झुंडपुरा के शिवशक्ति कॉलेज का मामला: जीवाजी विवि के कुलगुरु प्रो.तिवारी सहित 16 प्रोफेसर और 2 असिस्टेंट प्रोफेसरों पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज…

ऐसा पहली बार हुआ है जब दो विश्वविद्यालय के खिलाफ मामला दर्ज;

Update: 2025-01-13 16:02 GMT

ग्वालियर। मुरैना के झुंडपुरा में स्थित शिवशक्ति महाविद्यालय को फर्जी तरीके से संचालित करने के मामले में कॉलेज संचालक रघुराज सिंह जादौन सहित जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अविनाश तिवारी, 16 प्रोफेसरों और दो असिस्टेंट प्रोफेसरों के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

जानकारी के अनुसार आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने जिन 16 प्रोफेसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें से एक प्रो. केएस ठाकुर वर्तमान में गोविंद गुरु ट्राइबल विश्वविद्यालय बांसवाड़ा राजस्थान में कुलगुरु हैं। इसके साथ ही प्रो. एपीएस चौहान के खिलाफ भी शिकायत थी, उनकी मृत्यु हो जाने के कारण एफआईआर में उनका नाम शामिल नहीं किया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब दो पदस्थ कुलगुरुओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

दुर्गा कॉलोनी में रहने वाले डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में शिवशक्ति महाविद्यालय झुंडपुरा, सबलगढ़, जिला मुरैना के खिलाफ फर्जी रूप से कॉलेज संचालित करने की शिकायत की थी।

जिसकी जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा की गई थी, इस जांच में पता चला कि संचालक रघुराज सिंह जादौन द्वारा अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कूट रचित दस्तावेज तैयार किए गए। जिसके आधार पर कॉलेज की मान्यता एवं संबद्धता प्राप्त कर छात्रों के फर्जी प्रवेश दिखाकर स्कॉलरशिप व अन्य मदों में लाभ प्राप्त कर शासन को आर्थिक क्षति भी पहुंचाई गई है।

जो निरीक्षण करने गए उन पर भी मामला दर्ज :

जीवाजी विश्चविद्यालय जिन कॉलेजों को संबद्धता देता है उनका निरीक्षण भी प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों द्वारा कराया जाता है। शिवशक्ति महाविद्यालय का निरीक्षण करने के लिए अलग-अलग साल में अलग-अलग टीमें गईं थीं। इन टीमों में जो प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल थे उन पर भी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने एफआइआर दर्ज की है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने जीवाजी विवि के प्रो. एके हल्वे, प्रो. एसके गुप्ता, प्रो. एसके सिंह, प्रो. सीपी शिंदे, प्रो. आरए शर्मा, प्रो. अविनाश तिवारी (कुलगुरु जीविवि), प्रो. केएस ठाकुर (कुलगुरु गोविंद गुरु ट्राइबल विश्वविद्यालय बांसवाड़ा) प्रो. ज्योति प्रसाद, प्रो. नवनीत गरुड़, प्रो. एसके द्विवेदी, प्रो. हेमंत शर्मा, प्रो. राधा तोमर, प्रो. आरपी पांडेय, प्रो. एमके गुप्ता, प्रो. सुरेश सचदेवा, प्रो. मीना श्रीवास्तव, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सपन पटेल तथा डॉ. निमिषा जादौन के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।

शिकायतकर्ता महाविद्यालय में प्राचार्य बताया था, यहीं से शिकायत शुरू हुई : आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत करने वाले डॉ. अरुण शर्मा को शिवशक्ति महाविद्यालय में प्राचार्य बताया गया था। यह बात शर्मा को पता चली तो उन्होंने सबसे पहले जीवाजी विवि के तत्कालीन रजिस्ट्रार आरके बघेल को आवेदन दिया कि उन्हें इस महाविद्यालय में फर्जी तरीके से प्राचार्य बताया गया है। इसलिए उन्हें उस सूची से हटाया जाए। जीवाजी विवि प्रबंधन ने डॉ. शर्मा की बात नहीं सुनी तो डॉ. शर्मा ने गांव के लोगों से कॉलेज के संबंध में पूछताछ की तो पता चला कि यह कॉलेज तो वहां कभी रहा ही नहीं है।

इसके बाद उन्होंने यह बात जीवाजी विवि के अधिकारियों को बताई, तब भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने मुरैना पुलिस, ग्वालियर पुलिस, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, उच्च शिक्षा विभाग, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय में भी शिकायत पहुंचाई। उन्होंने 25 जून 2023 को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत की थी। इस शिकायत को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने गंभीरता से लिया और जांच शुरू कर दी। इस महाविद्यालय के बारे में यह भी जानकारी मिली है कि यह 2014-15 में झुंडपुरा से सबलगढ़ में ट्रांसफर कर दिया गया था।

जिनके खिलाफ एफआईआर हुई उनमें से छह सेवानिवृत्त और एक की मृत्यु हो चुकी है :

जिन प्रोफेसरों के खिलाफ एफआईआर की गई है उनमें से छह प्रोफेसर प्रो. एके हल्वे, प्रो. एसके गुप्ता, प्रो. सीपी शिंदे, प्रो. ज्योति प्रसाद, प्रो.एसके द्विवेदी तथा प्रो. आरपी पांडेय सेवानिवृत्त हो चुके हैं और प्रो. आरए शर्मा की मृत्यु हो चुकी है।

अब कुलगुरु हटाए जाएंगे या धारा 52 लगेगी :

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की एफआईआर में आए दो प्रोफेसर प्रो. अविनाश तिवारी और प्रो.केएस ठाकुर वर्तमान में कुलगुरु हैं, इन विश्वविद्यालयों से यह कुलगुरु हटाए जाएंगे अथवा यहां पर धारा 52 लगाई जाएगी। इस संबंध में भी तरह-तरह की चर्चाएं हैं।

"कॉलेज के झुंडपुरा में स्थित होने पर मैं निरीक्षण के लिए नहीं गया था, कॉलेज जब सबलगढ़ ट्रांसफर हो गया था उसके बाद ही जांच करने के लिए गया था।" - प्रो. अविनाश तिवारी, कुलगुरु, जीविवि

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