-दावेदारों की नजर गोटियों पर
ग्वालियर/वेब डेस्क। नगर निगम में महापौर का पद सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस बार महपौर की गोटी किस वर्ग के पाले में जाएगी, इसे लेकर सबकी निगाह भोपाल पर लगी हुई है। जहां बुधवार को गोटियां डालकर प्रदेश के नगरीय निकायों में महापौर पद के लिए आरक्षण होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछली बार ग्वालियर का महापौर पद सामान्य वर्ग के खाते में था और भाजपा के विवेक नारायण शेजवलकर ने कांग्रेस के स्व. दर्शन सिंह को हराकर महापौर पद प्राप्त किया था। वर्ष 1994 में महापौर का चुनाव परिषद के अंदर पार्षदों(अप्रत्यक्ष प्रणाली) द्वारा किया गया था। जिसमें भाजपा की स्व. अरुणा सैन्या ने कांग्रेस की डॉ. प्रेमलता पिपरिया को हराया था। वर्ष 1999 में महापौर का चुनाव सीधे जनता(प्रत्यक्ष प्रणाली) द्वारा किया जाने लगा। जिसमें भाजपा के पूरन सिंह पलैया ने कांग्रेस के डॉ. हरिशंकर पिपरिया को हराया। वर्ष 2004 में यह पद सामान्य होने पर भाजपा के विवेक शेजवलकर ने कांग्रेस के गोविंददास अग्रवाल को पटखनी दी। वर्ष 2009 में यह सीट पिछड़ा वर्ग महिला होने पर भाजपा की समीक्षा गुप्ता ने कांग्रेस की उमा सेंगर को शिकस्त दी। इस तरह पिछले पांच चुनावों से महापौर की सीट भाजपा के खाते में है। इस बार संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि यह सीट पिछड़ा वर्ग पुरुष हो सकती है। इसके अलावा अन्य वर्ग के लोग भी लालायित है कि यदि उनके वर्ग के अनुकूल गोटी खुली तो वे चुनाव मैदान में उतर सकेंगे।
रोचक होगा मुकाबला
यदि पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा ने लोकसभा सीट अच्छे मतों से हासिल कर ली। किंतु वर्ष 2018 और हाल ही में हुए उप-चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस भी भाजपा से कमतर नहीं है। 2018 कें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शहर की तीनों सीटें जीती थी। वहीं उप-चुनाव में भी उसे शहर की ग्वालियर पूर्व विधानसभा मिल गई है। ऐसे में कांग्रेस भी महापौर सीट प्राप्त करने के लिए पूरी ताकत झौकेगी। वहीं भाजपा संगठन की न सिर्फ महापौर सीट बल्कि समूचे नगरीय निकाय चुनावों पर पैनी नजर है। इस लिहाज से नगरीय चुनावों में रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।