CG News: लाल सलाम को अब आदिवासियों ने किया नमस्ते, 4 दशकों का नक्सलवाद 387 दिनों में होगा खत्म

Update: 2025-03-08 17:13 GMT

Naxal Problem in Chhattisgarh

  • गृहमंत्री अमित शाह की डेडलाइन, सुरक्षा बलों को फ्री हैंड
  • वामपंथी माओवाद मुक्ति की ओर बस्तर

आदित्य त्रिपाठी @ रायपुर। पिछले 4 दशकों से वामपंथी माओवाद से प्रभावित रहे छत्तीसगढ़ की पहचान बदलने वाली है। ऐसा केवल एक साल और कुछ दिनों के अंतराल के बाद होने वाला है। सुरक्षा बलों की गोली से ढेर होने वाले नक्सलियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हिंसा का रास्ता छोड़कर माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं। बचे खुचे नक्सली प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले के जंगलों की ओर भाग रहे हैं। दूसरी ओर सरकार ने सुरक्षा बलों को फ्री हैंड दे रखा है। लेकिन इसके साथ ही प्रदेश के गृहमंत्री नक्सलियों के पुनर्वास के लिए सरकार के दरवाजे भी खोल दिए हैं। गृहमंत्री अमित शाह की नीतिगत योजना और शासन प्रशासन की पहल से हिंसा प्रभावित क्षेत्र में भयमुक्त होने का हौसला जगा है।

निर्णायक लड़ाई के लिए सुरक्षा बलों को फ्री हैंड

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 14 महीनों में 300 से ज्यादा नक्सली ढेर किए गए हैं। 972 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। वहीं 1180 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा नक्सलियों के कुछ संगठन एक जिले से दूसरे जिले की ओर जान बचाकर भाग रहे हैं। सरेंडर नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और नक्सल प्रभावित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 15,000 मकान स्वीकृत किए गए हैं।

मिट्टी में मिले हिंसा के स्मारक

वनांचलों में हिंसा और भय के प्रतीक बन चुके ट्रेनिंग कैम्पों के साथ ही माओवादियों के स्मारकों को सुरक्षा बलों ने जमींदोज किया है। नक्सल हिंसा प्रभावित 26 गांवों में पहली बार ध्वजारोहण और यहां त्रिस्तरीय पंचायतों के निर्वाचन में सुकमा जिले के पेंटाचिमली, केरलापेंदा, दुलेड, सुन्नम गुड़ा और पुवर्ती जैसे गांवों में पहली बार मतदान हुआ। सुकमा जिले के चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र में उपचार की इतनी बढिय़ा सुविधा मिल रही है कि इसे केंद्र सरकार से राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाणपत्र मिला है, वहीं 19 साल बाद दंतेवाड़ा जिले के पोटाली गांव में पुन: स्वास्थ्य केंद्र आरंभ किया गया है।

हर पांच किमी पर सुरक्षा कैंप

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के 250 कैंप और नियद नेल्लानार योजना (आपका अच्छा गांव) के तहत 58 नए कैंप स्थापित करने की रणनीति है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ के 4000 से अधिक कर्मियों वाली चार बटालियनों को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात किया है। नक्सलियों के पूर्ण सफाए के लिए इस समय बस्तर में 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।

बस्तर में आएगी बहार

बस्तर में वन और खनिज संपदा का भंडार है। यहां उद्योग नहीं लगे हैं, डेवलपमेंट नहीं हुआ है। बहुत से उद्योगों का रास्ता नक्सलियों ने बंद रखा है। बस्तर में नक्सलवाद खत्म होने से बस्तर की खनिज संपदा और वनोपज से जुड़ी इंडस्ट्री लग पाएगी। लोगों को रोजगार मिलेगा। अंदरूनी इलाकों में विकास होगा, जिससे बस्तरवासी आत्मनिर्भर होंगे। भय का वातावरण खत्म होगा। बस्तर में नक्सलवाद खत्म होने से बस्तर बहुत बड़ा पर्यटन का केंद्र बन सकता है। जो सुविधाएं नक्सलियों के कारण बस्तर में नहीं पहुंच पाई हैं, वह पहुंचेगी और बस्तर शांत और सुंदर होगा।


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