डॉ अंजना ने "अखण्ड तत्कार" के माध्यम से की शिव की आराधना
शिवरात्रि महोत्सव का होगा आयोजन
ग्वालियर। प्रेम समझना हो तो शिव को देखिये। कैलाशवासी महादेव विरक्त और अघोरी प्रतीत होते हैं पर ऐसे हैं नहीं। कामदेव को क्षणभर में भस्म कर देने वाले शिव सती के प्रति कितना गहन प्रेम रखते हैं। इसका दर्शन तो तभी हो पाता है जब सती शिव की प्रतिष्ठा के लिये आत्मदाह कर लेती हैं। तब विछोह से क्षुब्ध, व्याकुल, अशान्त हो शिव महाविनाश का पर्याय बन उठते हैं। उस समय प्रकट होता है शिव का अन्तर्मन। ये शब्द जयपुर घराने की सुप्रसिध्द नृत्यांगना डॉ. अंजना झा ने कहे है।
जैसे की हम सभी जानते हैं कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना होती है और माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि बनाई जाती है।
गुरु एवं पिता से मिली प्रेरणा -
भगवान शिव जो नृत्य के देवता है। जिनकी हम महाशिवरात्रि पर नटराज के रूप में आराधना करते है। डॉ अंजना ने घर में रहकर "अखण्ड तत्कार" के माध्यम से देवों के देव महादेव शिव की आराधना की ।जिसमें सुबह से लेकर शाम तक 12 घंटे तक बिना रुके लगातार तत्कार की । वे महा शिवरात्रि के पर्व पर पिछले तीन साल से शहर में यह " अखंड ततकार " का आयोजन कर रही है। उन्हें ये प्रेरणा अपने पिता अशोक कुमार झा एवं गुरु पंडित राजेंद्र गंगानी से मिली है। ये तत्कार जोकि भगवान नटराज शिव की नृत्य शैली की आराधना है। धार्मिक रूप से भगवान शिव से जोड़े रखती है।
शिवरात्रि महोत्सव -
राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्विद्यालय के कथक नृत्य विभाग द्वारा महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में कल 12 मार्च को शिवरात्रि महोतसव का आयोजन किया जायेगा। ये महोत्सव तानसेन सभागार में आयोजित होगा। , इसमें कथक विभाग के छात्र -छात्राएं भगवान शिव को समर्पित नृत्य करेंगे ।