दानवता के प्रतीक आतंकी संगठन

विदेशी अखबारों के झरोखे से

Update: 2023-10-15 19:55 GMT

डॉ. सुब्रतो गुहा

दानव में मानव दर्शन: उपलब्ध वीडियो तथा प्रामाणिक फोटो के आधार पर अब मीडिया विश्व के सामने यह प्रमाणित करने में सक्षम है कि आतंकी संगठन हमास ने इजराइलियों पर भयानक अत्याचार किए। नर-नारी एवं शिशुओं तक को या तो गोलियों से भून दिया या जिन्दा जलाया गया या फिर गला काटकर तड़पा-तड़पा कर निर्ममतापूर्वक मार दिया गया। इजराइली प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा यह सभी खौफनाक फोटो एवं वीडियो प्रमाण गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एन्टोनी ब्लिन्केन को उनकी इजराइल यात्रा के दौरान दिखाए तथा उसके बाद इनमें से कई वीडियो एवं फोटो फेसबुक, ट्विटर एवं अन्य सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिए। उधर गुरुवार को नाटो देशों के तीस रक्षा मंत्रियों के साथ एक वीडियो मीटिंग में इजरायली रक्षा मंत्री ने इन वीडियो तथा फोटो प्रमाणों को दिखाते हुए कहा - मैं स्वयं आतंकी हमास के अत्याचार वाले क्षेत्रों में घर-घर पहुंचा और अत्याचार के बाद जिन्दा जला दिए गए नर-नारी व बच्चों के भयावह शवों को देखा। अनेक युवतियों और महिलाओं को हिंसक तरीको से बलात्कार के बाद कू्ररतापूर्वक मार दिया गाय। बड़ी संख्या में लड़कियों को बलात्कार के बाद खींचते हुए जब सीमा पार गाजा ले जाया जा रहा था, तब उनके शरीर से बहता खून पैरों तक पहुंच रहा था और यह देखकर गाजा पट्टी में भीड़ तालियां बजा रही थी।

- द यरुशलम पोस्ट, यरुशलम, इजराइल

(टिप्पणी- दिनांक सात अक्टूबर को सीमा पार गाजा पट्टी से इजराइली सीमा में प्रवेश कर हमास आतंकी संगठन के जिहादियों ने जब अत्याचार और अनाचार की सारी हदें पार कर दी, छोटी बच्चियों, युवतियों एवं महिलाओं से सामूहिक बलात्कार, पालने में सो रहे तीन महीने एवं छह महीने की आयु वाले शिशुओं की गला काटकर या जिन्दा जलाकर तड़पा-तड़पा कर मारा, तब विश्व मानवता की रूह इन घटनाओं के वीडियो तथा फोटो देखकर कांप उठी। स्वयं हमास आतंकियों ने अफने कारनामों के फोटो और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर जारी किए। भारत में अधिकांश मानवाधिकार संगठनों, सेकुलर राजनीतिक दलों तथा प्रगतिशील उदारवादी बुद्धिजीवियों ने पीड़ित इजराइलियों के पक्ष में नहीं, बल्कि पीड़ित करने वाले हमास व फिलिस्तिनियों के पक्ष में बयान जारी किए। भारत में भविष्य में जिहादी आतंक की घटनाओं के समय भी ऐसा ही करेंगे, इसलिए जनता को जागृत होकर दो फ्रंट पर लड़ना पड़ेगा, जिहादी आतंकियों तथा उनके रक्षकों के विरुद्ध। जब जागो, तभी सवेरा।)

वामपंथी - जिहादी गठजोड़

समाज के लिए यह समझना कठिन है कि आखिर अनेक वामपंथी नेता और कार्यकर्ता इजराइलियों के विरुद्ध हमास और फिलिस्तिनियों के अत्याचारों को फिलिस्तिीन का साहसिक प्रतिरोध कैसे निरूपित कर सकते हैं? जब हमास आतंकियों द्वारा इजराइली नर-नारी एवं शिशुओं को बर्बरतापूर्वक मारा जा रहा था, तब हमारे अनेक वामपंथी बुद्धिजीवी हमास के समर्थन में झंडा उठाकर चल रहे थे। हमारे एक हजार तीन सौ इजराइली नागरिकों को निर्ममतापूर्वक हमास जिहादियों ने मारा, परन्तु अमेरिका के वामपंथी नेता बरनी सेन्डर्स से लेकर अलेक्सेन्ड्रे कोरटेज एवं विश्व के अनेक प्रमुख वामपंथी नेता खुलकर हमास और फिलिस्तिनियों के पक्ष में खड़े है।

