प्रदीप औदिच्य
चंद्रयान की भेजी गई पहली तस्वीर देखी मेरा माथा ठनक गया... उस फोटो में एक बोर्ड देखा जिस पर लिखा था ये जमीन वफ्फ बोर्ड की है। इस पर कोई और कब्जा करने का प्रयास ना करे। चंद्रयान के कैमरे से प्राप्त तस्वीर में साफ देखा जा सकता था कि पांच छह आदमी जैसे दिखने वाले भी थे। मुझे लगा निश्चित वह प्रज्ञान का रास्ता रोककर नमाज पढ़ने के लिए खड़े होंगे, और अगर इनको रोकने का प्रयास किया तो ये अभी पथराव करने लगेंगे। ये देखकर प्रज्ञान रोवर ने अपना रास्ता ही बदल लिया।
भारत के वैज्ञानिकों ने बताया कि उसने गड्ढे होने से रास्ता बदला था। वास्तविक बात ये नहीं थी...। गड्ढे का क्या है, वह तो भारत की सड़कों पर भी मिलेंगे, तो क्या कोई स्कूटर वाला अपना रास्ता बदलता है क्या?
चंद्रयान का प्रज्ञान रॉबर जब से वहां की फोटो भेज रहा है, देश के लोग चौकन्ने होकर उन्हें निहार रहे हैं। अदभुत फोटो आ रही हैं क्योंकि दक्षिण धु्रव की फोटो को वामपंथी तो देख ही नहीं रहे हंै। वह ऐसा लेफ्ट है जो हर राइट चीज को पसंद ही नहीं करता।
गाड़ी चलाते समय भी वामपंथी बहुत मुश्किल से ही राइट टर्न लेते हैं...।
चंद्रमा पर जो भी मिला है वह किसी एक देश का होगा उससे पहले कोई उस पर अपना दावा करेगा तो वह है वफ्फ बोर्ड। क्योंकि वफ्फ बोर्ड का दावा है कि चांद असलियत में हमारा है। क्योंकि चांद को देखकर ही हमने ईद मुबारक कहना सीखा। चांद ही हमें बताता है कि कब हमें गले मिलना है, और कब गले काटना हैं। चांद ही हमारे झंडे पर रहता है तो चांद हमारा हुआ। इसलिए उस पर मिलने वाली हर संपत्ति पर हमारा हक है। वफ्फ बोर्ड ने कहा है कि भारत में जो खाली जमीन दिखती है, उस पर मजार बनाने की जिम्मेदारी हमारी रहती है। आज समुद्र के अंदर, रेलवे स्टेशन के अंदर, हाई-वे पर मजार है। जब हम दूसरों की जमीन पर मजार बना सकते हैं तो चांद तो हमारा खुद का है। चांद भले ही पूरे विश्व में दिखता है। लेकिन उसे अपना मान लेना जरूरी है। जमीन वहां भी है, वहां भी खनिज तत्व है। पत्थर, रेत है। ये सुनकर कई विभाग के चेहरे खिल गए। पटवारी से लेकर तहसीलदार और खनिज विभाग तक ने योजना बना ली।
रेत के पट्टे किस को देना है। ठेकेदारों ने फोटो देखकर ही ये सटीक अनुमान लगा लिया कि इतने की रॉयल्टी होगी और इतना अतिरिक्त निकाल सकते हैं। ये जानकारी भी आई कि वहां सल्फर मिला है... तब ठेकेदार ने कहा... ये तो किसानी के काम का है, इससे हमे कोई फायदा नहीं... किसान शब्द सुनते ही हमारे राष्ट्रीय किसान एक मेव दामाद वाड्रा सहाब तुरंत कूद पड़े... बोले बताओ क्या है किसानों के काम का। मैं इस सदी का एक मात्र राष्ट्र का किसान हूं, हरियाणा से राजस्थान तक मेरे चर्चे हैं। मैं रजिस्टर्ड किसान हूं...
बताओ... चांद पर कहां है जमीन । राष्ट्रीय किसान ने फटाफट अपने रिश्तेदारों को दिल्ली फोन लगा दिया, मम्मी आप परेशान मत होना... राजस्थान की गहलोत अंकल की सरकार से कोई जमीन नहीं लेना। अब अपन यहां बहुत बदनाम हुए हैं, अब मैं चांद पर जमीन खरीद रहा हूं...।
ये खबर लगते ही अमिताभ बच्चन जी का फोन आया वाड्रा साहब... आप चांद पर जमीन ले रहें है। आप वहां प्लाट बेचेंगे। राष्ट्रीय किसान वाड्रा साहब ने कहा जी... आप भी कोई प्लाट चाहते है क्या? अभिताभ बच्चन ने कहा नहीं, मैं तो बस उसका टीवी विज्ञापन करने का मौका चाहता हूं। (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)