बागेश्वर धाम के प्रति श्रद्धा ने बदल दी तालिबान की तकदीर
20 वर्ष पहले मानसिक संतुलन खो बैठा फूल सिंह उर्फ तालिबान जी रहा सामान्य जिंदगी
घाट बमुरिया। बीते कुछ दिनों से लगातार चर्चा है कि बागेश्वरधाम बालाजी सरकार आश्रम के पीठाधीष्वर पं. धीरेन्द्रकृष्ण षास्त्री अंधविष्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके नागपुर में कथा के दौरान आयोजित दिव्य दरबार के ठीक पहले कथित अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रो. ष्याम मानव द्वारा दी गई चुनौती के बाद यह चर्चा प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में की जा रही है। एक बार बड़ा समुदाय इसे श्रद्धा मानते हुए बागेष्वरधाम सरकार पीठाधीष्वर के साथ है तो स्वंय को बुद्धिजीवी कहलाने वाला एक गुट इसे अंधविष्वास बता रहा है। दो गुटों में बंटे इस विषय के बीच घाट बमुरिया क्षेत्र से एक सत्य घटना सामने आई है। जो कि हिंदू, मुस्लिम सहित सभी वर्गों की आंखों देखी है, इसे कोई झुठला नहीं सकता।
दरअसल, करीब तीन माह से नेशनल हाईवे के घाट बमुरिया बस स्टॉप पर एक पागल का उत्पात थम गया है। पहले गंदे कपड़ों, उलझे बालों और फटे कपड़ों के कभी कचरे के ढेर पर बैठा तो कभी नाली के पानी से नहाता दिखाई देने वाला एक व्यक्ति अब साफ-सुथरे कपड़ों के साथ दुकानों पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेता है और सारगर्भित ज्ञान के साथ देश-दुनिया के मुद्दों पर चर्चा करता दिखाई देने लगा है। इस शस का नाम है फूल सिंह। जिसे बीस वर्षों तक लोग तालिबान के नाम से जानते थे।
मूलत: क्षेत्र के लप्तौरा गांव के निवासी फूलसिंह साहू का करीब बीस वर्ष पहले मानसिक संतुलन गड़बड़ हो गया था। वह लप्तौरा से घाट बमुरिया आ गया। फिर बीते बीस वर्षों से घाट बमुरिया का बस स्टॉप, पुल, नदी, कचरे के ढेर ही उसका स्थाई ठिकाना बन गए। वह गांजाशराब का नशा करता और कभी स्टॉप पर उत्पात करते तो कभी गंदगी से सराबोर कहीं सोता दिखाई देता। बच्चे उसे पत्थर मारते थे। उसके आतंकी कारनामों के कारण लोगों ने उसे तालिबान के नाम से पुकारना शुरु कर दिया। करीब तीन वर्ष पहले जब कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ तो उसकी हालत और भी बिगड़ गई।
वृद्ध मां की श्रद्धा ने बदल दी किस्मत
खेतीबाड़ी वाले फूल सिंह उर्फ तालिबान की उम्र करीब 50 वर्ष है। उसने बीए तक पढ़ाई की है और आवश्यक अंग्रेजी ज्ञान भी रखता है। युवावस्था में ही उसने मानसिक संतुलन खो दिया और बीबीबच्चे होने के बाद भी घर नहीं लौटा। घर वाले उसे कई बार घर ले जाने के लिए आए लेकिन आखिर में हार मान बैठे। लेकिन फूल सिंह की वृद्ध मां ने अंतिम तक हार नहीं मानी। करीब तीन माह पहले वह उसे जबरन छतरपुर जिले के बागेष्वरधाम बालाजी के दरबार में ले गई। आष्चर्यजनक रूप से फूलसिंह स्वेच्छा से लौटकर अपने घर पहुंचा और सभी नशे बंद कर दिए। रोजाना नहाना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे कर अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका है। उसकी बागेष्वरधाम सरकार में अगाध आस्था है। तब से लेकर अब तक वह कई बार मंगलवार और शनिवार की पेशी कर चुका है। अब वह अकेले भी बागेष्वरधाम चला जाता है। घाट बमुरिया क्षेत्र में फूलसिंह के जीवन में आया यह बदलाव चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग इसे बागेष्वरधाम सरकार की कृपा मान रहे हैं।