आरजीपीवी घोटाले में ईडी की कार्रवाई: निष्कासित कुलपति, कुलसचिव सहित अन्य की 10.77 करोड़ की संपत्ति कुर्क…
विशेष संवाददाता, भोपाल: भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में करीब दो साल पहले सामने आए घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), भोपाल ने विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति सुनील कुमार, तत्कालीन कुलसचिव राकेश सिंह राजपूत और तत्कालीन वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा, कुमार मयंक, रामकुमार रघुवंशी, तत्कालीन बैंक अधिकारियों और आरजीपीवी घोटाले में शामिल अन्य निजी व्यक्तियों की 10.77 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया है। कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है।
प्रवर्तन निदेशालय ने गांधी नगर पुलिस स्टेशन, भोपाल द्वारा दर्ज आईपीसी 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत आरजीपीवी विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ 19.48 करोड़ रुपये के धन के गबन के मामले में दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। ईडी की जांच में पता चला है कि आरजीपीवी विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कुमार मयंक और अन्य व्यक्तियों ने विश्वविद्यालय के 19.48 करोड़ रुपये के फंड की हेराफेरी की है और इसे अपने निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। इससे पहले, पीएमएलए, 2002 की धारा 17 के तहत तलाशी और जब्ती की कार्रवाई के दौरान 1.67 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण, म्यूचुअल फंड और बैंक बैलेंस भी फ्रीज किए गए थे। आगे की जांच जारी है।
जबलपुर के शैलेन्द्र पसारी के 57.96 लाख कुर्क
प्रवर्तन निदेशालय, भोपाल ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत शैलेंद्र पसारी की 57.96 लाख रुपये की चल और अचल संपत्ति को अनंतिम रूप से कुर्क की है। ईडी ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में शैलेंद्र पसारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत सीबीआई, एसीबी, जबलपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की।
अपनी जांच के दौरान सीबीआई, एसीबी, जबलपुर ने 1.30 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में शैलेंद्र पसारी और उनकी पत्नी श्रीमती ज्योति पसारी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
ईडी की जांच में पता चला है कि शैलेंद्र पसारी ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर बैंक खातों में नकदी जमा करके बड़ी मात्रा में चल और अचल संपत्तियां जमा की थीं और अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट बनाकर उनका शोधन किया था। इससे पहले सीबीआई ने शैलेंद्र पसारी और उनकी पत्नी के घर, दफ्तर और लॉकर से 72.97 लाख रुपये की भारतीय मुद्रा बरामद की थी।