इजरायल पर हमास ने हमला किया। इस हमले में 20 मिनट में पांच हजार के आसपास राकेट दागे गए। इतना ही नहीं यह इजरायल का सुरक्षा घेरा और दीवार तोड़कर अपनी सुरक्षा और मारक क्षमता के लिए विख्यात इजरायल में घुस गए। उन्होंने इजरायल में भारी तबाही मचाई। इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था, सेना और गुप्तचर व्यवस्था पूरी दूनिया में विख्यात हैं। इस सबके बावजूद वहां इतना बड़ा नुकसान हुआ। ईश्वर न करे, कभी ऐसा हमला हम पर ,भारत पर हो तो क्या हम इसके लिए तैयार हैं? हमें इस पर सोचना होगा। साथ ही आने वाली प्रत्येक परिस्थिति के मुकाबले के लिए हमें अपने को अभी से तैयार करना होगा। इजरायल के पास दुनिया का आधुनिकतम सुरक्षा, प्रतिरक्षा और विश्व विख्यात सूचनातंत्र है। फिर भी वह इस हमले के सामने विफल होकर रह गया। 20 मिनट में पांच हजार मिसाइल छोड़ने, और टैंकों से दीवार तोड़कर इजरायल की सीमा में जल, थल और ग्लाइडर से एक साथ घुसने की तैयारी एक दिन में नहीं हुई होगी। लंबा समय लगा होगा, किंतु इजरायल के सुरक्षा और गुप्तचर तंत्र को इसकी भनक तक नहीं लगी।
रोज दुनिया बदल रही है। युद्ध बदल रहा है। युद्ध का मैदान बदल रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध लगभग 20 माह से जारी है। रूस के पास परमाणु हथियार हैं, किंतु यह हथियार दिखाने और अपनी शक्ति बताने के लिए हैं। दुनिया की बड़ी शक्ति होते हुए भी 20 माह से युद्धरत रूस कुछ ज्यादा नहीं कर पा रहा। यूक्रेन के द्रोण रूस की मिसाइल पर भारी पड़ रहे हैं। भारत में मुंबई पर आतंकी हमला हमने देखा है। दिल्ली में संसद पर हुए हमले के घाव हम भूले नहीं हैं। आतंकियों के खुराफाती दिमाग किस तरह घटना को अंजाम दें, कुछ कहा नहीं जा सकता। इन सब के लिए सिर्फ मजबूत रक्षा तंत्र बनाने की जरूरत है। अभी खालिस्तानी गुरपतवंत पन्नू ने धमकी दी है कि खालिस्तान के लिए भारत पर हमास जैसे हमले किये जाएंगे। पाकिस्तान के कुछ कट्टर मुल्ला धमकी दे रहे हैं कि वह इजरायल से लड़ने के लिए हमास को परमाणु बम देंगे।
दुनिया के देश आधुनिक युद्धास्त्र बनाने में लगे हैं। परमाणु बम, हाइड्रोजन बम के आगे के विनाशक बम पर काम चल रहा है। सुपर सोनिक मिसाइल बन रही हैं, किंतु लगता है कि आधुनिक युद्ध इन सबसे अलग तरह के अस्त्र- शस्त्रों के लड़ा जाएगा। अलग तरह के युद्ध होंगे। लगता है कि आने वाले युद्ध सीमा पर नहीं, शहरों में लड़े जाएंगे। घरों में लड़े जाएंगे। अभी से हमें इसके लिए सोचना और तैयार होना होगा।
अभी तक पूरी दुनिया इस खतरे से जूझ रही है कि परमाणु बम किसी आतंकवादी संगठन के हाथ न लग जाए। उनके हाथ में जाने से इसे किस तरह रोका जाए? उधर आतंकवादी नए तरह के हथियार प्रयोग कर रहे हैं। शिक्षा बढ़ी है तो सबका सोच बढ़ा है। दुनिया के सुरक्षा संगठन समाज का सुरक्षित माहौल देने का प्रयास कर रहे हैं। आतंकवादी घटनाएं कैसे रोकी जाएं, ये योजनाएं बना रहे हैं। आतंकवादी इनमें से निकलने के रास्ते खोज रहे हैं। वे नए-नए हथियार बना रहे हैं। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सैंटर पर हमले से पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि विमान को भी घातक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
रोगों के निदान के लिए वैज्ञानिक रोगों के वायरस पर खोज कर रहे हैं। उनके टीके बना रहे हैं। दवा विकसित कर रहे हैं, तो कुछ वैज्ञानिक इस वायरस को शस्त्र के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। साल 1763 में ब्रिटिश सेना ने अमेरिका पर चेचक के वायरस का इस्तेमाल हथियार की तरह किया। 1940 में जापान की वायुसेना ने चीन के एक क्षेत्र में बम के जरिये प्लेग फैलाया था। 1942 में जापान के 10 हजार सैनिक अपने ही जैविक हथियारों का शिकार हो गए थे। हाल ही के दिनों में आतंकी गतिविधियों के लिए जैविक हथियार के इस्तेमाल की बात सामने आई है। इससे हमें सचेत रहना होगा। सीमाओं की सुरक्षा के साथ इन जैविक शास्त्रों से निपटने के उपाय खोजने होंगे।
इजरायल दूसरे विश्व युद्ध से संघर्ष झेल रहा है। इसने प्रत्येक परिस्थिति के लिए अपने को तैयार किया हुआ है, ढाला हुआ है। इस तरह के हमलों के लिए उसने प्रत्येक घर में बंकर बनाए हुए हैं। वहां का लगभग प्रत्येक व्यक्ति एवं महिला युद्ध के लिए हर समय तैयार रहते हैं। वहां सैन्य प्रशिक्षण आवश्यक है।
हमास के हमले का सबसे बड़ा सबक यह है कि दुनिया का कोई भी देश इस तरह के हमले नहीं रोक सकता। बस इस तरह के हमलों को रोकने की व्यवस्था कर सकता है। इजरायल का सुरक्षा चक्र आइरन डोम पांच हजार मिसाइल के हमले के सामने कारगर नहीं रहा। हमारे पास रूस का बना एस 400 मिसाइलरोधी सिस्टम हैं। हमें सोचना होगा कि क्या यह इस तरह के भारी मिसाइल हमलों को रोकने में सक्षम है। या कोई अन्य सिस्टम चाहिए। हमें राष्ट्रीय आपदा या इस प्रकार के आतंकी हमले की हालत में अपना सहायता तंत्र विकसित करना होगा। उन्हें सभी प्रकार के हमलों या राष्ट्रीय आपदा के समय जनता की सुरक्षा, मदद, उपचार आदि देने के लिए तैयार करना होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)