Delhi Election Result: हम तो डूबे हैं सनम तुमको भी ले डूबेंगे, आप के बंटाधार की वजह बनी कांग्रेस!

Delhi Election Result: माना जा रहा है कि अगर आप और कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव लड़ते तो भाजपा बहुमत तक नहीं पहुंच सकती थी।;

Update: 2025-02-08 16:57 GMT

Delhi Election Result

Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। सत्ताधीश आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे। भाजपा और आप की इस लड़ाई में कांग्रेस अपने नंबर पर बरकरार है। पिछले चुनाव की तरह इस चुनाव में भी कांग्रेस 0 सीटों पर ही है। मगर इस बार कांग्रेस के चलते आप को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। लोकसभा चुनाव साथ लड़ने वाली दोनों पार्टियां छह महीने बाद ही अलग हो गईं। माना जा रहा है कि कांग्रेस की वजह से आम आदमी पार्टी को 14 सीटों का नुकसान हो गया। जिसके चलते भाजपा को जीत मिल सकी।

कांग्रेस ने आप को हराया?

राजनीतिक विचारको की माने तो दिल्ली की 14 सीटों पर कांग्रेस के चलते आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ है। ऐसी 14 सीटें हैं जिनपर आप की हार का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम है। कहने का मतलब यह कि अगर किसी सीट पर आप को 10 वोटों से हार मिली है तो उस सीट पर कांग्रेस को 10 से ज्यादा वोट मिले हैं। इसलिए माना जा रहा है कि अगर दोनों पार्टियां गठबंधन में एक साथ चुनाव लडतीं तो आम आदमी पार्टी को 37 और भाजपा को 34 सीटें ही मिलतीं। दिल्ली में बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए। ऐसे में आप सरकार में बनी रहती।

ले डूबी होशियारी!

लोकसभा चुनाव में हुए फायदे के चलते राहुल गांधी को जीत की उम्मीद थी। आप को भी सरकार में रहते फ्री में दी गई सेवाओं पर भरोसा था। इसके बाद भी मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक कांग्रेस गठबंधन के लिए तैयार थी। पार्टी ने आप से 5-10 सीटों की मांग की थी। मगर बात नहीं बनी। दिसंबर महीने में केजरीवाल ने गठबंधन से इनकार कर दिया। पिछले चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर चार प्रतिशत था। कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ने को तैयार थे। ऐसे में कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाने के लिए चुनाव अकेले ही लड़ना पड़ा। जिसके चलते आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान सहना पड़ा।

एंटी इंकम्बेंसी कर गई खेल!

कांग्रेस पार्टी और आप के वोटर लगभग एक जैसे हैं। 2013 में आप को 30 और कांग्रेस को 25 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं 2020 में आप बढ़कर 54 प्रतिशत पहुंच गई और कांग्रेस घटकर 4 प्रतिशत पर। इस बीच भाजपा दोनों चुनाव में 35 प्रतिशत के इर्द गिर्द ही रही। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि आप और कांग्रेस के वोटर एक जैसे हैं। भ्रष्टाचार और भाजपा के बनाए माहौल के साथ ही इस बार आम आदमी पार्टी एंटी इंकम्बेंसी का सामना भी कर रही थी। कांग्रेस को इसका फायदा मिला। ऐसे वोटर जो भाजपा के नहीं हैं और आप को वोट देना नहीं चाहते उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा। और यहीं खेल हो गया। 14 ऐसी सीटें निकल कर सामने आईं जहां हार की मार्जिन से ज्यादा वोट कांग्रेस को मिले हैं।

आप के 6 उम्मीदवारों के खिलाफ कांग्रेस के दमदार कैंडिडेट

कांग्रेस पार्टी ने 6 सीटों पर आप के खिलाफ दमदार उम्मीदवारों को उतारा। इसके चलते अरविंद केजरीवाल भी चुनाव हार गए। कांग्रेस ने आप के कोर वोटर को साधने की कोशिश की। या यूं कहें कि कांग्रेस ने अपने खोये हुए जनाधार को पाने के लिए भाजपा के बजाय आप से लड़ाई लड़ी। कांग्रेस ने इस चुनाव में भाजपा को कम टारगेट करके आप को निशाना बनाया। 

  • नई दिल्ली सीट से केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षीत के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दिया।
  • आप ने मुस्लिम बहुल सलीमपुर से अपने विधायक अब्दुल रहमान का टिकट काट दिया। उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा और टिकट मिल गया।
  • चांदनी चौक से आप ने प्रहलाद सिंह को टिकट दिया। उनके खिलाफ कांग्रेस ने अपने कद्दवार नेता जय प्रकाश अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल को उम्मीदवार बनया।
  • कालकाजी सीट पर आतिशी के खिलाफ कांग्रेस ने अलका लांबा को टिकट दिया। अलका महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
  • कांग्रेस ने दमदार प्रवक्ता रागिनी नायक को आप के राजेश गुप्ता के सामने उतारा। यह मुकाबला वजीरपुर सीट पर हुआ।
  • द्वारका सीट पर कांग्रेस ने लाल बहादुर शास्त्री के परिवार के आदर्श शास्त्री को टिकट दिया। आप ने विनय मिश्रा को टिकट दिया था। 
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