भारतीय संस्कृति के पुरोधा हैं जनचेतना नायक भगवान श्रीराम: आचार्य देवव्रत
ग्वालियर, न.सं.। भारतीय शिक्षण मंडल के सौजन्य से दीन बंधु छोटूराम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय मुरथल के सहयोग से भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र एवं स्वरूप विषय पर तीन दिवसीय Online international conference held की गई। जिसमें मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भगवान श्रीराम हमारे लिए आदर्श हैं और हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना की, उन्होंने हमें सत्य के मार्ग पर चलने की राह दिखाई भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति के पुरोधा हैं। भगवान श्रीराम ने एक आज्ञाकारी पुत्र, एक पिता और पत्नीव्रता पति, बड़े भाई, जननायक एवं जन-जन के संरक्षक के कर्तव्य का सही निर्वहन कर हमारे सामने मर्यादा, संयम, त्याग, स्नेह और मानवतावादी व्यक्तित्व के साथ रामराज्य की स्थापना कर प्रेरणादायी मिसाल पेश की है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज और परिवार टूट रहे हैं भाई भाई का स्नेह समाप्त हो रहा है, बूढ़े माता -पिता आज वृद्धाश्रम में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं, हमारे संस्कार समाप्त होते जा रहे हैं ऐसी स्थिति में भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र एवं आदर्श हमें अपनी युवा पीढ़ी को आदर्श एवं प्रेरणा विरासत के रूप में देने चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने पिता की आज्ञा को सर्वोपरि माना और राज्य का त्याग कर दिया, भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न ने भी त्याग का परिचय देते हुए बड़े भाई की चरण पादुका से राज्य व्यवस्था को चलाकर आपसी भाईचारा एवं प्रेम की भारतीय परंपरा को पेश किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम का जीवन हमें सही जीवन जीने और अपने राष्ट्र समाज और परिवार के प्रति कर्तव्य का बोध कराता है और प्रेरणा देता है। मुख्यवक्ता अखिल भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि हमारी संस्कृति पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। भगवान श्रीराम की शक्ति चरित्र में है संस्कार में है।
स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद में रामराज्य की परिकल्पना पर चर्चाएं होती रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी कड़ी में समर्थ भारत विश्वसनीय भारत की रचना करने की बात कहते हैं, जिस पर हमें चिंतन करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. अनायत ने भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र एवं स्वरूप के साथ रामायण के महत्वपूर्ण अध्याय पर विस्तृत विचार रखे। भारतीय शिक्षण मंडल हरियाणा के प्रांत मंत्री सुनील शर्मा ने मुख्य अतिथियों सहभागी विद्वानों एवं राम भक्तों का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस दौरान नेपाल से आचार्य गुरुप्रसाद, उच्चतम न्यायालय नेपाल के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ रामकृष्ण तिमालसेना, प्रो. तेजेंद्र शर्मा ने भी विषय पर प्रकाश डाला। इस दौरान उप रजिस्ट्रार चंचल भारद्वाज, डॉ. ज्योति श्योराण, भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. मनोज दीक्षित, राष्ट्रीय महामंत्री उमाशंकर पचौरी, संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर, अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख एवं पालक अधिकारी पंकज नाफड़े एवं पुष्पेन्द्र राठी, प्रांत अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।