमकाया गया।

पीड़ित को कहा गया कि, आपको गिरफ्तार किया जाएगा और परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाया जाएगा। परिवार के किसी भी सदस्य से इस डिजिटल अरेस्ट के संबंध में न बताने को भी कहा गया था। TRAI, CBI, तथा मुंबई क्राइम ब्रांच के फर्जी पुलिस अधिकारी से सायबर पुलिस टीम द्वारा परिचय देकर बात की गई और उनके उनकी ID verification के लिए मांगी गई तो जालसाजों द्वारा तत्काल फोन काट दिया गया और सारे SKYPE Video Call disconnect कर दिए।

बाद में पीड़ित को टीम द्वारा समझाया गया और उन्हें फोन और लैपटाप की डिजिटल अरेस्ट की Virtual दुनिया से बाहर निकाला गया। उन्हें बताया गया कि डिजिटल अरेस्ट जैसा देश में कोई प्रावधान नहीं है।

गौरतलब है कि हाल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से कहा गया था कि, 'डिजिटल अरैस्ट से डरे नहीं। डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ भी नहीं है।

एडवाइजरी :

देश में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी प्रावधान नहीं है और न ही कोई असली पुलिस अधिकारी फोन पर विडियो कोल पर डिजिटल अरेस्ट होने के लिए कहता है। ऐसे कॉल मेसेज प्राप्त होने पर कोई उत्तर न दें एवं उन नंबर्स को तत्काल ब्लॉक कर दें। ऐसे मामलों को अपने नजदीकी पुलिस थाने पर जाकर या ऑनलाइन cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।

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