भारत की मदद से स्मार्ट होता बांग्लादेश

प्रमोद भार्गव

Update: 2023-11-07 20:34 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अपने समकक्ष शेख हसीना के साथ डीजिटल माध्यम से दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस आभासी माध्यम के जरिए तीन परियोजनाओं की शुरूआत हुई है। पूर्वोत्तर भारत से बांग्लादेश के गंगासागर और त्रिपुरा के निश्चिंतपुर रेल लाइन से जुड़ गए है। 65 किमी लंबी खुलना-मंगला बंदरगाह रेललाइन और बांग्लादेश के रामपाल में मैत्री सुपर थर्मल पावर संयंत्र की दूसरी इकाई शुरू हुई है। पिछले 9 वर्षों में दोनों देशों के बीच तीन नई बस सेवाएं और इतनी ही रेल सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। करीब 15 किमी लंबे अगरतला-अखौरा क्रास-बॉर्डर रेल संपर्क से सीमा पार व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही ढाका के रास्ते अगरतला और कोलकाता के बीच यात्रा के समय में कमी आएगी। 2022 में 4 नई आव्रजन जांच चौकियां खुली हैं। कंटेनर पार्सल रेलें भी शुरू हुई हैं। भारत सरकार के सहयोग से बांग्लादेश में 12 आईटी पार्क बनाए जा रहे हैं। जल्दी ही दोनों देश ऑनलाइन भुगतान के प्रबंध से जुड़ जाएंगे।

साफ है, भारत की अपने सीमाई पड़ोसियों को महत्व देने की नीतिगत दृष्टि से बांग्लादेश प्रथम है, क्योंकि उसने अपने देश में आतंकवाद को सख्ती से कुचलने का काम किया है। अलबत्ता जिस तरह से भारत मोदी के नेतृत्व में स्मार्ट हो रहा है, उसी तरह से शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश स्मार्ट हो रहा है।

इस बातचीत को दोनों देशों के बीच सहयोग और समझौतों के चलते सफलता की श्रृंखला बड़ी होती जा रही है। कुछ साल पहले दोनों देशों के बीच बड़ा भूमि समझौता बिना किसी विवाद के संपन्न हो चुका है। हालांकि यह समझौता 16 मई 1974 से लंबित था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बांग्लादेशी समकक्ष शेख मुजीबुर्रहमान ने भी हस्ताक्षर कर दिए थे। बांग्लादेशी जातीय संसद ने भी समझौते को मंजूरी दे दी थी, लेकिन भारत में इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत थी, जो अब जाकर विधेयक के जरिए पूरा हो गया है। इस समझौते के मुताबिक अब तक बांग्लादेश के आधिपत्य में भारत 17,160 एकड़ भूखंडों में फैली 111 भारतीय बस्तियां थीं, जो बांग्लादेश को हस्तांतरित हो गईं। इसी प्रकृति की 7110 एकड़ के अलग-अलग भूखंडों में आबाद 51 बांग्लादेशी नगरिकों की बस्तियां थीं,जो अब पूरी तरह भारतीय गणराज्य के अधीन हो जाएंगी। 2011 की जनगणना के मुताबिक बांग्लादेश में बसी भारतीय बस्तियों में 37,334 लोग रह रहे थे, जबकि बांग्लादेशी बस्तियों में 14,000 लोग रह रहे हैं। हालांकि ताजा अनुमान के मुताबिक यह आबादी अब बढ़कर करीब 51,000 हो गई है। इसलिए ऐसा कयास है कि लगभग 51 हजार लोगों को भारतीय नागरिकता देते हुए उन्हें राशन एवं आधार कार्ड दिए जाएंगे। भारतीय नागरिकता कानून 1955 के अनुसार भारत सरकार जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर किसी भी खास इलाके में रहने वाले लोगों को भारत का नागरिक घोषित कर सकती है। लेकिन इस प्रावधान को लाने से पूर्व कुछ सावधानियां भी बरतना जरूरी थीं।

इन भूखंडों की अदला-बदली में भारत को तकरीबन 2,777 एकड़ जमीन मिलेगी जबकि भारत से बांग्लादेश को 2,268 एकड़ जमीन हस्तांतरित की जाएगी। परिवर्तन की इस प्रक्रिया के पूरे हो चुकने के बाद 6.5 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा का एक सीधी रेखा में नए सिरे से निर्धारण होगा। फिलहाल भारत और बांग्लादेश से जुड़ी सीमा की लंबाई 4096 किमी है। यह सीमा सुनिश्चित हो जाने के बाद भारत यदि अपनी सीमा में बागड़ लगाने का काम पूरा कर लेता है,तो बांग्लादेश की तरफ से अवैध घुसपैठ लगभग प्रतिबंधित हो जाएगी। नतीजतन पूर्वोत्तर के सातों राज्यों में शांति कायम होने की उम्मीद बढ़ जाएगी।

भारत बीते 9 सालों में बांग्लादेश को विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए 10 अरब डॉलर की सहायता दे चुका है। साफ है, मोदी अपने पड़ोसी देशों के साथ 'सबका साथ, सबका विकास' की पवित्र भावना से पड़ोसियों की मदद कर रहे हैं। हालांकि इसी दौरान चीन ने भी बांग्लादेश समेत श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और पाकिस्तान में व्यापार के बहाने रिश्तों को मजबूती दी है। ऐसे में उलझे मुद्दों को शालीनता और गरिमा के साथ सुलझाना नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सूझबूझ का परिचय देती है। इससे एक संतुलन कायम होगा और चीन को भविष्य में बांग्लादेश में अब तक चली आ रही आसान पैठ मुश्किल हो जाएगी। विदेश नीति से जुड़ी नरेंद्र मोदी की यह कूटनीतिक चतुराई 'सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटेÓ कहावत को चरितार्थ करने वाली है। शेख हसीना ने इस आभासी वार्ता पर टिप्पणी करते हुए कहा भी है कि 'हम साबित करेंगे कि पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध देश के विकास में कितने सहायक होते हैं।Ó अन्य पड़ोसियों को भी शेख हसीना की इस बात को कान लगाकर सुनने की जरूरत है।

(लेखक वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं)

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