प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता संकल्प को मप्र करेगा चरितार्थ : मुख्यमंत्री
इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण
इंदौर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे संसार के कल्याण की बात को ग्लोबल गुड, पी-3 एप्रोच, मिशन लाइफ, वेस्ट-टू-वेल्थ (कचरे से कंचन) और पंचामृत के माध्यम से सामने रखा है। पंचामृत में वर्ष 2070 तक नेट जीरो, वर्ष 2030 तक गैर परम्परागत ऊर्जा क्षमता 500 गीगावॉट करने, कार्बन इंटेनसिटी 45 प्रतिशत से कम करने, कार्बन उत्सर्जन में वर्ष 2030 तक एक बिलियन टन की कमी लाने का लक्ष्य शामिल है। साथ ही सर्कुलर इकोनॉमी अर्थात पर्यावरण मित्र भारत बनाने का संकल्प और लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हम सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस पर्यावरण हितैषी मंत्र और संकल्प को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश ने अमल प्रारंभ किया है। मध्यप्रदेश उनके इस मंत्र को धरती पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव भारत के लिए स्वर्णकाल है। मध्यप्रदेश स्वच्छता और पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर दिखाएगा।
यह बातें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट के लोकार्पण कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कही। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार दोपहर में दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से इंदौर में स्थापित इस एशिया के सबसे बड़े सीएनजी प्लांट का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान कोरोना संक्रमित होने के कारण भोपाल से वर्चुअली जुड़े। उन्होंने इंदौर के अपनी तरह के अनोखे गोबर-धन सीएनजी संयंत्र के लोकार्पण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी सहित सभी वर्चुअली और एक्चुअली उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से इंदौर ने 'वेस्ट टू वेल्थ' के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। हमें गर्व है कि गीले कचरे से सीएनजी बनाने वाले इस एशिया के सबसे बड़े गोबर-धन प्लांट का आज प्रधानमंत्री वर्चुअल लोकार्पण कर रहे हैं। यह प्लांट प्रधानमंत्री मोदी के मंत्र "वेस्ट टू वेल्थ" पर अमल का एक उदाहरण है। उन्होंने स्वच्छता और पर्यावरण से जुड़े विषय पर पूरी दुनिया में क्रांतिकारी विचार रखा है। यह प्रधानमंत्री जी का धरती को बचाने का अभियान है। प्रधानमंत्री के लिए विश्व के अन्य देशों के प्रमुख वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रीड और वन नरेन्द्र मोदी जैसी प्रशंसनीय उक्ति का प्रयोग करते हैं। प्रधानमंत्री जी ने शक्तिशाली और वैभवशाली भारत के निर्माण की पहल की है। वसुधैव कुटुम्बकम के भाव के साथ ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के उनके ईमानदार प्रयास के सभी साक्षी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर देश का पहला वाटर प्लस शहर है। यहां डस्ट फ्री शहर, इंदौर बिन फ्री के साथ जीरो वेस्ट कॉलोनी, जीरो वेस्ट इवेंट, जीरो वेस्ट मार्केट और जीरो वेस्ट वार्ड विकसित किए जा रहे हैं। इंदौर शहर के 21 बाजार जीरो वेस्ट मार्केट घोषित हुए हैं, जहां सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह प्रतिबंधित है। उन्होंने बताया कि इंदौर में झोलाधारी इंदौरी अभियान का आगाज भी किया है। इंदौर नगरीय क्षेत्र की स्लम बस्तियों को ग्रीन स्लम के रूप में विकसित करने का कार्य लगातार किया जा रहा है। सरस्वती एवं कान्ह रिवर लाइफ लाइन प्रोजेक्ट नदियों के पुनर्जीवन के आंदोलन का प्रतीक है। इंदौर शहर के पुराने कचरे के पहाड़ों को वैज्ञानिक पद्धति से समाप्त किया गया है। भोपाल में भी ऐसे प्रयास हो रहे हैं।
पशुपालकों और किसानों से खरीदेंगे गोबर -
चौहान ने कहा कि इंदौर के आसपास के ग्राम से पशुपालकों और किसानों से गोबर और अन्य कचरे को क्रय कर धन बनाने वाला संयंत्र होगा। अनेक परिवारों को इस प्लांट से स्थायी रोजगार मिल रहा है। कचरे के साथ गोबर का उपयोग बैक्टीरिया डेवलप करने के लिए प्रोसेस किया जाएगा। प्लांट से 17 से 18 टन सीएनजी और 100 टन जैविक खाद रोजाना मिलेगी। बाजार मूल्य 5 रुपये प्रति किलो कम कीमत पर सिटी बसों के लिए सीएनजी की उपलब्धता होगी। प्लांट में शुरुआती दौर में 21 प्रतिशत और अगले तीन वर्ष में शत-प्रतिशत सौर ऊर्जा का उपयोग होगा। इंदौर शहर को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा। साथ ही वायु की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार होगा।
अंकुर अभियान वृक्षारोपण और जन-भागीदारी -
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा हम सभी का कर्तव्य है। मध्यप्रदेश में जन-सहयोग से अंकुर अभियान संचालित किया जा रहा है। प्रदेश में 6 लाख से अधिक नागरिक स्वेच्छा से पौधे लगाने का कार्य करते हैं। लगाए गए पौधों के विकास और संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं प्रतिदिन पौध-रोपण करते हैं। इन कार्यों में सामाजिक संगठन, पर्यावरण प्रेमी लगातार जुड़ रहे हैं। पर्यावरण को बचाने का अभियान तेज हो रहा है। मध्यप्रदेश में अन्य क्षेत्रों में भी जन-भागीदारी से श्रेष्ठ कार्य किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के पर्यावरण संरक्षण और बिजली की बचत के संदेश को भी मध्यप्रदेश के लोगों ने आत्मसात किया है।