प्रभु राम की तपोस्थली चित्रकूट ने तोड़ा था औरंगजेब का दंभ: मंदिर निर्माण करवाने के लिए मजबूर हुआ, बालाजी के नाम से विख्यात है मंदिर…

मंदिर में भोग के लिए स्थाई रूप से धन मिलते रहने का इंतजाम भी किया था;

Update: 2025-04-05 06:55 GMT
मंदिर निर्माण करवाने के लिए मजबूर हुआ, बालाजी के नाम से विख्यात है मंदिर…
  • whatsapp icon

ऋषि पंडित, सतना, (नवस्वदेश)। प्रभु श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट सिर्फ राम, लक्ष्मण एवं सीता के वनवास काल का साक्षी ही नहीं अपितु क्रूर, तानाशाह और लुटेरे शासक औरंगजेब का गर्व चूर-चूर करने का गवाह भी रहा है।

औरंगजेब की क्रूरता की कई कहानियां चित्रकूट में आज भी प्रचलित हैं। आज जब पूरे देश में क्रूर और लुटेरे तानाशाह औरगंजेब की कब्र चर्चा में हैं तब विंध्यक्षेत्र के तराई अंचल मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा मे स्थित चित्रकूट जैसी पवित्र स्थली आज भी उसकी क्रूरता को याद कर सिहर उठती है।

तहस-नहस कर दिये थे चित्रकूट के मंदिर

औरंगजेब ने अपनी क्रूर यात्रा के दौरान चित्रकूट में भी कदम रखे थे और इस दौरान उसकी सेना ने चित्रकूट के कई ऐतिहासिक मंदिरों को तहस-नहस कर दिया था। परंतु श्रीराम की तपोभूमि में एक ऐसा स्थान आज भी है जहां मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर बनवाया था।

आज भी ये मंदिर उस वक्त की कहानी बयां करता है। इस मंदिर को बालाजी मंदिर के नाम से जाना जाता है जो पवित्र मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित रामघाट के पास है।

यह मंदिर यूं ही नहीं बना बल्कि एक हैरान कर देने वाली घटना ने मुगल बादशाह को मंदिर निर्माण करवाने पर मजबूर कर दिया। मंदिर निर्माण के पश्चात क्रूर बादशाह ने मंदिर में भोग की रस्म के लिए स्थाई रूप से धन मिलते रहने की व्यवस्था भी की थी।

शिवलिंग तोड़ते ही उठा पेट में भयंकर दर्द

किंवदंतियों के अनुसार मूर्ति विध्वंस और मंदिरों को तोड़ने के लिए जाना जाने वाला मुगल शासक औरंगजेब जब चित्रकूट आया तो उसने अपनी सेना को हुक्म दिया कि सुबह होते ही मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित मत्यगयेन्द्रनाथ (शिव का प्राचीन मंदिर) सहित सभी मंदिरों एवं मठों को धराशायी कर दिया जाए।

औरंगजेब के आदेश का पालन करने जब उसके सिपाहियों ने मंदिर में स्थापित शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास शुरू किया तो सैनिकों के पेट में भयंकर दर्द होना शुरू हो गया। एक-एक कर औरंगजेब के सभी सैनिक बेहोश हो गए। इस घटना से औरंगजेब घबरा गया और औरंगजेब ने अपने सिपाहियों के उपचार के लिए भरसक प्रयत्न किये परंतु वह सफल नहीं हो सका।

संत बालक दास की शरण में पहुंचा औरंगजेब

घटना से हैरान-परेशान औरंगजेब को किसी जानकारी दी कि सैनिकों के पेट दर्द का उपचार चित्रकूट के प्रसिद्ध संत बाबा बालक दास ही कर सकते हैं। जिसके बाद औरंगजेब बाबा के पास पहुंचा और उनके चरणों में लोट गया। बाबा बालक दास से जब मुगल शासक ने सिपाहियों के जीवन की भीख मांगी तो बाबा बालक दास ने उससे चित्रकूट के मंदिरों को तोड़ना बंद करवाने की शर्त रखी।

औरंगजेब ने जब इस तरह का वचन दिया तो बाबा के उपचार के बाद सभी सैनिक चमत्कारी ढंग से उठ खड़े हुए। औरंगजेब बाबा के इस अद्भुत चमत्कार से बहुत प्रभावित हुआ और उसने वहां तत्काल एक मंदिर बनवाने का आदेश देकर ठाकुर के राजभोग के लिए दस्तावेज लिखा। यह मंदिर बालाजी के मंदिर के नाम से विख्यात है और यहां आज भी श्रद्धालुओं का मेला लगता है।

330 बीघा जमीन और चांदी का एक रुपया प्रतिदिन

संत बालक दास के चमत्कार से औरंगजेब इतना प्रभावित हुआ कि उसने मंदिर में राजभोग तथा पूजा के लिए आवश्यक धन के लिए आठ गांवों की 330 बीघा जमीन और राजकोष से चांदी का एक रुपए प्रतिदिन देने का फरमान जारी किया था।

बादशाह द्वारा जारी किये गये फरमान की छायाप्रति आज भी मंदिर में मौजूद है। मंदाकिनी नदी के तट पर बनवाए गए इस मंदिर में मुगल कालीन स्थापत्य कला की छाप आज भी स्पष्ट देखी जा सकती है। 

Similar News