स्वच्छता : जनआंदोलन से बदलती छवि

डॉ. सत्येन्द्र शरण

Update: 2023-10-02 19:35 GMT

स्वच्छता मनुष्याणां जीवने महत्वपूर्णा अस्ति । यत्र स्वच्छता वर्तते तत्र लक्ष्मी भगवती निवसति, इति मन्यते। केचन जना: स्वच्छतां न पालयन्ति।।

संस्कृत का यह श्लोक किसी भी शुभ कार्य या पूजा पाठ के शुरू करने से पहले अवश्य रूप से पढ़ा जाता है। इसका मूल आशय यह है कि स्वच्छता मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। जहां स्वच्छता होती है वहीं माता लक्ष्मी का वास होता है। माता लक्ष्मी को स्वच्छता ही पसंद है। इसी विश्वास को ध्यान में रखकर दीपावली के पूर्व घरों में और आसपास विशेष रूप से सफाई की जाती है। स्वच्छता के चलते ही बीमारियां फैलाने वाले जीव नहीं पनपते और आर्थिक वैभव में विस्तार होता है। गणेश पुराण, पतंजलि योग सूत्र, ऋग्वेद, अर्थववेद, दक्ष स्मृति जैसे प्राचीन ग्रंथों में स्वच्छता अपनाने के बारे में विशेष उल्लेख मिलता है।

महात्मा गांधी ने जीवनकाल में कई बार स्वच्छता अपनाने के बारे में विशेष जोर दिया। गांधी जी ने कहा था स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है। उनका सपना सभी के लिये सम्पूर्ण स्वच्छता था।

नवजीवन समाचार पत्र के 2 नवंबर 1919 के अंक में प्रकाशित उनके विचार के अनुसार ''कोई भी व्यक्ति रास्ते पर नहीं थूके अथवा अपनी नाक साफ न करे, कुछ मामलों में थूक इतना नुकसानदायक होता है कि इसके जीवाणु दूसरे व्यक्ति को तपेदिक से संक्रमित कर देते हैं। कुछ स्थानों में सड़क पर थूकना एक अपराध माना जाता है जो व्यक्ति पान पत्ते अथवा चबाकर थूकते हैं, उनके पास दूसरे व्यक्तियों की भावनाओं के लिये कोई स्थान नहीं है। थूक-लार, नाक की बलगम आदि को भी मिट्टी से ढक देना चाहिये, गांवों और आवास स्थलों के आसपास कोई गड्ढा न हो, जिसमें पानी जमा हो, जहां जल जमाव नहीं होता है, वहां मच्छर नहीं होते, वहां मलेरिया के मामले कम पाये जाते है। एक समय में दिल्ली के आसपास जल-जमाव होता था गड्ढे भरे जाने के बाद मच्छर काफी कम हो गये और इसके फलस्वरुप मलेरिया के मामले भी कम हो गये।ÓÓ

नवजीवन समाचार पत्र के 24 मई 1925 के अंक में प्रकाशित उनके एक अन्य विचार के अनुसार '' हमारे शौचालय की स्थिति और जहां-तहां तथा प्रत्येक स्थान पर मल त्याग करने की बुरी आदत हमारी अनेक बीमारियों के कारण हैं, इसलिये मैं मल-मूत्र त्याग के लिये स्वच्छ स्थान के साथ-साथ उस साफ-सुथरी वस्तुओं के इस्तेमाल में विश्वास करता हूं, मैंने इसे अपना लिया है और यह चाहता हूं कि अन्य सभी व्यक्ति भी इसे अपनायें। मुझमें यह आदत इतनी पक्की हो चुकी है मैं चाहकर भी इसे नहीं बदल सकता, न ही इसे बदलना चाहता हूं। महात्मा गांधी के इस मर्म को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत पहले ही मन में रख लिया था और जैसे ही प्रधानमंत्री बने तो 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की। यह स्वच्छता के लिये एक स्पष्ट सन्देश दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस सन्देश का नागरिकों ने स्वागत किया और स्वच्छता के लिये सक्रिय हो गये। वे इतने प्रेरित हुये कि इससे पहले जो कचरा जगह-जगह पड़ा मिलता था अब वह हर जगह नहीं मिलता। आज दुकानों और घरों में कूड़ादान मिलता है। छोटी छोटी दुकानों में ग्राहक और दुकानदार छोटा सा कचरा भी कूड़ेदान में ही डालने में सुख का अनुभव करते हैं। कचरा कहीं भी फेंकने की आदत अब स्वयमेव खत्म हो गई है और स्वच्छता एक आदत बन गई है।

