नागौद में पूर्व विधायक यादवेन्द्र की टिकट कटने के बाद ढह गया कांग्रेसी कुनबा..!
नगर परिषद अध्यक्ष सहित ब्लाक और मंडलम पदाधिकारियों ने छोड़ी कांग्रेस
सतना। कांग्रेस की पहली लिस्ट जारी होने के साथ ही पार्टी में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। नागौद विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेसी पूर्व विधायक यादवेन्द्र सिंह का टिकट काट दिया गया। जिसके बाद नागौद में कांग्रेस संगठन विहीन हो चुकी है। यादवेन्द्र सिंह ने कांग्रेस से बगावत करते हुए बसपा ज्वाइन कर ली जिसके बाद नागौद की नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने भी बसपा का दामन थाम लिया। इसके अलावा नागौद विधानसभा के ब्लाक स्तरीय पदाधिकारियों, मंडलम के नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़ दी है। यही नहीं कांग्रेस की महिला ईकाई की जिला अध्यक्ष गीता सिंह ने भी रश्मि सिंह के टिकट का विरोध किया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने नागौद विधानसभा से डॉ रश्मि सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। डॉ रश्मि सिंह कुछ साल पहले ही कांग्रेस में शामिल हुईं थीं। उन्हें युवा कांग्रेस संगठन में प्रदेश स्तरीय पद मिला था। वहीं वे कांग्रेस से टिकट का दावा कर रहीं थी। यादवेन्द्र सिंह की मौजूदगी में उन्होंने महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिए जाने की वकालत करते हुए कांग्रेस संगठन को विघटन की चेतावनी दी थी। इसके बाद भी पार्टी ने उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया वहीं अब उन्हें टिकट भी प्रदान कर दी गई।
दोनों ब्लॉक अध्यक्षों ने कांग्रेस से किया किनारा
टिकट वितरण से नाराज होकर नागौद ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष गीता प्रसाद तिवारी, उचेहरा ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष रणजीत सिंह पटेल, सभी उप ब्लॉक अध्यक्ष, सभी मंडलम/सेक्टर अध्यक्ष, यूथ कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष एवं सरपंच संघ के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिप्पू, आईटी सेल के जिला अध्यक्ष हनुमान सिंह सहित विधानसभा क्षेत्र के कई पदाधिकारियों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। वहीं परसमनिया ब्लाक के अध्यक्ष रामकेश कुशवाहा ने भी दिया इस्तीफा दिया है। साथ ही उचेहरा नगर पंचायत की कांग्रेस की पूर्व प्रत्याशी सियासखी चौधरी ने भी बसपा में शामिल होकर कांग्रेस से किनारा कर लिया है।
जिससे डरते थे वही बात हो गई
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी की मौजूदगी में कांग्रेस की नारी शक्ति ने दहाड़ लगाते हुए पार्टी नेताओं को विघटन की चेतावनी दी थी। कांग्रेस ने महिलाओं को महत्व देते हुए डॉ रश्मि सिंह को पार्टी की टिकट पकड़ा दी। हाई कामन ने ऐसा कर दो महिलाओं की नाराजगी तो दूर कर दी, लेकिन यहां वही हुआ जिसका डर कांग्रेस को था। महिलाओं को खुश करने के लिए पूर्व विधायक को किनारे कर दिया गया जिसका खामियाजा अब संगठन विहीन होने के तौर पर भुगतना पड़ा। इसके अलावा यहां देखना अहम होगा कि कांग्रेस का यह कदम पार्टी के लिए कितना कारगर साबित होता है। क्या डॉ रश्मि सिंह नागौद से चुनाव जीतकर पार्टी की उम्मीदों को बरकरार रख पाती हैं या फिर यादवेन्द्र सिंह अपने साथ हुए धोखे का बदला बसपा को जिताकर लेते हैं।
डॉ रश्मि सिंह को निर्दलीय मिले थे 25 हजार वोट
विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव में डॉ रश्मि सिंह बीजेपी से टिकट का दावा कर रहीं थी। लेकिन उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दी। उन्होंने बाकी बनकर निर्दलीय चुनाव लड़ा। डॉ रश्मि सिंह नुकसान बीजेपी प्रत्याशी को पहुंचाने के लिए मैदान में उतरीं थीं, लेकिन हार का सामना कांग्रेस प्रत्याशी यादवेन्द्र सिंह को करना पड़ा। यहां डॉ रश्मि सिंह को 25700 वोट मिले। जबकि कांग्रेस नेता यादवेन्द्र सिंह को 53403 वोट मिल पाए। सबसे अधिक वोट नागेन्द्र सिंह जू देव को 54637 वोट मिले और वे 1234 वोट से जीत गए।