ग्वालियर। बारिश के दौरान नदियों में बढऩे वाले जलस्तर से पुल को कोई खतरा न हो इसके लिए उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मंडल ने चंबल पुल समेत आठ प्रमुख पुलों पर जल स्तर निगरानी प्रणाली की स्थापना की है। सेंसर युक्त प्रणाली वाले इस उपकरण की खास बात यह कि अगर किन्हीं कारणों से नदी का पानी उच्च बाढ़ स्तर की ओर पहुंचता है तो पलभर में इसकी सूचना रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों को मिल जाएगी।
बारिश के दिनों में संरक्षित यातायात के लिए रेलवे ने यह उपकरण झांसी मंडल के मुरैना के पास चंबल नदी पुल समेत आगरा एवं झांसी मंडल के कुल दस प्रमुख पुलों पर लगाए हैं। इसके तहत जल स्तर मापने का उपकरण लगातार अल्ट्रासोनिक तरंगें भेजता है, जो नदी में बने पुल पर जल स्तर की सटीक निगरानी कर लेता है। इंटेलीजेंट फील्ड डिवाइस के साथ जल स्तर मापने वाला उपकरण जो डब्ल्यूएलएमआई के साथ संचार करता है और प्रत्येक पुल के जल स्तर का डेटा एक केंद्रीय सर्वर तक पहुंचाता है। यह उपकरण प्रत्येक पांच मिनट में जल स्तर का रिकार्ड करता है। इंटेलीजेंस फील्ड डिवाइस की वजह से बाद में इसकी जानकारी एसएमएस के माध्यम से उन रेलवे अधिकारियों एवं कर्मचारियों तक पहुंचती है जो पुलों के रख-रखाव से जुड़े हुए हैं। ऐसे में अगर पुल के नीचे ज्यादा पानी आ जाता है तो समय रहते रेल प्रशासन संरक्षा से जुड़े जरूरी इंतजाम कर सकता है।
मालगोदाम की जगह पर बनने लगी एलएचबी के लिए पिट लाइन
आधुनिक एलएचबी (लिंक होफमैन बुश) कोचों के लिए ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर पिट लाइन का काम एक साल में पूरा होगा। रेलवे यहां नई पिट लाइन बनवा रहा है। इसका काम एक माह से चल रहा है। पिट लाइन ऐसी लाइन होती है जिस पर ट्रेन के कोच खड़े होते हैं और नीचे जगह होती है, जहां खड़े रहकर रेलकर्मी आसानी से कोच का मेंटीनेंस कर सकते हैं। साथ ही धुलाई करते हैं। इस तरह की लाइन में तीव्र प्रकाश की व्यवस्था होती है, ताकि कोच के पहियों में किसी भी तरह की तकनीकी कमियों को कम समय में पकड़ा जा सके। अभी ग्वालियर में तीन पिट लाइनें हैं, जिन पर पुरानी डिजाइन के कोचों का मेंटीनेंस किया जा रहा है। नई लाइन लगभग 10 करोड़ की लागत से बन रही है। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि एक साल बाद मंडल की ट्रेनों के एलएचबी कोचों का मेंटीनेंस किया जाएगा।