पीएम मोदी का राहुल गांधी पर तंज: जिन्हें जनता ने नकारा वे संसद को गुंडागर्दी से नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे
Parliament Winter Session : नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि, 'जिन्हें जनता ने नकारा वे संसद को गुंडागर्दी से नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे।' आज, 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है ऐसे में पीएम मोदी ने नेता प्रतिपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए उन्हें जनता द्वारा नकारने की बात कही है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा -
"कुछ लोग जिन्हें जनता ने नकार दिया है, वे लगातार मुट्ठी भर लोगों की गुंडागर्दी के जरिए संसद को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। देश की जनता उनके सारे कर्मों को गिनती है और समय आने पर उन्हें सजा भी देती है। लेकिन सबसे पीड़ादायक बात ये है कि नए सांसद नए विचार, नई ऊर्जा लेकर आते हैं और वो किसी एक पार्टी के नहीं बल्कि सभी पार्टियों के होते हैं। सदन...लेकिन जिन्हें जनता ने लगातार 80-90 बार नकार दिया है, वो संसद में चर्चा नहीं होने देते। वो न तो लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं और न ही लोगों की आकांक्षाओं के महत्व को समझते हैं। उनके प्रति, वो उन्हें समझ नहीं पाते और इसका नतीजा ये होता है कि वो कभी भी लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते।"
'जनता को उन्हें (विपक्ष को) बार-बार खारिज करना होगा...यह लोकतंत्र की शर्त है कि हम लोगों की भावनाओं का सम्मान करें और उनकी आशाओं और अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करें।'' विपक्ष के कुछ सदस्य बहुत जिम्मेदारी से व्यवहार करते हैं, वे भी चाहते हैं कि सदन में काम सुचारू रूप से हो, जिन्हें जनता ने लगातार नकारा है, वे अपने सहयोगियों की बातों को नजरअंदाज करते हैं, उनकी भावनाओं का अनादर करते हैं। आज दुनिया हमें बड़ी आशा से देख रही है संसद का समय और सदन में हमारा व्यवहार ऐसा होना चाहिए जिससे वैश्विक स्तर पर भारत को जो सम्मान मिला है उसे और बल मिले।"
''2024 का आखिरी चरण चल रहा है और देश 2025 की तैयारी कर रहा है। संसद का यह सत्र कई मायनों में खास है और सबसे महत्वपूर्ण बात संविधान के 75वें साल की शुरुआत है। कल, संविधान सदन, हर कोई हमारे संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा।”
''भारत के मतदाता लोकतंत्र के प्रति समर्पित हैं, उनका समर्पण संविधान के प्रति है, उनकी आस्था संसदीय कार्य प्रणाली के प्रति है, संसद में बैठे हम सभी लोगों को जनता की भावनाओं पर खरा उतरना होगा। हम सदन में बहुत ही स्वस्थ तरीके से हर विषय के विभिन्न पहलुओं को उजागर करें, आने वाली पीढ़ियों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी, ऐसी मुझे उम्मीद है यह बहुत उपयोगी होगा...मैं एक बार फिर सभी सम्मानित सांसदों को इस सत्र को आगे बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं जोश और उत्साह के साथ।"