आदर्श पालक थे दादाजी बैजनाथ शर्मा : श्रीधर पराडक़र

  • - स्वदेश व विचार परिवार से जुड़े संगठनों ने दादाजी को अर्पित की पुष्पांजलि

Update: 2020-12-10 02:00 GMT

ग्वालियर/वेब डेस्क। सार्वजनिक जीवन में अपने नाम से नहीं बल्कि मास्टर जी के नाम से चर्चित व स्वदेश प्रकाशन के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ स्वयंसेवक स्व. पंडित बैजनाथ शर्मा दादाजी को बुधवार को स्वदेश परिवार के साथ-साथ विचार परिवार से जुड़े संगठनों ने अश्रुपूरित भावांजलि अर्पित की। स्वदेश परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दादा जी की स्मृतियों को याद करते हुए वक्ता व प्रबुद्धजन भाव-विभोर हो गए। उन्होंने अपनी तरफ से दादाजी का पुष्पांजलि अर्पित की। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडक़र जी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि एक आदर्श पालक कैसा होना चाहिए वह सभी गुण दादाजी में थे। उन्होंने संघ कार्य को चूल्हे तक पहुंचाया। पूरे घर को संघ कार्य के लिए बना दिया। ऐसा संयुक्त परिवार बनाया, जिसके दरवाजे हमेशा लोगों की सेवा के लिए खुले रहे। निश्चित रूप से उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायी रहेगा।

    काकाजी ने कहा कि श्रद्धांजलि सभा में बोलना जीवन में सबसे कठिन समय होता है। क्योंकि वर्षों जिसके साथ रहे, कार्य किया, उसका जाना पहले ही दुखों से भरा है। ऐसे में उनकी स्मृतियों को स्मरण करना आसान नहीं होता। लेकिन जो आया है तो जाएगा। इस लोक में आना तो हमारे हाथ में नहीं होता लेकिन जाना हमारे हाथ में होता है। क्योंकि आपके कर्म हमेशा याद रखे जाते हैं और उनकी चर्चा होती है। ऐसा श्रेष्ठ जीवन दादाजी ने जिया है।

    सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने दादा स्व. बैजनाथ शर्मा जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि दादाजी आदर्श शिक्षक के साथ-साथ समाजसेवी थे। हजारों लोगों को उन्होंने समाजसेवा के लिए प्रेरित किया। उनके पुत्र ने भी समाजसेवा के क्षेत्र में आदर्श स्थापित किया। एक आदर्श स्वयंसेवक कैसा हो वह गुण दीपक जी में थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर विभाग के संघचालक विजय गुप्ता ने दादाजी से जुड़े वृतांत सुनाते हुए उन्हें ाावांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि आत्मीयता एवं सामाजिकता का भाव उनमें कूट-कूटकर भरा था, वे एक-दूसरे के दर्द को बखूबी समझते थे। चारों पुत्रों में मास्टर जी के संस्कार हैं। दीपक जी में मैं दादाजी की छवि देखता था।

    क्रीडा भारती के प्रांत अध्यक्ष दीपक सचेती ने कहा कि दादाजी खुश-मिजाज होने के साथ-साथ हर एक की मदद करने की प्रेरणा उनमें कूट-कूट कर भरी थी। उनके दरवाजे हमेशा सबके लिए खुले थे। वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. राजेन्द्र बांदिल ने कहा कि दादाजी मेरे शिक्षक रहने के साथ-साथ संघ में मार्गदर्शक की भूमिका में मंडल कार्यवाह व संघचालक रहे। लंबे कालखण्ड तक उनके साथ रहने व कार्य करने का अवसर मिला। वे लोकसंग्रही स्वभाव के थे और हर स्वयंसेवक को लोकसंग्रही बनाया। वे जिससे मिलते थे वह उन्हीं का हो जाता था, ऐसे थे दादाजी।

    संस्कार भारती के प्रांत कार्यकारी अध्यक्ष अतुल अधौलिया ने कहा कि अनुशासन प्रियता उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। दादाजी बहुत ही सहजता से बड़ी बात कह दिया करते थे। घर-परिवार की चिंता भी पालक की तरह करते थे। उनके बेटे दीपक जी से मेरे मित्रवत संबंध में थे। दोनों का जाना निश्चित रूप से मेरी लिए अपूरणीय क्षति है। केदारधाम विद्यापीठ के प्रबंधक आनंद दीक्षित ने दादाजी से जुड़ा संस्मरण सुनाते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही उन्होंने विद्या भारती अ िाल भारतीय शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय महामंत्री श्रीराम अरावकर के शोक संदेश का वाचन किया।

    नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष विनोद सूरी ने कहा व्यक्ति जन्म लेता है तो मृत्यु निश्चित है। समाज जीवन में ज्यादातर लोग अपने लिए जीते हैं, लेकिन कुछ बिरले होते हैं जो समाज के लिए जीते हैं। उनमें से एक थे मास्टर जी, जिन्होंने पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया। स्व. बैजनाथ शर्मा जी का नागरिक सहकारी बैंक की नींव रखने में अ ाूतपूर्व योगदान रहा है।

    भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी दादाजी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि ऐसी महान विभूतियों का जाना हम सबके लिए बहुत दुखदायी समय है। ऐसे त्यागी-तपस्वी लोग समाज में आदर्श स्थापित करते हैं। इन सबके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।

    श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर, विभाग सह संघचालक अशोक पाठक, स्वदेश के संचालक यशवर्धन जैन, स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के प्रांत उपाध्यक्ष दिनेश भागवत, भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश मंत्री अरविन्द मिश्रा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सह व्यवस्था प्रमुख कमल जैन, राष्ट्रोत्थान न्यास के सचिव अरुण अग्रवाल, डॉ. कुमार संजीव, हरीश मेवाफरोश आदि ने भी पुष्पांजलि अर्पित की। संचालन सुरेश हिन्दुस्तानी ने किया।

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