जन्माष्टमी पर बन रहा अद्भुत संयोग, 101 साल बाद द्वापर जैसे योग में होगा कृष्ण जन्म

Update: 2021-08-27 11:08 GMT

वेबडेस्क। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आगामी 30 अगस्त को सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी बहुत ही खास है। इस दिन कई विशेष संयोग बन रहे हैं। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर 101 साल बाद जयंती योग का एक अद्भुत संयोग भी बन रहा है। वहीं, इस दिन सर्वपापहारी योग भी रहेगा, जो कि सभी पापों का नाशक माना जाता है। इसके साथ ही इस बार कृष्ण भगवान के जन्म के समय की ग्रह स्थित द्वापर जैसी बनेगी।

ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने शुक्रवार को बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि जन्माष्टमी के अवसर पर 6 तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। ये 6 तत्व हैं- भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना। वर्षों बाद इस बार वैष्णव व गृहस्थ एक ही दिन जन्मोत्सव मनाएंगे।

30 अगस्त को विशेष संयोग - 

डॉ. तिवारी ने बताया कि श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, सोमवार रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि को श्रद्धालु जन्माष्टमी मनाते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी 30 अगस्त को विशेष संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन सोमवार है। अष्टमी तिथि 29 अगस्त की रात 10:10 बजे प्रवेश कर जाएगी, जो सोमवार रात्रि 12:24 तक रहेगी। रात्रिकाल में 12:24 तक अष्टमी है। इसके बाद नवमी तिथि प्रवेश कर जाएगी। इस समय चंद्रमा वृष राशि में रहेंगे। इन सभी संयोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र भी 30 अगस्त को रहेगा। रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश 30 अगस्त को प्रात: 6:49 में हो जाएगा। अर्धरात्रि को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक साथ मिल जाने से जयंती योग का निर्माण होता है। इसी योग में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।

101 साल के बाद जयंती योग - 

उन्होंने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी पर 101 साल के बाद जयंती योग का संयोग बना है। साथ ही अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र व सोमवार तीनों का एक साथ मिलना दुर्लभ है। इसके साथ ही इस बार का व्रत तीन जन्मों के पाप से मुक्त करने वाला होगा, क्योंकि 75 साल बाद ऐसा दुर्लभ सर्वपापहारी योग बन रहा है, इसके बाद वर्ष 2040 में यह संयोग बनेगा। सर्वपापहारी योग, निर्णय सिंधु के अनुसार ऐसे संयोग जब जन्माष्टमी पर बनते हैं तो श्रद्धालुओं को इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से तीन जन्मों के जाने-अनजाने में हुए पापों से मनुष्य को मुक्ति मिलती है ।

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