भगवान के सोकर उठने की खुशी में मनाई जाती है देवोत्थान एकादशी
डा. अनीष व्यास
एकादशी के शुभ योग की बात करें तो ये दिन पूजा पाठ के लिए उत्तम माना जाता है। इस बार रवि योग, सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनने जा रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 11.55 से शुरू होगा। वहीं रवि योग सुबह 6.50 से शाम 5.16 तक रहेगा। देवउठनी एकादशी इस साल 23 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु 5 माह की निद्रा के बाद जागेंगे। इसके बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इस दिन लोग घरों में भगवान सत्यनारायण की कथा और तुलसी-शालिग्राम के विवाह का आयोजन करते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि देवउठनी एकादशी इस साल 23 नवंबर को मनाई जाएगी। माना जाता है कि देवउठनी एकादशी को भगवान श्रीहरि 5 माह की गहरी निद्रा से उठते हैं। भगवान के सोकर उठने की खुशी में देवोत्थान एकादशी मनाया जाता है। इसी दिन से सृष्टि को भगवान विष्णु संभालते हैं। इसी दिन तुलसी से उनका विवाह हुआ था। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। परम्परानुसार देवउठनी एकादशी में तुलसी जी का विवाह किया जाता है, इस दिन उनका श्रृंगार कर उन्हें चुनरी ओढ़ाई जाती है। उनकी परिक्रमा की जाती है। शाम के समय रौली से आंगन में चौक पूर कर भगवान विष्णु के चरणों को कलात्मक रूप से अंकित करेंगी। रात्रि को विधिवत पूजन के बाद प्रात: काल भगवान को शंख, घंटा आदि बजाकर जगाया जाएगा और पूजा करके कथा सुनी जाएगी।
वैदिक पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11.03 से शुरू होगी और इसका समापन 23 नवंबर रात 9.01 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी व्रत 23 नवंबर को रखा जाएगा। शुभ योग : एकादशी के शुभ योग की बात करें तो ये दिन पूजा पाठ के लिए उत्तम माना जाता है। इस बार रवि योग, सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनने जा रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 11.55 से शुरू होगा। वहीं रवि योग सुबह 6.50 से शाम 5.16 तक रहेगा। इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो जाएगा।
देवउठनी एकादशी का महत्व
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि देवउठनी एकादशी तिथि से चतुर्मास अवधि खत्म हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु शयनी एकादशी को सो जाते हैं। वह इस दिन जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन जातक सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार विष्णुजी के अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने एकादशी को देवी वृंदा (तुलसी) से शादी की थीं। इस साल तुलसी विवाह 24 नवंबर को मनाया जाएगा।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
चावल न खाएं इस दिन: मान्यताओं के अनुसार किसी भी एकादशी पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्रोध से बचें: एकादशी के दिन भक्त भगवान विष्णु की अराधना करते हैं ऐसे में माना जाता है कि इस दिन सिर्फ भगवान का गुणगान करना चाहिए। साथ ही एकादशी के दिन भूलकर भी किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए और वाद-विवाद से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
एकादशी के दिन करें ये काम: एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना जाता है। एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए। एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
देवउठनी एकादशी पूजा विधि: देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को धूप, दीप, पुष्प, फल, अर्घ्य और चंदन आदि अर्पित करें। भगवान की पूजा करके नीचे दिए मंत्रों का जाप करें। -उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदिम्।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ वाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुंधरे।
हिरण्याक्षप्राघातिन् त्रैलोक्यो मंगल कुरु।।
इसके बाद भगवान की आरती करें।
पुष्प अर्पित कर इन मंत्रों से प्रार्थना करें।
इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता।
त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेषशायिना।।
इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो।
न्यूनं संपूर्णतां यातु त्वत्वप्रसादाज्जनार्दन।।
इसके बाद सभी भगवान को स्मरण करके प्रसाद का वितरण करें।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक