विंध्य से पूर्व सांसद, विधायक और महापौर सहित तीन दर्जन नेता बीजेपी में शामिल
कांग्रेस में पतझड़ का दौर
सतना में पदाधिकारी के नाम पर रह गए मात्र जिला अध्यक्ष
सतना। लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ कांग्रेस और बसपा के नेताओं में भाजपा में शामिल होने की होड़ लगी है। इस मामले में अब मध्य प्रदेश का विंध्य क्षेत्र भी शामिल हो गया। यहां के 3 दर्जन कांग्रेस के नेताओं ने आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। सतना जिले में जिस प्रकार से स्थिति है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में पार्टी में पदाधिकारी के नाम पर जिला अध्यक्षों की जोड़ी मात्र रह जाएगी।
विंध्य के 3 दर्जन कांग्रेस और बसपा नेताओं ने गुरुवार को राजधानी भोपाल में भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ले ली है। भाजपा के प्रदेश कार्यालय में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में सतना, मैहर और रीवा जिला के कांग्रेस नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली।भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने वालों की सूची में पूर्व सांसद, पूर्व विधायक सहित लोकसभा और विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी शामिल है।
पूर्व विधायक, पूर्व महापौर ने बीजेपी का दामन थामा
पहले सतना जिला की बात करते हैं यहां की नागौद विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर एक बार विधायक चुने गए यादवेंद्र सिंह ने सदस्यता ली है। यादवेंद्र वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नागौद सीट से किस्मत आजमाई थी और सफल भी रहे। तब यादवेंद्र को 55 हजार 879 वोट मिले थे जबकि भाजपा के प्रत्याशी गगनेन्द्र सिंह को 53 हजार 4 सौ 3 वोट मिले थे। हालांकि यह यादवेंद्र का तीसरा प्रयास था लेकिन यह सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी थी। 2003, 2008 फिर 2018 के चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। नागेंद्र सिंह यहां से जीतते रहे और मंत्री तक बने। 2023 में यादवेंद्र सिंह ने कांग्रेस से बगावत कर दी और बसपा में शामिल हो गए। इस दौरान हुए विधानसभा चुनाव में यादवेंद्र बसपा की टिकट पर नागौद सीट से लड़ाई लड़ी लेकिन सफल नहीं हुए। यादवेंद्र को 53 हजार 3 सौ 43 मत मिले और दूसरे नम्बर पर रहे। जबकि भाजपा के पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह को 70 हजार 712 मत मिले। कांग्रेस ने यहां से डॉ रश्मि सिंह को उतारा था। रश्मि को 50 हजार 2 सौ 82 मत मिले और तीसरे स्थान पर रहीं। इससे पहले भी यादवेंद्र ने कांग्रेस से बगावत की थी। वर्ष 1998 में कांग्रेस ने राजाराम त्रिपाठी को नागौद सीट से चुनाव में उतार दिया था तब यादवेंद्र स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़े। उन्हें 5 वां स्थान मिला। हालांकि इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राम प्रताप सिंह की जीत हुई थी। इस सूची में दूसरा बड़ा नाम पूर्व में लोकसभा प्रत्याशी रहे सुधीर सिंह तोमर का वह वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री है। 2009 में कांग्रेस ने सुधीर को लोकसभा का टिकट दिया था। तब उन्हें 90 हजार 8 सौ 6 वोट मिले थे और चौथे स्थान पर रहे। यह चुनाव भाजपा के प्रत्याशी गणेश सिंह ने जीता था उन्हें 1 लाख 94 हजार 6 सौ 24 मत मिले थे। इधर यादवेंद्र सिंह ने अपनी बहू
और नगर पंचायत अध्यक्ष नागौद प्रतिभा सिंह को भी भाजपा की सदस्यता दिलाई है।इनके अलावा सुधीर के भाई और पूर्व नगर पालिक निगम महापौर सतना पुष्कर सिंह भी भाजपा के सदस्य हो गए। इनके अलावा सतना जिला के पीसीसी सदस्य रविंद्र सेठी, मंडलम अध्यक्ष घूरडांग महेंद्र सिंह बघेल, वरिष्ठ नेता अजय त्रिपाठी, पूर्व पार्र्षद प्रदीप ताम्रकार, मोलई राम चौधरी पूर्व मंडी अध्यक्ष, मैहर, जिला महामंत्री राजन सिंह, श्रेयस ताम्रकार, नयन दीप सिंह सेठी, मनभरण यादव, पूर्व मंडलम अध्यक्ष बदेरा आदर्श जायसवाल, विधानसभा अध्यक्ष मैहर अजय विश्वकर्मा, पूर्व ब्लॉक कमेटी अध्यक्ष रामनगर धर्मेन्द्र सिंह और पूर्व जिला पंचायत सदस्य भीम सोनी के अलावा मैहर जिला के प्रदेश महासचिव एवं जिला पंचायत सदस्य देवदत्त सोनी, पूर्व आईजी रामलाल प्रजापति, रिटायर्ड डीएसपी समरजीत सिंह, सरपंच कचनार अनिल सिंह मुन्ना, सरपंच इटमा सुनील सिंह, सरपंच तिघरा पाठा नीरज सिंह के नाम शामिल हैं। इसी तरह बसपा नेता भी भाजपा में शामिल हुए हैं। जिसमें पूर्व विधानसभा प्रत्याशी एवं पूर्व जनपद अध्यक्ष मैहर नागेंद्र सिंह, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी एवं जनपद सदस्य रामपुर बघेलान रावेंद्र पटवारी, पूर्व पार्षद गुलाब बाई कौल, वरिष्ठ नेता अरुण द्विवेदी मोहनिया और यतेंद्र सिंह पूर्व जिला पंचायत सदस्य इसी तरह पूर्व कांग्रेसी विधायक स्वर्गीय प्रेम सिंह के रिश्ते में दामाद संजय सिंह कछवाह ने भी भाजपा ज्वाइन की है। वर्तमान में वह समाजवादी पार्टी के सदस्य थे।
रीवा से पूर्व सांसद और विधायक ने ली भाजपा की सदस्यता
अब बात रीवा जिला की जिसमें बड़ा नाम पूर्व सांसद देवराज सिंह पटेल और पूर्व विधायक राजकुमार उरमलिया का है। देवराज बहुजन समाज पार्टी से रीवा लोकसभा का चुनाव लड़े थे। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 में बसपा ने देवराज सिंह पटेल को टिकट थी। तब उन्हें 1 लाख 74 हजार 2 वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के नामचीन नेता श्रीनिवास तिवारी के पुत्र सुंदर लाल तिवारी के पुत्र सुंदर लाल तिवारी को 4 हजार 21 मतो से शिकस्त दी थी। सुंदर लाल कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। उन्हें 1 लाख 67 हजार 9 सौ 81 मत मिले थे। हालांकि देवराज वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री थे। इसी तरह रीवा जिला की सिरमौर विधानसभा में बसपा के प्रत्याशी रहे राजकुमार उरमलिया ने तब के कांग्रेस पाटीज़् के चाणक्य कहे जाने वाले श्रीनिवास तिवारी को हरा कर सबको अचरज में डाल दिया था। वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी राजकुमार उरमलिया को 25 हजार 9 सौ 13 वोट और कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी को 25 हजार 6 सौ 4 वोट मिले थे। वर्तमान में राजकुमार कांग्रेस पार्टी की सदस्य थे। इनके अलावा कटनी जिला के पूर्व। विधानसभा प्रत्याशी बहोरीबंद बसपा नेता गोविंद पटेल, जबलपुर जिला के पाटन के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी राम मनोहर तिवारी ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है।