इस स्वच्छता की आदत को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक आंदोलन का रूप दिया है। अब स्वयं के कचरे को कूड़ेदान में डालने के स्वभाव से ही स्वच्छता पूरी नहीं होगी। अन्यत्र मिलने वाले कचरे को साफ करने में प्रत्येक नागरिक की भागीदारी से ही स्वच्छता की मंशा पूरी होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं आगे बढ़कर सार्वजनिक स्थान से कचरा उठाकर सफाई में अपनी भूमिका निभा कर एक आदर्श प्रस्तुत किया है। देश के नागरिकों ने भी आगे बढ़कर अपनी भागीदारी निभाना आरम्भ कर दिया है। स्वच्छता आंदोलन में भागीदारी के लिये प्रधानमंत्री की अपील का जनमानस स्वागत किया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समय-समय पर स्वच्छता को एक आंदोलन बनाने और इसके लिये अभिनव प्रयासों के लिये पहल करने वालों की तारीफ की और उनसे बात भी की। इसका परिणाम यह हुआ कि करोड़ों लोग स्वच्छता आंदोलन के लिये आगे आये और गांव, कस्बे, मुहल्ले और शहर में सफाई की बयार चल पड़ी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ओजपूर्ण उद्बोधन से प्रेरित होकर अब लोग स्वयमेव स्वच्छता को गौरव मानने लगे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेे देश भर में स्वच्छता के लिये चलाये जा रहे हजारों कार्यक्रमों में से अनोखे उदाहरणों का जिक्र करते आये है। जिससे स्वच्छता आंदोलन में लगे लोग प्रेरित होकर सफाई के लिये आने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रयास करते है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल अक्टूबर में मन की बात कार्यक्रम में ऐसा ही एक उदाहरण बताया जो प्रेरणास्पद रहा। उन्होंने बताया कि रामवीर तंवर जी को लोग 'पॉन्ड मैन' के नाम से जानते हैं। वह अब तक कितने ही तालाबों की सफाई करके उन्हें पुनर्जीवित कर चुके हैं। रामवीर जी तो मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नौकरी कर रहे थे। लेकिन उनके मन में स्वच्छता की ऐसी अलख जागी कि वो नौकरी छोड़कर तालाबों की सफाई में जुट गए।

युवाओं के मन को आंदोलित करने वाले ऐसे उदाहरण भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बताये जो प्रेरक बने। 25 सितम्बर 2022 को अपने सम्बोधन में उन्होंने बताया कि ''यूथ फॉर परिवर्तन पिछले आठ सालों से स्वच्छता और दूसरी सामुदायिक गतिविधियों को लेकर काम कर रही है । ...जगहों का सौंदर्यीकरण किया है। अभियान ने सौ से डेढ़ सौ नागरिकों को जोड़ा है। प्रत्येक रविवार को यह कार्यक्रम चलता है।... इस अभियान से जुड़े सभी लोगों की मैं हृदय से सराहना करता हूँ।

वास्तव में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मात्र सन्देश देने तक ही सीमित नहीं रहे है। उन्होंने स्वच्छता को स्वयं भी अपनाया। दूसरे के छोड़े गये कचरे को उन्होंने उठाकर स्वयं आदर्श स्थापित किया। देश के प्रधानमंत्री जब किसी अभियान में अगुआ होकर खुद शामिल होते है तो अभियान की परिणति सौ प्रतिशत तय रहती है। ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं झाड़ू उठाकर आदर्श रखा है। इससे पहले स्वच्छता के लिये देश में सफाई करते और स्वयं अपनाये हुए केवल एक ही नेतृत्व सामने आया था और वह थे महात्मा गांधी । इसके बाद केवल नरेन्द्र मोदी ने ही स्वच्छता आंदोलन के लिये नेतृत्व दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की नौंवी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता पखवाड़ा-स्वच्छता ही सेवा-2023 का आयोजन किया किया गया। इस दौरान पखवाड़े के आरम्भ में स्वच्छता ही सेवा-2023 पर एक वीडियो लान्च किया गया। इसके साथ ही स्वच्छता ही सेवा-2023 का लोगो,, वेबसाइट और पोर्टल भी लान्च किया गया। इस मौके पर 'इंडियन स्वच्छता लीग (आईएसएल) 2.0 सफाई मित्रसुरक्षा शिविर लोगो और 'नागरिक पोर्टल का शुभारंभ भी किया गया।

पखवाड़े में स्वच्छता के लिए जन आंदोलन में करोड़ों लोग शामिल हुये। विभिन्न शहरों में प्लॉग रन, स्वच्छता रैलियां, प्रतिज्ञाएं, जागरूकता कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक, रंगोली प्रतियोगिताएं, दीवार कला, समुद्र तट की सफाई, प्रतिष्ठित पर्यटक स्थलों, पुराने अपशिष्ट स्थलों, जल निकायों आदि पर सफाई अभियान आयोजित किए गए। पखवाड़ा के दौरान, लगभग 5000 सार्वजनिक स्थान, 1000 कचरा असुरक्षित स्थलों, 500 से अधिक समुद्र तटों, 600 जल निकायों, 300 से अधिक पर्यटक स्थलों को भी साफ किया गया है। मन की बात के 105वें एपिसोड में माननीय प्रधानमंत्री ने 1 अक्टूबर को सुबह 10 बजे सभी नागरिकों द्वारा सामूहिक रूप से स्वच्छता के लिए 1 घंटे के श्रमदान की अपील की, जो गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर ही बापू को 'स्वच्छांजलि' होगी। इस अपील का असर यह हुआ कि करोड़ों लोग स्वच्छता के लिये एक घंटे के श्रमदान के लिये 1 अक्टूबर को सुबह से ही निकल पड़ें। गांधी जयंती के एक दिन पहले 1 अक्टूबर को ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी श्रमदान किया। फिटनेस इन्फ्लुएंसर अंकित बैयनपुरिया उनके साथ थे। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के पोर्टल के अनुसार पखवाड़े के दौरान 89 करोड़ से अधिक लोगों ने सहभागिता की। इस दौरान 11 लाख 63 हजार से अधिक गतिविधियों आयोजित की गई वहीं 4 अरब 759 करोड़ 81 लाख 53 हजार से अधिक मानव घंटे स्वच्छता सेवा की गई जो अतुलनीय है।

(लेखक भारतीय सूचना सेवा पीआईबी, भोपाल में उप निदेशक हैं)

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