कहीं हमेशा के लिए बंद तो नहीं हो गई ग्वालियर की छुक-छुक गाड़ी

दर्जनों गांवों को जोडऩे का थी एकमात्र साधन

Update: 2020-09-26 01:00 GMT

ग्वालियर,न.सं.। स्टेट समय से चली आ रही ग्वालियर-सबलगढ़-श्योपुर नैरोगेज ट्रेन पिछले पांच महीने से बंद पड़ी है। ऐसे में गाड़ी के रेलवे ट्रैक पर लाल झंडी लगाकर रेलवे विभाग ने ट्रैक पर कोई ना जाए इसके इंतजाम किए हैं। महीनों से बंद पड़ी गाड़ी को लेकर अब लोगों को में चर्चा है कि कहीं कोरोना के चलते बंद हुई यह नैरोगेज ट्रेन हमेशा के लिए तो बंद नहीं हो गई। इसको लेकर रेलवे अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं। पिछले पांच माह से बंद रेलगाड़ी दर्जनों गांवों के ग्रामीणों को सबलगढ़, सुमावली और श्योपुर जिला मुख्यालय तक पहुंचाने का एकमात्र साधन थी। अब ग्रामीण सड़क मार्ग से काफी लंबा सफर तय कर गंतव्य तक पहुंच रहे है।

यहां बता दें कि ग्वालियर से संचालित होने वाली नैरोगेज ट्रेन न केवल ग्वालियर से सबलगढ़, अम्बिकेश्वर, सुमावली,जौरा-अलापुर, भट्पुरा, कैलारस, सेमई, पीपलवाली चौकी, सबलगढ़, रामपहाड़ी, विजयपुर रोड, कैमाराकलां रोड तक जाती है बल्कि इससे श्योपुर तक जाने वाले यात्री भी यात्रा करते हैं। इस दौरान यह ट्रेन जिन गांव या रास्तों से होकर गुजरती है, वहां के ग्रामीण इसी में यात्रा करते हैं। वह बात अलग है कि टिकट बहुत कम लोग ही लेते हैं, लेकिन उत्तर मध्य रेलवे के ग्वालियर के साथ जुड़ी इस गाड़ी को रेलवे विभाग ने कभी भी घाटे में चलने के कारण बंद नहीं किया गया। बल्कि इसके ऐतिहासिक महत्व और स्टेट समय की विरासत को देखते हुए हमेशा चालू रखा। इस गाड़ी से ग्वालियर की यादें जुड़ी हुई है। इसे ग्वालियर राजघराने से भी जोड़कर देखा जाता है, लेकिन वर्तमान में यह गाड़ी पिछले 5 माह से ट्रैक पर नहीं आई है। जिसके पीछे कोरोना का कारण बताया गया है, लेकिन रेलवे विभाग ने सभी टै्रकों पर गाडिय़ां फिर से शुरू कर दी, लेकिन ग्वालियर की छुक-छुक गाड़ी अपने ट्रेक पर नहीं आ पायी है।

ग्वालियर के लिए 45 के बजाए 200 रुपए

लॉकडाउन के बाद से नैरोगेज ट्रेनें बंद हैं। ऐसे में नैरोगेज से जाने वाले यात्रियों को ग्वालियर व सबलगढ़ जाने के लिए बस से यात्रा करनी पड़ रही है और पांच गुना तक किराया चुकाना पड़ रहा है। चार नैरोगेज ट्रेनें श्योपुर से संचालित है, जिनमें श्योपुर से ग्वालियर, ग्वालियर से श्योपुर, सबलगढ़-श्योपुर-सबलगढ़ और ग्वालियर-सबलगढ़-ग्वालियर ट्रेनें शामिल हैं। सबलगढ़ से श्योपुर के लिए नैरोगेज से जहां उन्हें 20 रुपए किराया चुकाना पड़ता है। वहीं अब बस से यात्रा करने पर सबलगढ़ तक के 120 रुपए देने पड़ रहे हंै। इसके अलावा ग्वालियर नैरोगेज बंद होने से 45 रुपए किराए की जगह बस में यात्रियों को 200 रुपए का किराया देना पड़ रहा है। इसके अलावा बसों में भीड़ भी बढ़ गई है। इससे यात्रियों को यात्रा करने में परेशानी हो रही है।

अधिकारियों का दावा, चार साल में काम पूरा होगा

रेलवे अधिकारियों का दावा है कि चार साल में 2912.96 करोड़ रुपए की लागत से ग्वालियर से श्योपुर के बीच 187 कि.मी. लंबा ब्रॉडगेज ट्रैक बिछा दिया जाएगा। गेज परिवर्तन का यह काम ग्वालियर के बिरलानगर स्टेशन से श्योपुर के बीच किया जाना प्रस्तावित है। यह काम तीन चरणों में पूरा करना है।

पटरियों को हटाने का काम जल्द शुरू होगा

187.53 किलोमीटर की लंबाई में बड़ी लाइन का ट्रैक बिछाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बानमोर गांव से सबलगढ़ के बीच ट्रैक बिछाने के लिए अब रेलवे नैरोगेज की पटरियों को हटाने का काम जल्द शुरू होगा। सूत्रों की मानें तो जल्द ही ठेकेद्वार द्वारा पटरियों को हटाने का काम शुरू किया जाएगा।

इनका कहना है

अभी टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। टेंडर होने के बाद पटरियों को डिस्मेंटल किया जाएगा। ट्रेन का संचालन लॉकडाउन के कारण बंद है।

-मनोज कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, झांसी मंडल

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