पर्यटक स्थल देव-खो पर लगती है सैलानियों की भीड, यहां नहीं है सुविधाऐं
प्यास बुझाने के लिये गहरी खो के भीतर से लाना पड़ता है सैलानियों को पानी, शौचालयों में लटके हुए ताले
कराहल। कूनो वन्यप्राणी अभ्यारण्य में पर्यटकों का ह्रदय स्थल बन चुके देव-खो पर शनिवार और रविवार को सैलानियों की भीड़ लगने लगी है, लेकिन यहां आने वाले लोगों को इस प्राकृतिक सौंदर्य के बीच कई असुविधाओं का भी सामना करना पड़ता है। कूनों वन्यप्राणी अभ्यारण्य की अनदेखी के चलते लोगोें को यहां पीने तक के पानी की व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि दूसरी और कूनो वन्यप्राणी अभ्यारण्य द्वारा यहां आने वाले सैलानियों से वाहन कर भी वसूल किया जाता है।
मालूम हो कि, कूनो वन्यप्राणी अभ्यारण्य में यूं तो कई अद्भुत स्थल है, लेकिन उन्हीं में से एक है देव-खो जो कूनो वन्यप्राणी अभ्यारण्य में घूमने आने वाले सैलानियों इन दूनों खूब रास आ रहा है। पत्थरों के बीच ऊचाई से गिरने वाले झरने की बौछारे लोगों को अपनी और आकर्षित करती प्रतीत होती हैं, यहां आने के लोगों को यहां एक अलग ही प्राकृतिक दृश्य दिखाई देता है, वहीं दूसरी और जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण सैलानियों को पीने के पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है। पानी के अभाव में शौचालयों में भी ताले लटके हुए है। ऐसे में यहां आने वाले सैलानियों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।
श्योपुर सहित, आस-पास के जिलों व समीपस्थ राजस्थान से भी आते हैं सैलानी
कूनो वन्यप्राणी अभ्यारण्य के बीच प्रकृति के इस अदभुत नजारे का लुत्फ उठाने के लिये श्योपुर ही नहीं बल्कि शिवपुरी, बैराड सहित समीपस्थ राजस्थान से भी सैलानी यहां परिवार सहित आते हैं।
इस तरह वसूला जाता है वाहनों से शुल्क
कूनों में आने वाले सैलानियों से कूनो वन मंडल द्वारा निर्धारित शुल्क भी वसूल किया जाता है। यहां शनिवार और रविवार के दिन कई परिवार प्राकृतिक झरने का आनंद उठाने के लिये आते हैं, जिनसे कूनो वन मंडल द्वारा कार से 100 रूपये, मोटर साइकिल से 25 रूपये, मिनीबस से 250 रूपये और सामान्य बस से 500 शुल्क लिया जाता है।