सिद्धि व रवि योग में मनाई जाएगी बसंत पंचमी, भगवान को लगेगा पीली वस्तुओं का भोग

Update: 2022-02-02 17:25 GMT

वेबडेस्क। बसंत पंचमी का महापर्व सिद्धि व रवि योग में शनिवार, 05 फरवीर को मनाया जाएगा। इस दिन माँ सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं कोरोना संक्रमण के कारण शहर के मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम सूक्ष्म रूप से होंगे। इस दौरान भगवान को पीले वस्त्र पहनाकर पीली वस्तुओं का भोग लगाया जाएगा। 

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार माघ माह शुक्ल पंचमी 05 फरवरी को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी और 06 फरवरी की सुबह 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। इस तरह बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी शनिवार को ही मनाया जाएगा। इस दिन सिद्धि योग सर्योदय से शाम 05.40 बजे तक और रवि योग शाम 04.08 बजे से पूरी रात रहेगा। पूजा के लिए शुभ समय सुबह 07 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक है।

पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तो महसूस किया कि जीवों की सृजन के बाद भी चारों ओर शांति है उनमें कोई राग, चहक ,आवाज नहीं है। तब उन्हें चिंता हुई, इसके बाद उन्होंंने विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिड़का, जिससे पृथ्वी पर एक अद्भुद् शक्ति प्रकट हुईं और उसमे कम्पन होने लगा। अत्यंत तेजवान इस शक्ति स्वरूप के एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में पुष्प, वीणा, कमंडल और माला थी। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया चारों ओर ज्ञान और उत्सव का वातावरण उत्पन्न हो गया, वेद मंत्र गूंजने लगे।

जिस दिन ये घटना घटी उस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। तब से इस दिन को माता सरस्वती के जन्म दिन तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन को सरस्वती जी के मंदिरों में विशेष उल्लास व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बसंती भोग लगाया जाता है व बसंती गीत गाए जाते हैं। इस दिन बड़े उत्साह से महिलाएं और बच्चें पीले परिधान धारण करते हैं और मां सरस्वती जी का पूजन करते है।विद्या बुद्धि की देवी माँ सरस्वती के शारदा देवी, वीणावादिनी, बागीश्वरी विद्या व संगीत की देवी अनेक रूपो में जाना और पूजा जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन के बाद सर्दी कम कम हो जाती है, पेड़ पौधे पुष्पित होने लगते हैं। चारों तरफ मनोहारी रूप दिखाई देने लगता है।

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