बदनाम बस्ती में स्वयंसेवक जगा रहे योग व शिक्षा की अलख
कोरोना काल में स्वयंसेवक दे रहे बच्चों को शिक्षा
ग्वालियर। समाज में यदि अनगिनत बुराइयां हैं तो उन्हें दूर करने के लिए हजारों हाथ भी हैं। यह अलग बात है कि कुछ लोग इनसे नजर चुराकर निकल जाते हैं तो कुछ ऐसा करके स्वयं को आइने में नहीं देख पाते। शहर की सीमा से सटे बदनापुर का नाम सुनते ही लोगों की सोच बदल जाती है। देह व्यापार के लिए बदनाम इस बस्ती में शहर का सभ्य आदमी जाने से भी डरता है। लेकिन इसके बाद भी इस बदनाम बस्ती में रहने वाले बच्चों का भविष्य संवारने के लिए स्वयंसेवक एवं थिंक एंड सपोर्ट फाउंडेशन संस्था के सदस्य इस बस्ती में जाकर यहां रहने वाले बच्चों को शिक्षा और योग का ज्ञान बांट रहे हैं। कोरोना काल के बीच पिछले कुछ महीनों से स्वयंसेवक व संस्था के सदस्य यहां रहने वाले बच्चों को सुबह योग सिखाते हैं और उसके बाद इन बच्चों को प्राथमिक स्तर तक की शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। वैसे बदनापुर में शासकीय स्कूल है, लेकिन कोरोना काल की वजह से शिक्षकों के नहीं आने से यहां रहने वाले लोग अपने बच्चों को स्कूल में पढऩे नहीं भेजते हैं। इसके बाद भी पिछले कुछ महीनों से स्वयंसेवकों ने इस गांव के बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है और वह इस नेक कार्य में बिना किसी स्वार्थ के यहां के बच्चों को शिक्षा का ज्ञान बांट रहे हैं।
बिना बुलाए आ जाते हैं बच्चे
फाउंडेशन की सदस्य संजना छारी और रूपल छारी जब सुबह बदनापुर बस्ती में पहुंचती हैं तो इनको देखते ही आधा सैकड़ा बच्चे अपने आप आ जाते हंै। नियमित रूप से सभी बच्चे यहां पर आकर योग व प्राथमिक स्तर की शिक्षा ग्रहण कर रहे हंै। संजना छारी वर्तमान में केआरजी महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। सदस्यों की मानें तो सेवा कार्य के दौरान शुरुआत में कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया। लेकिन वहां के कुछ लोगों की सहायता से वह यह कार्य कर रहे हैं।
बदनापुर के लोगों ने किया था विरोध
सदस्य जब वहां के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने जाते थे तो वहां रहने वाली महिलाओं और कुछ पुरुषों ने सदस्यों से कहा था कि बच्चों को पढ़ाकर क्या मिलेगा। इन लोगों को काम करने दो। लेकिन सदस्यों ने हार न मानते हुए अपने इस कार्य को जारी रखा। आज इसकी परिणाम है कि करीब आधा सैकड़ा बच्चे प्रतिदिन शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही योग की बारीकियां सीख रहे हैं।
मलिन बस्तियों में भी कर रहे सेवा
संस्था के सदस्य बदनापुर ही नहीं बल्कि मांढरे की माता मंदिर परिसर में रोज वहां रहने वाले बच्चों को नृत्य, मेंहदी, चित्रकला का प्रशिक्षण दे रहे हैं। सदस्य मलिन बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्चों को न सिर्फ नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि उन्हें पैरों पर खड़े होने के काबिल बना रहे हैं। सेवा का यह कार्य अनवरत जारी है।
युवाओं को मुख्य धारा से जोडऩे का है प्रयास
स्वयंसेवक एवं संस्था के अध्यक्ष अनिल कांत बताते हैं कि बदनापुर बस्ती अनैतिक कार्यों के लिए बदनाम है। कई लोग यहां आने से कतराते हैं। यहां पर विद्यालय होने के बाद भी बच्चों को शिक्षित नहीं किया जा रहा। ऐसे में हमने युवाओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया और उसकी शुरुआत की। शुरुआत में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी। हमारा उद्देश्य युवाओं को शिक्षित कर मुख्य धारा से उन्हें जोडऩा है।