स्नेह के बंधन निराले बिन छुए ही बंध गए...
पता नहीं श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी न जाने क्या हुआ कि वे भावुुक हो बैठे और उनकी आंखें भी नम हो गई।
'स्नेह के बंधन निराले बिन छुए ही बंध गए ,
है तुम्हें विश्वास बंधन खोलकर दिखलाओ तो '
ग्वालियर / नवीन सविता। वाकई स्नेह का बंधन निराला ही होता है। ये बेहद महीन धागा है, जिसे तोड़ पाना अंसभव है, बशर्ते कि स्नेह निश्छल हो। सोमवार की दोपहर ग्वालियर से कोई 10-15 किमी दूर आंतरी गांव में ऐसे ही निश्छल प्रेम का दृश्य अपने उदात्त रूप में हिलोरें लेते हुए सबने देखा।
असल में आंतरी में भितरवार से भाजपा प्रत्याशी मोहन सिंह राठौर के समर्थन में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक चुनावी सभा संंबोधित करनी थी, दोपहर कोई 11 बजे सभा में क्षेत्र की तमाम भीड़ जुट गई थी। जवान, बूढ़े, महिला, पुरुष सभी इस सभा में अपने 'महाराज ' को सुनने आए थे। हेलिकॉप्टर से महाराज यहां पहुंचे और जैसे ही मंच पर दाखिल हुए लोगों में उत्साह भर गया। भाषण शुरू हुआ सिंधिया जी ने जैसे ही कहा कि 'मैं आपको मतदाता नहीं परिवार का हिस्सा मानता हूं ', वैसे ही जनता मुग्ध हो गई। भाषण करते-करते श्री सिंधिया लोगों के बीच भीड़ में जा पहुंचे। ऐन अपने नजदीक महाराज को देख लोग हतप्रभ थे और अचंभित भी। एकाएक श्री सिंधिया ने भीड़़ में बैठी एक महिला के नजदीक जाकर उसका नाम पूछा भर था कि वह फफक पड़़ी। उसकी आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बह निकली। श्री सिंधिया ने उसे पास बुलाया और गले से लगा लिया। ये भावुक क्षण थे पता नहीं श्री सिंधिया को भी न जाने क्या हुआ कि वे भावुुक हो बैठे और उनकी आंखें भी नम हो गई। उन्होंने खुद को संंभाला और महिला को भी ढांढस बंधाया।
दरअसल, कन्हैयाबाई नाम की यह महिला सिंधिया की सहजता, सरलता और अपनेपन से इतनी विभोर हो गई कि आंसू नहीं रोक पाई। पूछने पर उसने बताया कि लाड़ली बहना के 1250 रूपए उसे भी मिलते हैं। इससे बच्चों के लालन-पालन में बहुत मदद मिलती है। कहने लगी -'हमेन तो जेई सरकार चइए महाराज जे रूपईया बंद मत करईयों, हमाये बाल बच्चा पल रए ऐ जासों '। सिंधिया ने भरोसा दिलाया कि चिंता मत करो भाजपा की सरकार सबका ध्यान रखेगी। भीड़ में ऐसे कई महिला पुुरुष थे जिन्होनें सिंधिया से बात की। उन्हें अपने बीच पाकर वे अभिभूत थे। बीते रोज दक्षिण विधानसभा में भी ऐसा ही नजारा पेश आया। जब एक बुजुर्ग महिला ने सिंधिया के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया।