MP NEWS: ग्वालियर में कचरे से बनेगी बिजली, निगम का 6 मेगावाट बिजली बनाने का प्लान

Update: 2025-01-24 12:29 GMT

ग्वालियर में कचरे से बनेगी बिजली

Electricity will be Produced from Garbage in Gwalior : मध्य प्रदेश। ग्वालियर में कचरे की समस्या अब खत्म होने की दिशा में बढ़ रही है। पिछले एक दशक से ग्वालियर में कचरे का मसला परेशानियों का कारण बना हुआ था, लेकिन अब केदारपुर लैंडफिल साइट (Kedarpur Landfill Site) पर घरों और बाजारों से निकलने वाले कचरे का उपयोग बायो सीएनजी (Bio CNG) और बिजली उत्पादन में किया जाएगा। वर्तमान में, केदारपुर लैंडफिल साइट पर औसतन 450-550 टन कचरा पहुंचता है, और इस कचरे का उपयोग अब ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जाएगा।

सूखा और गीला कचरा से बनेगी बिजली

केदारपुर लैंडफिल साइट पर प्रत्येक दिन लगभग 450-550 टन कचरा इकट्ठा होता है, जिसमें 55 प्रतिशत सूखा कचरा और 45 प्रतिशत गीला कचरा होता है। इस कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए नगर निगम (Municipal Corporation) ने पूरी योजना तैयार की है। नगर निगम ने राज्य सरकार (State Government) को एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (Detailed Project Report) प्रस्तुत की है, जिसमें इस कचरे से बायो सीएनजी और बिजली बनाने की योजना शामिल है।

110 करोड़ की लागत से होगा बिजली उत्पादन

ग्वालियर नगर निगम ने कचरे से बिजली बनाने के लिए एक प्रोसेसिंग मशीन लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका अनुमानित लागत 110 करोड़ रुपये (110 Crore) है। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद MIC (Municipal Investment Committee) से प्रस्ताव पास किया जाएगा और इसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

केदारपुर साइट पर सूखे कचरे जैसे प्लास्टिक (Plastic) और पॉलीथिन (Polythene) से 6 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा गया है। पहले 4 मेगावाट बिजली प्लांट का सुझाव था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 6 मेगावाट कर दिया गया है।

कचरे से बनेगा बायो सीएनजी गैस

नगर निगम ने कचरे से बायो सीएनजी गैस बनाने के लिए पहले ही एक प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा था, जिसे मंजूरी मिल चुकी है। प्रदेश सरकार (State Government) ने 75 करोड़ रुपये की लागत से दो बायो सीएनजी प्लांट (Bio CNG Plants) लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।

इन प्लांट्स में एक सीएनजी (CNG) गैस बनाने के लिए होगा और दूसरा सूखे कचरे को प्रोसेस करने के लिए। नगर निगम को कचड़े से बायो सीएनजी गैस बनाने के लिए हर दिन 335 टन गीला कचरा (Wet Waste) और 227 टीपीडी सूखा कचरा (Dry Waste) की आवश्यकता होगी।


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