डॉ. सुब्रतो गुहा
झुकती है दुनिया: आठ भारतीय नागरिकों को इजराइल के लिए जासूसी के आरोप में दी गई मृत्युदंड की सजा को कतर के न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। मृत्युदंड प्राप्त यह आठ भारतीय नागरिक वास्तव में भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी थे जो कतर की अल दहरा कंपनी में नियुक्त थे तथा कतर की सैन्य पनडुब्बी कार्यक्रम में कार्यरत थे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी मीडिया के समक्ष इस बात की पुष्टि की है कि कतर के न्यायालय ने इन आठ भारतीय नागरिकों को दी गई मृत्युदंड की सजा समाप्त कर दी है। - द टाइम्स ऑफ इजराइल यरुशलम
(टिप्पणी- दिनांक 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इस्लामी जिहादी आतंकियों ने इजराइल पर अचानक हमला कर एक हजार तीन सौ निर्दोष इजराइली यहूदी नागरिकों की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी थी। सात अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक औपचारिक बयान ट्वीटर पर दिया, जिसमें उक्त जिहादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए इस संकट की घड़ी में भारत को पूरी तरह इजराइल के साथ घोषित किया। अब यह सर्वविदित है कि हमास आतंकी संगठन के विश्व में दो सबसे बड़े समर्थक देश है। ईरान और कतर तथा इन दोनों देशों ने सार्वजनिक रूप से इजराइल का खुलकर समर्थन करने पर भारत के प्रति नाराजगी प्रदर्शित की। फिर दिनांक 26 अक्टूबर 2023 को कतर के एक न्यायालय ने उक्त आठ भारतीय नागरिकों को बिना किसी ठोस सबूत के मृत्युदंड की सजा सुना दी। दिनांक दो सितंबर को दुबई में आयोजित संयुक्त राष्ट्रसंघ जलवायु सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के शासक सेख तमीम बिन हमाद अल थानी के साथ विशेष बैठक की। दिनांक अठाईस दिसंबर को कतर के उक्त न्यायालय ने अपना ही पूर्व में आठ भारतीयों को दिया गया मृत्युदंड का आदेश निरस्त कर दिया। खाड़ी देशों के कई पत्रकारों की राय यह है कि भारत ने कतर को अपनी भाषा में समझा दिया था कि बिना ठोस सबूत के मृत्युदंड की सजा का प्रकरण दो देशों का होने के आधार पर नीदरलेंड के द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ले जाया जाएगा, जहां कतर की पराजय लगभग सुनिश्चित थी। इस पूरे प्रसंग में उन आठ भारतीयों के परिवार तो राहत की सांस ले रहे हैं, परन्तु भारत के विपक्षी दल दुखी है कि मोदी सरकार को नीचा दिखाने का एक स्वर्णिम अवसर हाथ से गया। झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए।)
कहीं खुशी-कहीं गम: सन 2024 में संसदीय चुनाव जीतकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीसरी बार ताजपोशी लगभग निश्चित है। केन्द्रीय स्तर पर स्थायित्व तथा राज्यों में बढ़ता जनाधार इसके लिए उत्तरदायी है। अभी तीन राज्य-राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी की भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत ने 2024 में पार्टी की संसदीय चुनावी जीत का मार्ग प्रशस्त किया है। कई विकास योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के साथ ही कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार तथा राष्ट्रवादी एजेंडा को सशक्त करने वाला हिन्दुत्व वैचारिक धरातल मतदाताओं को मोदी की ओर आकृष्ट कर रहा है। जीत की हैट्रिक निश्चित लग रही है राजनीति विश्लेषणों को। - गल्फ न्यूज, दुबई
(टिप्पणी- प्रधानमंत्री मोदी और उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा के लिए सत्ता की हैट्रिक हेतु राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा गिनवाए गए उक्त बिन्दुओं से विपक्षी नेताओं का रक्तचाप बढ़ रहा है, परन्तु इसी बीच एक और घटनाक्रम होने वाला है, जो प्रत्येक सेकुलरवादी उदारवादी प्रगतिवादी एवं जिहादी मानसिकता वाले मित्रों के लिए किसी भयावह सदमे से कम नहीं है, वह है दिनांक 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन समारोह तथा इस हेतु सेकुलर नेताओं को भेजा गया। निमंत्रण पत्र। अब रोजा इफ्तार पार्टियों में शामिल होने को सेकुलरवाद का पर्याय मानने वाले नेताओं के समक्ष संकट यह है कि हिन्दू मंदिर के उद्घाटन में जाने से सेकुलर छवि का क्या होगा, बीस प्रतिशत अल्पसंख्यक वोटबैंक की क्या प्रतिक्रिया होगी और यदि नहीं गए तो अस्सी प्रतिशत बहुसंख्यक मतदाताओं के समक्ष मुस्लिम तुष्टीकरण का खेल उजागर हो जाएगा। इधर कुआं, उधर खाई जाए तो जाए कहां?)
नफरती चिंतन व प्रस्तुतीकरण: गुरुवार को भारतीय सेना के दो वाहनों में अज्ञात उग्रवादियों द्वारा किए गए हमले में चार सैनिक मारे गए तथा तीन सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए। पूंछ जिले के टोपा पीर गांव के निकट घटित इस घटना के बाद कई संदिग्ध मुस्लिमों को सेना ने पकड़ा, जिनमें से तीन लोग अगले दिन मृत पाए गए। इस घटना से कश्मीरी मुस्लिमों में भीषण आक्रोश है तथा वे भारतीय सेना पर उन तीनों पर निर्मम अत्याचार कर हत्या करने का आरोप लगा रहे हैं। टोपा पीर गांव के रहवासी मोहम्मद इकबाल ने हमारे संवाददाता को बताया कि घटना के अगले दिन शुक्रवार को भारतीय सेना ने गांव के आठ लोगों को पकड़ा था, जिनमें से तीन केशव अगले दिन मिले। मोहम्मद इकबाल ने कहा - यह अन्याय है, अत्याचार है, मानव अधिकारों का हनन है। मारे गए तीनों निर्दोष थे।
- द न्यूयार्क टाइम्स, अमेरिका
(टिप्पणी- मीडिया में यह एक स्थापित सिद्धांत है कि समाचार एक पक्षीय न हो, सभी पक्षों के बयान प्रस्तुत कर समाचार को संतुलित बनाकर पाठक को अपनी राय बनाने की स्वतंत्रता दी जाए। उक्त समाचार में भारतीय सेना का पक्ष न छापकर केवल आतंकी पक्ष का बयान देकर पाठकों में भारतीय सेना के विरुद्ध भावना भड़काने का प्रयास है। वैसे दिनांक 2 जुलाई 2021 को दक्षिण एशिया संवाददाता पद हेतु न्यूयार्क टाइम्स संवाददाता हेतु अनिवार्य योग्यता रखी गई थी कि संवाददात की मानसिकता भारत सरकार एवं प्रधानमंत्री मोदी विरोधी होनी चाहिए। अफगान मूल के कट्टरपंथी मुजीब मशाल न्यूयार्क टाइम्स संवाददाता का दायित्व निर्वाह कर रहे हैं )
(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)