स्मार्ट सिटी से अनुबंधित स्टार्ट अप का राष्ट्रीय स्तर पर हुआ चयन

प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने वाले स्टार्टअप्स को सराहा

Update: 2020-08-11 13:35 GMT

ग्वालियर।  शहर के ऐसे प्रगतिशील युवा जिनके पास बेहतर आईडियाज तो हैं लेकिन आर्थिक एवं अन्य अभावों के कारण वह स्वयं को खडा नहीं कर पा रहे हैं। उनके लिये ग्वालियर स्मार्ट सिटी द्वारा इंक्युबेशन सेंटर "ड्रीम हैचर " के माध्यम से शहर के स्टार्टअप्स को परीक्षण, सलाह तथा एक पटल प्रदान किया जा रहा है। जहां से वे अपने आइडिया को प्रोडक्ट में ढालकर दुनिया के समक्ष ला सकते हैं। अभी हाल ही में ग्वालियर के इंक्युबेशन के द्वारा चुने गये स्टार्टअप को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। इंक्युबेशन सेंटर से जुडे युवा उद्यमी राजदीप पाण्डे के आईओटी पर आधारित स्मार्ट ड्रीप डिवाईस प्रजोक्ट को कृषि-उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत स्टार्टअप के रुप में चुना गया है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि-फर्मों को बढ़ावा देने के लिए, कृषि और संबद्ध क्षेत्र में 350 स्टार्टअप में 36 करोड़ के करीब निवेश करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई थी। यह निवेश मंत्रालय की कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत कृषि-उद्यमिता विकास कार्यक्रम का हिस्सा होगा। इसी के तहत ग्वालियर के राजदीप पाण्डे के स्टार्टअप का चयन किया गया है। 

स्टार्ट आप शुरू करने स्मार्ट सिटी करेगा सहयोग 

राजदीप के इस स्टार्टअप का राष्ट्रीय स्तर पर चयन को लेकर स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह नें राजदीप सहीत पूरी इक्युबेशन सेंटर "ड्रीम हैचर की टीम को बधाई दी। उन्होने बताया कि  में युवा एवं प्रतिभावान उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से  इंक्युबेशन सेंटर "ड्रीम हैचर" के माध्यम से अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अपनायेगी। जिससे युवा अपने खुद के आइडियाज को धरातल पर उतार सके और अपने कैरियर स्टार्टअप कर सकें, युवाओं के इस सपने को साकार करने में स्मार्ट सिटी द्वारा हरसंभव मदद की जायेगी। सीईओश्रीमती सिंह नें बताया कि राजदीप जल संरक्षण की दिशा में शानदार काम कर रहे हैं। उनका यह प्रयास युवाओं के लिए मिसाल है। ड्रीम हैचर इन्युबेशन सेंटर टीम उनके इस स्टार्टअप को सेटअप जमाने सहीत प्रमोशन और फंडिग के लिये पूरी मदद करेगी।



राजदीप का अब तक सफर 

बता दें की डीडी नगर निवासी राजदीप पांडेय ने वर्ष 2014 में आइटीएम यूनिवर्सिटी से कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद एनआइटी सूरत से रिसर्च भी किया। इस दौरान उनका रुझान जल संरक्षण क्षेत्र में हुआ। वर्ष 2016 से आइआइटी मुंबई में प्रोजेक्ट इंजीनियर के तौर पर काम किया, लेकिन इस बीच नौकरी की जगह अपना स्टार्टअप शुरू करने की जिज्ञासा इन्हें फिर ग्वालियर खींच लाई। 2018 से इन्होने स्मार्ट ड्रीप एप प्रोजेक्ट पर काम शुरू किए। 2019 में सक्षम प्रोग्राम के तहत स्टार्टअप की ट्रेनिंग के लिये काशीपुर, उत्तराखण्ड आइआइएम से ली। इसके बाद कृषि मंत्रालय से प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग मिली। उनके द्वारा जल संरक्षण की दिशा में इस एप को बनाकर बेहतरीन प्रयास किया है। उनके द्वारा बनाये गये इस स्मार्ट ड्रीप एप से किसान अपने खेत में यह जान सकेगे कि खेत में कब और कितने पानी की आवश्कता है। इसके लिए खेत में सेंसर लगाया जाता है। जो कि खेत की नमी की मात्रा को एप के जरिये प्रदर्शित करता है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के माध्यम से बोरिंग से भी इसका कनेक्शन होगा। इसके माध्यरम से किसान घर बैठे मोबाइल से सिंचाई शुरू और बंद कर सकते हैं। मूलत: ग्वालियर के रहने वाले राजदीप के इस स्मार्ट ड्रिप प्रोजेक्ट को आइआइटी मद्रास व काशीपुर आइआइएम ने भी मान्यता दी है।



जल संरक्षण एवं कृषि पैदावर में उपयोगी-

राजदीप का कहना है कि उनके इस एप की मदद से खेतो में सिंचाई करने में अन्य माध्यमो की तुलना 30 प्रतिशत ज्यादा पानी की बचत होती है वही 20 प्रतिशत ज्यादा पैदावर बढती है। इनका पायलट प्रोजेक्ट ग्वालियर के शारदा बाल ग्राम में लगाया गया है, जो काफी सफल है। चेन्नई की एक निजी कंपनी इसकी फंडिंग भी कर रही है।

खाद की कमी पर भी अलर्ट

सिंचाई के साथ साथ एप से यह भी पता चल जाएगा कि खेत में खाद की मात्रा की कितनी जरूरत है। इसके लिए किसान का स्वायल हेल्थ कार्ड एप के माध्यम से डाउनलोड होता है, जिसके बाद प्रत्येक खेत के हिसाब से खाद की मात्रा का आंकड़ा एप में फीड हो जाता है। इसके लिए बोरिंग मशीन के पाइप के साथ तरल खाद की सप्लाई की जाती है। पानी के साथ-साथ खेतों में खाद भी पहुंचती है।

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