शिवम हत्याकांड: साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपी दोषमुक्त, हत्या के आरोपियों को सजा दिलाये जाने में तत्कालीन पुलिसकर्मी नहीं जुटा पाये पर्याप्त साक्ष्य
सतना। जनवरी 2007 को स्थानीय बांधवगढ़ कालोनी से मासूम शिवम मिश्रा का अपहरण व बाद में उसकी नृशंस हत्या किये जाने के मामले में तत्कालीन पुलिस अधिकारी और उनके मातहत पुलिस कर्मी आरोपियों को सजा नहीं दिला पाये। पर्याप्त साक्ष्य के आरोप में अदालत ने इस बहुचर्चित हत्याकांड के आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। 16 साल से न्यायालय से न्याय की उम्मीद लगाये मासूम शिवम के परिजनों के आंसू फैसले के बाद थम नहीं रहे हैं। सबूतों के अभाव में मासूम को न्याय न मिलने का मामला शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं तत्कालीन पुलिस कर्मियों की मामले में लीपा-पोती ने जांच के बिंदुओं पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि मासूम शिवम की हत्या कांड में आरोपी दोषमुक्त हो गये तो फिर आखिर इस सनसनीखेज व जघन्य हत्याकांड को अंजाम किसने दिया..?
बहुचर्चित शिवम मिश्रा अपहरण एवं हत्याकांड के मामले में एडीजे -2 ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। सबूतों के अभाव में कोर्ट ने मुख्य आरोपी नितेश मिश्रा सहित अन्य सभी को दोषमुक्त कर दिया। अपहरण और हत्या की घटना के 16 साल बाद यह यह फैसला आया है। अदालत से आए फैसले के बाद मृत बच्चे के परिजनों को गहरा झटका लगा है। ट्रैक्टर व्यावसायी मृदुल मिश्रा और उनके परिवार के जख्म एक बार फिर हरे हो गए।
पूरक चालान किया था पेश
उल्लेखनीय है कि कोलगवां पुलिस ने इस मामले में पूरक चालन प्रस्तुत किया था। जिसमें मामले के मुख्य आरोपी नितेश मिश्रा और संजय तिवारी को कोलगवां पुलिस ने घटना के 14 साल बाद गिरफ्तार कर न्यायालय में चलान प्रस्तुत किया था। जबकि हत्या की जघन्य वारदात जनवरी 2007 में अंजाम दी गई थी।
क्या था मामला
कोलगवां थाना अंतर्गत बांधवगढ़ कॉलोनी के एमआइजी 87 में रहने वाले ट्रैक्टर व्यवसायी का पुत्र क्षितिज उर्फ शिवम क्रिस्तुकुला स्कूल में कक्षा 4 का छात्र था। 29 जनवरी 2007 की शाम करीब सवा 5 बजे वह घर के नजदीकी स्टॉप पर स्कूल बस से उतरा, लेकिन घर नहीं पहुंचा। कुछ देर बाद उसके अगवा हो जाने की खबर घरवालों को मिली। बताते हैं कि अपहरण के कुछ देर बाद घर के लैंडलाइन नंबर पर कॉल कर अपहरण की जानकारी देते हुए 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई थी साथ ही हिदायत दी गई थी कि पुलिस को खबर न हो। कहा गया था कि 2 दिन बाद फिर फोन करेंगे। इसके बाद 7 फरवरी 2007 को पुलिस शिवम के परिजनों को लेकर उमरिया जिले के इंदवार थाना गई थी। बताते हैं कि इस थाना क्षेत्र के सेजवाही जंगल में एक बच्चे का शव मिला था, जिसे पहचानना भी मुश्किल था लेकिन बाद में उसकी पहचान शिवम के तौर पर की गई थी।
एक अपराधी का हो चुका है एनकाउंटर
अपहरण और हत्या के इस अपराध को लेकर पुलिस ने आइपीसी की धारा 364ए, 302, 201, 34 के तहत डिंपल श्रीवास्तव, स्मोंटी सिंह, विकास सिंह, पुष्पेंद्र सिंह (पिंकू) पुष्पेंद्र सिंह (लाल), नीतेश मिश्रा पिंटू एवं संजय तिवारी को आरोपी बनाया था। शहर के मुख्त्यारगंज में रहकर पढऩे वाला डिंपल श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश में नामी बदमाश हो चुका था। शिवम हत्याकांड के बाद 22 मार्च 2007 को इलाहाबाद में उसका पुलिस से आमना-सामना हुआ, जिसमें वह मारा गया था। जबकि अन्य आरोपी की मौत हो चुकी है। बाकी मुख्य आरोपी सहित अन्य जेल में बंद हैं।।
इनका कहना है
मासूम शिवम की हत्या का मामला अत्यंत गंभीर और संवेदनशील था जिसमे माननीय न्यायालय ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है तथापि मामले में घोषित निर्णय का अवलोकन कर एवं मामले की पैरवी करने वाले एजीपी गिरजेश पांडे से चर्चा कर निर्णय के विरुद्ध अपील एवं विवेचना की त्रुटियों के लिए विवेचना अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सक्षम अधिकारिता को लेख किया जाएगा।
रमेश मिश्रा, लोक अभियोजक/ शासकीय अभिभाषक जिला सतना