हारेट्ज, तेल अवीव, इजराइल

(टिप्पणी- इजराइल हो या अमरीका, भारत हो या अफ्रीका, वामपंथी विचारकों के विचार सर्वत्र एक। कार्ल मार्क्स की उक्ति धर्म मानव जाति के लिए अफीम के समान है, पर वर्तमान पीढ़ी के वामपंथी पूर्णत: विश्वास करते हैं, बस इस्लाम धर्म के मानव जाति के लिए अफीम नहीं, बल्कि अमृत मानते हैं, तभी तो भारत में जिहादी आतंकी वारदातों के समय जिहादियों के झंडाबरदार बन जाते हैं। हम जैसे सामान्य गैर मुस्लिम सभ्य नागरिकों के लिए इनके दिल नहीं धड़कते। आखिर क्यों? यह सब इसलिए कि हमारे पास केवल संविधान प्रदत्त अधिकार है, जबकि जिहादी आतंकियों के पास सबसे बड़ा अधिकार-मानवाधिकार है, जिसके दम पर वे कोई भी अपराध करने हेतु अधिकृत हैं। हमारे पास वोटर कार्ड, पेन कार्ड, आधार कार्ड है, परन्तु जिहादियों के पास सबसे बड़ा कार्ड, विक्टिम कार्ड है, जिसके बल पर हर काल परिस्थिति में वे हमेशा अत्याचार पीड़ित माने जाएंगे, अत्याचारी नहीं।)

शिक्षा- ज्ञान की या जिहादी की?

अमेरिका के सभी यहूदी संगठनों ने विभिन्न अमेरिकी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विद्यालयों के प्रमुख को पत्र लिखकर मांग की है कि जिहादी आतंकी संगठन हमास द्वारा निर्दोष इजरायली यहूदियों के कत्लेआम के बाद स्टूडेन्टस फॉर जस्टिस इन पेलेस्टाईन तथा अन्य वामपंथी तथा इस्लामी छात्र संगठनों द्वारा अनेक शैक्षणिक परिसरों में खुलेआम हमास आतंकियों के पक्ष एवं इजराइल के विरुद्ध किए जा रहे प्रदर्शनों तथा यहूदी छात्र-छात्राओं पर शिक्षा संस्थानों के अन्दर हो रहे निरंतर हिंसक हमलों पर तुरंत रोक लगाई जाए। अमेरिकी शिक्षा परिसरों में हमास आतंकियों के चित्र गर्व से लहराए जा रहे हैं, तथा यहूदियों के विनाश संबंधी भाषण दिए जा रहे हैं।

- द टाईम्स आफ इजराइल, यरूशलम, इजराइल

(टिप्पणी- वामपंथी जिहादी गठजोड़ ने अमेरिका एवं यूरोप ही नहीं भारत के शैक्षणिक परिसरों में भी घुसपैठ कर ली है, तभी तो सात अक्टूबर को हमास द्वारा निर्दोष इजारइलियों की निर्मम हत्या के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, कोलकाता विश्वविद्यालय इत्यादि अनेकानेक शैक्षणिक परिसरों में हमास के जिहादी आतंकियों के समर्थन में गगनभेदी नारे गूंजे और निरंतर गूंज रहे हैं। प्रगतिवाद और उदारवाद के नाम पर विद्यार्थियों को समझाया जा रहा है कि सुमधुर सेकुलर ध्वनि केवल जिहादियों के नाम उच्चारण से ही निकलती है, जबकि हिन्दू एवं अन्य गैर मुस्लिम नामों के उच्चारण से कर्कश सांप्रदायिक ध्वनि उभरती है। समय रहते इस छद्म सेकुलरवाद से बचाव करना है।)

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

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