जूनियर डॉक्टर मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान, नया छात्रावास बनने पर भी पुराने में रहने को मजबूर
ग्वालियर, न.सं.। विपदा के समय चिकित्सकों का संघर्ष और उनका योगदान हम सभी ने देखा है। मानव सेवा व योगदान की अहम कड़ी चिकित्सक है। जयारोग्य चिकित्सालय की बात करें तो यहां का पूरा भार जूनियर चिकित्सकों पर ही रहता है। लेकिन यह जूनियर किन हालातों में रहकर काम करने के साथ अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इन चिकित्सकों के लिए न तो रहने के लिए बेहतर जगह है और न ही ड्यूटी के दौरान आराम करने के लिए कोई व्यवस्था।
जयारोग्य में बने जूनियर चिकित्सक छात्रावास की बात करें तो भवन की स्थिति जर्जर हो चुकी है। चिकित्सकों के कमरों में जगह-जगह पानी टपक रहा है। इसके अलावा छात्रावास में संचालित मैस की बात करें तो वह भी व्यवस्थित नहीं है। इतना ही नहीं छात्रावास में पीने के लिए स्वच्छ पानी तक की व्यवस्था नहीं है। जिस कारण चिकित्सकों को खुद ही पानी के कैम्पर मंगाने पड़ते हैं। छात्रावास में शैचालयों की बात करें तो गेट टूटे पड़े हुए हैं और नलों की टोटियां भी टूटी हुई है। ऐसा नहीं है कि चिकित्सकों की इस परेशानी को दूर नहीं किया जा सका। जूनियर चिकित्सकों के लिए अस्पताल परिसर में ही नया छात्रावास एक वर्ष पूर्व ही बन कर तैयार हो चुका है। लेकिन जिम्मेदारों की अंदेखी और पीआईयू के अधिकारियों की लापरवाही के कारण छात्रावास में अभी तक चिकित्सकों को सिफ्ट नहीं किया जा सका है।
फर्नीचर भी लाना पड़ता है खुद से
छात्रावासों में चिकित्सकों के लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं कराया जाता, जो फर्नीचर उपलब्ध है वह टूटा हुआ है। जिस कारण चिकित्सकों को खुद से ही पलंग सहित अन्य फर्नीचर बाजार से ही खरीदना पड़ता है।
ड्यूटी रूम भी नहीं व्यवस्थित
जयारोग्य के अधिकांश विभागों में चिकित्सकों के लिए ड्यूटी रूम तक व्यवस्थित नहीं है। रात के समय ड्यूटी के दौरान अगर चिकित्सक आराम करना चाहे तो कुछ ड्यूटी रूम में कूलर तक नहीं लगे हैं। इतना ही नहीं कुछ विभागों में तो चिकित्सकों के मरीजों के लिए बने शैचालयों का उपयोग करना पड़ता है। इसके अलावा चिकित्सकों को पीने के लिए पानी खुद से ही बाहर से मंगाना पड़ता है।
12 से 36 घंटे तक करते हैं ड्यूटी
जूनियर चिकित्सकों की ड्यूटी की बात करें तो कभी-कभी चिकित्सकों को 12 से 36 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ती है। ऐसे में चिकित्सकों को मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जाती। जिस कारण चिकित्सकों का व्यवहार भी चिड़चिड़ा हो जाता है और आए दिन मरीजों के परिजनों के साथ विवाद की स्थिति भी बनती है। अगर चिकित्सकों को बेहतर व्यवस्थाएं मिले तो झगड़े भी कम होंगे।
सर्जरी विभाग में नहीं ड्यूटी रूम
जयारोग्य के सर्जरी विभाग की बात करें तो यहां एक वर्ष पूर्व ड्यूटी रूम की छत गिर गई थी। जिस कारण अब सर्जरी विभाग में जूनियर के लिए ड्यूटी रूम तक नहीं है। ऐसे में चिकित्सकों को अगर रात के समय आराम भी करना पड़ता है तो वह दूसरे विभाग के ड्यूटी रूम का उपयोग करते हैं।
अधिष्ठाता को सौंपेंगे ज्ञापन
जूड़ा अध्यक्ष डॉ. हिमांशु गौर का कहना है कि अस्पताल में ड्यूटी रूम से लेकर छात्रावासों की स्थिति बहुत ही दयनीय है। ड्यूटी रूम में अगर खाने पीने का सामान भी रख दिया जाए तो चूहे खा जाते हैं। इसके अलावा आराम करने के लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में चिकित्सकों को काम करने में परेशानी हो रही है। इसलिए महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. अक्षय निगम को ज्ञापन दिया जाएगा।
नए छात्रावासों में चिकित्सकों को एक माह में सिफ्ट कर दिया जाएगा। साथ ही एक हजार विस्तर का अस्पताल लगभग तैयार हो चुका है और अगले तीन माह में विभागों को सिफ्ट करना शुरू किया जाएगा। जिसके बाद ड्यूटी रूम की परेशानी भी खत्म हो जाएगी।
डॉ. अक्षय निगम
अधिष्ठाता, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय